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Sonam Wangchuk Strike: सात दिनों से आमरण अनशन पर बैठे है सोनम वांगचुक, वो चाहते है लद्दाख़ को भी मिले एक राज्य का दर्जा!
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) पिछले 7 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हुए है । सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) द्वारा लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले इस की मांग अभी भी जारी है। अब इस मांग ने एक और अनोखा मोड़ ले लिया है। बीते दिन लद्दाख बंद रहा था।
राज्य के दर्जे व संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर बुधवार को लद्दाख बंद रहा ।इस दौरान लेह की एनडीएस ग्राउंड में हुई विरोध रैली में उमड़ी भीड़ ने भारत माता की जय के नारों के बीच लद्दाख में भूमि व नौकरियों के अधिकारों के सरंक्षण की मांग करते हुए केंद्र सरकार से इंसाफ की मांग की। वहीं, इन मुद्दों को लेकर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक व उनके समर्थकों ने भी आमरण अनशन शुरू कर दिया है।
कौन है सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk)?
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) एक भारतीय इंजीनियर, इनोवेटर और क्लाइमेट एक्टिविस्ट है। वह स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ़ लद्दाख (SECMOL) के संस्थापक-निदेशक हैं, जो लद्दाख में शिक्षा प्रणाली में सुधार पर केंद्रित है।
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) को SECMOL कैंपस डिजाइन करने के लिए जाना जाता है, जो सौर ऊर्जा से संचालित होता है और आइस स्तूप तकनीक के आविष्कार के लिए जाना जाता है, जो सर्दियों के पानी को इकट्ठा करने के लिए आर्टिफिशियल ग्लेशियर बनाता है। वांगचुक को अपने काम के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिसमें साल 2018 का रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और साल 2017 का ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर अवॉर्ड भी शामिल है।
सियासी तूल देने के लिए लद्दाख बुधवार को बंद रहा:
बता दें कि इससे पहले लद्दाख पिछले माह चार फरवरी को भी बंद रहा था। पहले लद्दाख के सामाजिक संगठन ही इन मुद्दों को उठा रहे थे, अब विरोधी राजनीतिक दल भी इनमें शामिल होने लगे हैं। नई दिल्ली में चार मार्च को लद्दाख के संगठनों की केंद्रीय गृह मंत्रालय से चौथे दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें उनके मुद्दे हल करने का भरोसा दिलाया था, उन्होंने कहा था कि इस संबंध में गृह मंत्रालय की एक कमेटी कार्यवाही कर रही है, लेकिन सियासी तूल देने के लिए लद्दाख में बुधवार को बंद रखा गया।
संवैधानिक सुरक्षा हमारा हक:
राज्य का दर्जा व संवैधानिक सुरक्षा लद्दाख के लोगों का हक है, इसे हम लेकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम अगले कुछ दिनों में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर अपने मुद्दों को लेकर आगे की रणनीति बनाएंगे। अब तक चार दौर की हो चुकी बातचीत : लद्दाख के मुद्दों को लेकर बातचीत की प्रक्रिया पिछले वर्ष चार दिसंबर को शुरू हुई थी। दूसरे दौर की वार्ता 19 फरवरी को हुई और 15 सदस्यीय कमेटी में सरकार के आठ प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
24 फरवरी को लद्दाख के सभी संगठनों ने बनाई थी अपनी सब कमेटी:
इसके बाद 24 फरवरी को बातचीत करने के लिए लद्दाख के संगठनों ने अपनी सब कमेटी बनाई थी। चार मार्च को सब कमेटी ने गृह मंत्रालय व गृह मंत्री से बैठक के बाद बातचीत के बेनतीजा रहने की घोषणा कर लद्दाख लौटने की तैयारी कर ली थी। अब तक चार दौर की बातचीत हो चुकी है।
हर चरण में 21 दिन का आमरण अनशन करेंगे:
पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने भी इस रैली को संबोधित कर लद्दाख के मुद्दों को लेकर लोगों से एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि वह अपने साथियों के साथ तब तक आमरण अनशन करते रहेंगे जब तक केंद्र सरकार लद्दाख की मांगों को मान नहीं लेती। उन्होंने कहा कि वह हर चरण में 21 दिन का आमरण अनशन करेंगे। रैली के बाद सोनम वांगचुक ने अपने कुछ समर्थकों के साथ एनडीएस मेमोरियल पार्क में आमरण अनशन शुरू कर दिया। हर दिन उनके साथ इस अनशन में लद्दाख के लोग शामिल होंगे।
17 मार्च को अनशन करने की अपील:
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने वीडियो के समापन पर कहा कि आप लोगों से विनती है कि आप अपने-अपने शहरों में लद्दाख के समर्थन में, पर्यावरण के समर्थन में सत्य और लोकतंत्र के समर्थन में एक दिन का अनशन कम से कम जरूर करें। इसके लिए सबसे बेहतर दिन है रविवार 17 मार्च होगा । इस दिन अनशन में शामिल होकर हमारा समर्थन करें.
पहले भी सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) कर चुके है ऐसी भूख हड़ताल!:
सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) ने लद्दाख के पर्यावरण के संरक्षण के लिए 18 जून,साल 2023 को लद्दाख में 7 दिनों का ‘क्लाइमेटिक फास्ट’ (जलवायु उपवास) रखा था। यह भूख हड़ताल पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए दिनचर्या में बदलाव लाने के उनके अभियान का हिस्सा थी। सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) के उपवास का मकसद लद्दाख को राज्य का दर्जा, संवैधानिक सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा उपायों जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए लद्दाखी नेताओं और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच बातचीत कराना था।
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