Saturday, November 23, 2024

जानिए इस आर्टिकल में मां दुर्गा के नौ रूपों के नौ मंदिर कहां-कहां स्थित है !

DIGITAL NEWS GURU RELIGIOUS DESK :

जानिए इस आर्टिकल में मां दुर्गा के नौ रूपों के नौ मंदिर कहां-कहां स्थित है !

नवरात्रि में हम सभी नौ देवियों के नौ रूपों की पूजा पाठ करते हैं । ये नवदुर्गा के सभी रूप माता पार्वती से संबंधित हैं। माता पार्वती के इन रूपों में उनका संपूर्ण जीवन तथा उनका चरित्र समाया हुआ है।

माता पार्वती को दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसीलिए उन्हें अम्बा और दुर्गा भी पुकारा जाता है। वैसे तो उनके इन 9 रूपों के देशभर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं लेकिन यहां पर हम आपको कुछ खास और प्राचीन मंदिरों की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त कराएंगे, तो आईए जानते हैं मां दुर्गा के नवरूपो वाले मंदिरों के बारे में ……….

1- प्रथम शैलपुत्री मंदिर, काशी

मां दुर्गा के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।नवदुर्गा की प्रथम देवी शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर काशी के घाट पर स्थित है।शैल का मतलब है -हिम पहाड़, हिमवान की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा गया।

ऐसा भी माना जाता है कि जन्म के बाद पहली बार यहां माता आई थीं और यहीं पर विराजमान हो गईं।

2- ब्रह्मचारिणी मंदिर, वाराणसी

 

नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है ।माता की दूसरी शक्ति ब्रह्मचारिणी का प्राचीन मंदिर वाराणसी के बालाजी घाट पर स्थित है।
ब्रह्मचारिणी का अर्थ है- तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी अर्थात जब उन्होंने बहुत अधिक तपस्या करने के पश्चात शिव जी को पाया था।

3- चंद्रघंटा मंदिर, प्रयागराज

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है।माता पार्वती की तीसरी शक्ति चंद्रघंटा है जिन्हें चंद्रमौलि शिवजी पति के रूप में प्राप्त हुए।
इनका मंदिर प्रयागराज में स्थित है ।मां चंद्रघंटा का प्राचीन मंदिर जिसे क्षेमा माई मंदिर भी कहते हैं।
चन्द्रघंटा का अर्थ है कि – जिनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र स्थित है।

4- कूष्‍मांडा मंदिर, जिला कानपुर

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माता की चौथी शक्ति कूष्‍मांडा का मंदिर कानपुर के घाटमपुर ब्लॉक में स्थित है।उदर से अंड तक वे अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं और उनकी पिंडी से हमेशा पानी रिसता रहता है। मां के कई अनोखे और शक्तिशाली प्रभाव है जो कि मनुष्य के कासन को हर लेती है इन सभी शक्तियों के कारण वे कूष्‍मांडा कहलाती हैं।

5- स्कंदमाता मंदिर, वाराणसी 

स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन की जाती है ,माता की पांचवीं शक्ति स्कंदमाता का गुफा मंदिर हिमाचल में खखनाल में स्थित है।माता का दूसरा प्रसिद्ध मंदिर वाराणसी और तीसरा दिल्ली के पटपड़गंज में स्थित है। कार्तिकेय अर्थात स्कंद की माता होने के कारण उन्हें स्कंदमाता कहते हैं।

6-कात्यायनी मंदिर, एवेर्सा

मां कात्यानी की पूजा नवरात्रि के छठवें दिन की जाती है जिनकी छठवीं शक्तिपीठ शक्ति कात्यायिनी का मंदिर कर्नाटक के अंकोला के पास एवेर्सा में कात्यायनी बाणेश्वर मंदिर के नाम से काफी प्रसिद्ध है।
वृंदावन, मथुरा के भूतेश्वर में स्थित है कात्यायनी वृंदावन शक्तिपीठ, जहां सती के केशपाश गिरे थे। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण उन्हें कात्यायिनी कहा गया।

7- कालरात्रि मंदिर, वाराणसी

 

माता कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है।माता की सातवीं शक्ति कालरात्रि का मंदिर भी वाराणसी में स्थित है।देवी काल अर्थात हर तरह के संकट का नाश करने वाली हैं इन शक्ति के कारण वे कालरात्रि कहलाती हैं।माता कालरात्रि ने राक्षसों का वध किया था। उनकी पूजा रात्रि के दौरान ही होती है।

8- महागौरी मंदिर, लुधियाना  

मां गौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन यानी कि अष्टमी के दिन की जाती है । आठवीं महागौरी का मंदिर पंजाब के लुधियाना और यूपी के वाराणसी जिले में स्थित है। माता का वर्ण पूर्णत: गौर अर्थात गौरा (श्वेत) है, इसीलिए वे महागौरी कहलाती हैं ।

9- सिद्धिदात्री मंदिर, सतना 

माता सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि की नवमी के दिन की जाती है।माता की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री का मंदिर मध्यप्रदेश के सागर जिले में स्थित है। माता के अन्य प्रसिद्ध मंदिर यूपी- वाराणसी, सतना- मध्यप्रदेश और देवपहाड़ी- छत्तीसगढ़ में भी हैं।देवी अपने सभी समर्पित भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि दे देती हैं इसीलिए उन्हें सिद्धिदात्री के नाम से पुकारा जाता है।


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