Sunday, September 22, 2024

Sonam Wangchuk Strike: माइनस 15 डिग्री के तापमान में सोनम वांगचुक का 11 वें दिन भी अनशन जारी, आखिर क्या है मांगे?

DIGITAL NEWS GURU LADAKH DESK:

Sonam Wangchuk Strike: माइनस 15 डिग्री के तापमान में सोनम वांगचुक का 11 वें दिन भी अनशन जारी, आखिर क्या है मांगे?

माइनस 15 डिग्री के तापमान के बीच पर्यावरणविद सोनम वांगचुक का आमरण अनशन शुक्रवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गया। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए और, प्रदेश को संविधान की छठी सूची में शामिल कराने की मांग को लेकर ही वांगचुक ने 6 मार्च से अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया था।

कौन हैं सोनम वांगचुक?

आप को बता दें कि 56 साल के सोनम वांगचुक मैकेनिकल इंजीनियर है और उसके साथ ही हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के निदेशक भी हैं। उन्हें साल 2018 में प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। साल 2009 में आई सुपरहिट फिल्म ‘3 इडियट्स’ का मुख्य किरदार फुनसुख वांगड़ू असल में सोनम वांगचुक से ही प्रेरित थाथा।

सोनम वांगचुक की क्या है मांगे?

इस अनशन के जरिए सोनम वांगचुक लद्दाख क्षेत्र को भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कराने कि मांग कर रहे है और उसके साथ ही लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की भी मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि लद्दाख में तथाकथित विकास के नाम पर तेजी से प्रकृति का विनाश होता जा रहा है। इससे क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र पर बुरा असर पड़ रहा है। यही कारण है कि उन्होंने अपने अनशन को जलवायु अनशन करार दिया है।

वांगचुक का ये भी कहना है कि 21 दिनों तक इस उपवास को सहने की प्रेरणा उनको गांधीवादी विचारधारा से मिली है। वह हर दिन अपने सोशल मीडिया के जरिए अनशन से जुड़े
हर पोस्ट अपडेट कर रहे हैं।

सरकार पर लगाया वादाखिलाफ़ी का आरोप

अपने एक अन्य वीडियो में, वांगचुक दुख जताते हुए कहते हैं कि 2019 के संसदीय चुनावों से पहले, बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में, लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था। हालाँकि, चुनावों के दौरान लद्दाखी मतदाताओं से मिले स्पष्ट समर्थन के बावजूद, 2020 तक बीजेपी आते-आते अपना वादा भूल गई।

सभी देशवासियों से कल एक दिवसीय उपवास करने की करी है अपील

वांगचुक का आमरण अनशन शनिवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गया। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, संविधान की छठी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर वांगचुक ने छह मार्च से आमरण अनशन शुरू किया है। खुले आसमान तले माइनस 15 डिग्री में 110 लोगों के साथ वह अनशन पर बैठे हैं। लद्दाख पर्यावरण और संस्कृति के बचाव के लिए संघर्ष किया जा रहा है। वांगचुक को लद्दाख के अलग-अलग हिस्सों समेत देश भर के लोगों का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने 17 मार्च को लोगों से एक दिवसीय उपवास कर आंदोलन का समर्थन करने का आग्रह किया है।

वांगचुक ने कहा कि भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में लद्दाख को संविधान की छठी सूची में शामिल करने का वादा किया था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। छठी अनुसूची महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले पहाड़ी क्षेत्रों में राज्यों को विशेष प्रशासनिक शक्तियां देती है। इसका कार्यान्वयन और लद्दाख को राज्य का दर्जा इसकी पारिस्थितिकी, पर्यावरण और स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।

“राजनेता केवल अगले पांच वर्षों तक का ही क्यों सोचते हैं”

वांगचुक ने आरोप लगाया कि राजनेता केवल अगले पांच वर्षों के बारे में सोचते हैं और कुछ उद्योगपतियों के लाभ के लिए पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों को बेच देते हैं। और स्थानीय लोगों को पीढ़ियों तक इसका परिणाम भुगतना पड़ता है। जब मानव जनित आपदाएं आती हैं तो इसकी लागत उन मुनाफों से अधिक होती है, लेकिन इसका भुगतान करदाताओं के पैसे से किया जाता है।

पाँच मार्च को गृह मंत्रालय की सब कमेटी के साथ बैठक रही थी बेनतीजा

गृह मंत्रालय की तरफ से लद्दाख के मुद्दों को लेकर बनाई गई सब कमेटी की बैठक पांच मार्च को बेनतीजा रहने के बाद से सोमन वांगचुक ने अनशन शुरू किया है। सब कमेटी में शामिल लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) के सभी सदस्यों ने मीटिंग के बाद गृहमंत्री अमित शाह से उनके आवास पर जाकर मुलाकात करी थी।

लेकिन वे सभी लोग संतुष्ट नहीं हो पाए थे। सूत्रों के अनुसार, पांच मार्च को हुई बैठक में छठे शेड्यूल से संबंधित मांगों पर विस्तृत चर्चा हुई थी। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कानूनी विशेषज्ञों के हवाले से स्पष्ट किया कि सोनम कि मांगों पर क्रियान्वयन में दो से तीन महीने का वक्त लग जायेगा। लेकिन सोनम लेह अपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधि इसे फौरन अमल में लाने पर जोर दे रहे हैं।

अपनी मांगों को लेकर गांधी के शांतिपूर्ण मार्ग का अनुसरण

जब 6 मार्च को सोनम वांगचुक ने अपना अनशन शुरू किया था, तो उन्होंने ये कहा, कि मैंने 21 दिन का अनशन इसलिए चुना है क्योंकि यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी द्वारा किया गया सबसे लंबा उपवास माना जाता है और मैं उसी शांतिपूर्ण मार्ग का अनुसरण करना चाहता हूं जिसका अनुसरण महात्मा गांधी जी ने किया था। जहां हम किसी और को पीड़ा नहीं पहुंचाया सकते है ।


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