Saturday, September 21, 2024

आज से शुरू हुआ रमजान का पाक महीना – आईए जानते हैं रोजेदारों को क्या नहीं करना चाहिए और रमजान का इतिहास!

आज से शुरू हुआ रमजान का पाक महीना – आईए जानते हैं रोजेदारों को क्या नहीं करना चाहिए और रमजान का इतिहास!

Digital News Guru Delhi Desk: बरकत और इबादत का महीना कहे जाने वाले रमजान का इंतजार अल्लाह के बंदों को बेसब्री से होता है। खुदा के नजदीक ले जाने वाले इस महीने की शुरुआत 11 मार्च से हो चुकी है, जिसे की माह- ए-रमजान कहा जाता है।

इस्लाम धर्म में रमजान को सभी महीनों में सबसे पाक और इबादत का महीना माना जाता है | शाबान यानी इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने के बाद रमजान की शुरुआत होती है। रमजान के पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं |

कल शाम मगरिब की नमाज के बाद माह-ए-रमज़ान का चांद नज़र आने के साथ ही रोज़ों का आग़ाज़ हो गया | चांद देख कर लोगों ने ख़ैर और बरकत की दुआएं मांगीं और रमज़ान की तैयारियाँ शुरू कीं | रात में इशा की नमाज़ के बाद हाफ़िज़-ए-क़ुरआन के पीछे तरावीह की नमाज़ की शुरुआत हुई, जो 29 रमज़ान तक चलेगी |

आज सुबह 4 बजे उठ कर तमाम रोज़ेदारों ने सेहरी की और रोज़े की नीयत की | सेहरी का वक़्त ख़त्म होते ही अज़ान हुई और तमाम लोगों ने फज्र की नमाज़ अदा कर माह-ए-रमज़ान की नेमतों की शुरूआत के लिए अल्लाह का शुक्र अदा किया | आज पहला रोज़ा है और तीस रोज़ों के हिसाब से 10 अप्रेल तक रमज़ान का महीना चलेगा , उसमे बाद ईद का त्यौंहार मनाया जाएगा|

रमजान का महत्‍व

मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए रमजान का महीना सबसे पाक और पवित्र माना जाता है। इस्‍लामिक कैंलेंडर के अनुसार यह नौंवा महीना होता है और इसे माह ए रमजान कहा जाता है। मुसलमान लोग पूरे दिन भूखे प्‍यासे रहकर रोजा रखते हैं और सूर्य के डूबने तक कुछ नहीं खाते पीते। सूर्योदय से पहले सहरी होती है और शाम को सूर्य के डूबने के बाद रोजा इफ्तारी होती है। मुस्लिम समाज के लोग अल्‍लाह की पूरे महीने इबादत करते हैं और इंसान‍ियत के लिए दुआ मांगते हैं।

कब शुरू हुई रोजा रखने की परंपरा

इस्लाम में रोजा रखना की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई थी. कहते है कि कुरान शरीफ की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में रोजे के लेकर यह कहा गया है कि ‘रोजा तुम पर उसी तरह फर्ज किया जाता है जिस तरह तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था.’ इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुहम्मद साहब ने मक्के से हिजरत कर मदीना पहुंचने के एक साल बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म दिया था. तभी से दुनियाभर के मुस्लिम पूरी शिद्दत के साथ रोजा रखते हैं.

रमजान के दौरान लोग पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं

रमजान के दौरान लोग पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं। लोग खुदा का ध्यान करते हैं और उनसे अपने गुनाहों की माफी मागंते हैं और इस दौरान लोग अपनी कमाई का कुछ हिस्सा भी जरूरतमंदों को दान करते हैं, जिसे कि जकात कहा जाता है। जो लोग बीमार हैं वो और बच्चे, गर्भवती महिलाओं और जो हाल ही में मां बनी हैं वो औरतें उन्हें रोजा ना रखने की छूट होती है | आज से शुरू हुआ रोजा 10 अप्रैल तक चलेगा यानी कि इस बार ईद का त्योहार 11 अप्रैल हो सकता है। हालांकि इसका फैसला तो 10 अप्रैल को ईद का चांद देखने के बाद ही किया जाएगा।

इन्हें है रोजा रखने से मिलती है छूट

कहा जाता है कि इस्लाम धर्म में हर बालिग पर रोजा फर्ज है. इसके लिए सिर्फ उन्हें छूट मिली है, जो बीमार हैं या किसी यात्रा पर निकले हैं. इसके अलावा, गर्भवती महिलाएं और वह महिलाएं जिनके पीरियड्स चल रहे हैं, उनके रोजे से छूट दी गई है. वहीं, बच्चों का भी रोजा रखना जरूरी नहीं है. हालांकि, कहा जाता है कि लड़कियों के पीरियड्स के दौरान जितने भी रोजे छूटे हैं, वह उन्हें बाद में पूरे करने होते हैं.

इन  गलतियों से टूट सकता है आपका रोजा

रमजान के पवित्र महीने में रोजेदारों को कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। वही यदि रोजेदार इन चीजों का ध्यान नहीं रखते हैं तो रोजा टूट सकता है तथा साथ ही गुनाह भी मिल सकता है।

1. रोजा के दौरान कभी किसी को अपशब्द नहीं बोलना चाहिए |

2. इस दौरान झूठ बोलने से भी बचना चाहिए ,वरना आपके एक झूठ से रोजा टूट सकता है |

3. सेहरी के बाद या फिर इफ्तार से पहले जानबूझकर कुछ खाना भी नहीं चाहिए |

4. पानी पीने वाले लोगों का भी रोजा टूट जाता है |

5. अगर इफ्तार के बाद दांत में अगर कुछ खाना फंस जाए, तो वह उसे अंदर निगल लेते हैं, इससे भी रोजा टूट जाता है|

6. गैरजरूरी इंजेक्शन लगवाने से भी रोजा टूट जाता है |

7. लालच करने से भी रोजा टूट जाता है |

8. रोजे के दौरान शारीरिक संबन्ध बनाने के बारे में सोचने की भी मनाही होती है |

9. किसी भी तरह के गलत विचार मन में लाने की मनाही होती हैं |

10. इस समय जितना हो अल्लाह को याद करना चाहिए |

11. रोजा के दौरान सोने से बचना चाहिए |

12. रोजा के दौरान वाद-विवाद से भी दूर रहना चाहिए |

सहरी और इफ्तार का समय

आपको बता दें कि रोजे के दौरान सहरी और इफ्तार का खासा महत्व होता है। सूर्योदय से पहले खाए गए भोजन को सहरी और सूरज ढलने के बाद खाए गए भोजन को इफ्तार कहा जाता है। यहां देखें सहरी और इफ्तार का टाइम।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं | Digital News Guru  इसकी पुष्टि नहीं करता | इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें | आशा करते हैं कि आप हमारे साथ जुड़े रहेंगे।

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