Monday, March 10, 2025

गुजिया : चाँद जैसी दिखती है वो, टेस्ट है उसका लाजवाब, होली की शान है, ‘गुजिया’ है उसका नाम ! जानिए गुजिया की परंपरा और इतिहास …

 

DIGITAL NEWS GURU NATIONAL DESK :- 

चाँद जैसी दिखती है वो, टेस्ट है उसका लाजवाब, होली की शान है, ‘गुजिया’ है उसका नाम ! जानिए गुजिया की परंपरा और इतिहास …

गुजिया अपने भारत देश की सबसे मशहूर और मिठाई मे से एकहै। और हर साल होली मे गुजिया बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन क्या आप जानते हैं गुजिया को आखिर सबसे पहले किसने बनाया था। आज आइए गुजिया के बारे में जानते हैं सबकुछ।होली वैसे तो रंगों का त्योहार है, लेकिन अगर आप खाने के शौकीन हैं, तो होली अलग-अलग तरह के जायको का भी त्योहार है।

इस खास त्योहार के दिन भारतीय घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन इन सभी में गुजिया एक ऐसी डिश है जिसके बिना होली अधूरी है। जब हम होली के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले ख्याल गुजिया के मजेदार स्वाद का ही आता है। गुजिया उत्तर भारत की सबसे मशहूर और पारंपरिक मिठाई है, जिसमें खोया और ड्राईफ्रूट्स खूब भरे जाते हैं।

गुजिया का इतिहास होली पर गुजिया बनाने की प्रथा सदियों पुरानी जरूर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुजिया बनाने का जन्म भारत में नहीं हुआ था। इतिहास की मानें, तो गुजिया को सबसे पहले 13वीं सदी में बनाया गया था। उस वक्त गेंहू के आटे की छोटी रोटी बनाकर इसमें गुड़ और शहद के मिश्रण को भरा जाता था और फिर इसे धूप में सुखाया जाता था। ऐसा माना जाता है गुजिया सोमेसे का ही एक मीठा रूप होता है और यह अरब देशों से होते हुए भारत तक पहुंची है।

गुजिया का तुर्की  (TURKEY) कनेक्शन :

गुजिया को आखिर किसने सबसे पहले तैयार किया, इसे लेकर कई तरह की थियोरी हैं। इनमें से एक यह भी है कि यह तुर्किये से आई। तुर्किये में बनाया जाने वाला एक मशहूर बकलावा, गुजिया की तरह ही लगता है। इसे भी आटे से तैयार करके उसकी परत में ड्राई-फ्रूट्स को डालकर तैयार किया जाता है

भारत में गुजिया का इतिहास:


भारत में अगर गुजिया के जन्म की बात करें, तो ऐसा माना जाता है कि गुजिया बुंदेलखंड की देन है। इसी इलाके में मैदे की परत में खोया भरकर गुजिया को बनाया गया। जिसके बाद यह उत्तर प्रदेश के दूसरे इलाकों, मध्य प्रदेश और राजस्थान तक पहुंची।वृंदावन में, राधा रमण मंदिर वर्ष 1542 में बना था, जो इस शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। गुजिया और चंद्रकला आज भी यहां के पकवान का हिस्सा हैं। जिससे यह पता चलता है कि यह कम से कम 500 साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है।

इन राज्यों में हैं गुजिया के अलग-अलग नाम:

देशभर में गुजिया को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। बिहार में गुजिया को पेड़किया के नाम से जानते हैं, तो महाराष्ट्र में करंजी और गुजरात में घुगरा के नाम से प्रचलित है।

होली पर क्यों बनती है गुजिया:


मन्यताओं के अनुसार, फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन बुंदेलखंड के सभी लोग भगवान कृष्ण को आटे की लोई को लाकर उसको चाशनी में डूबोकर कृष्ण जी को खिलाया था, जो उन्हें काफी पसंद भी आया था तभी से होली के दिन गुजिया बनाने की परंपरा शुरू हो गई थी ।

 

गुजिया के हैं कई रूप:

गुजिया 16वीं सदी के ब्रज में फली-फूली थी, जहां इसे भगवान कृष्ण को प्रसाद के रूप में चढ़ने लगा था. वृन्दावन के राधा रमण मंदिर में, मंदिर की थाली में गुजिया और चंद्रकला परोसना 500 साल से चला आ रहा है ये एक पुरानी परंपरा है.

राजस्थान मे होली पर गुजिया दो अलग-अलग तरह बनाई जाती है एक रूप है चंद्रकला और एक रूप है अजमेर में गुजिया जैसे पुहे बहुत पसंद किये जाते है, जो कि सौंफ़ और गुलाब के स्वाद के साथ तली हुई पेस्ट्री का काम करते है.यह स्टफिंग के बिना गुजिया जैसी दिखती है. अवध क्षेत्र में, तो कई लोग गुजिया को दही, मेवे और इलायची से भर के खाते है.

YOU MAY ALSO READ :- Apple iphone 16 : Apple अपने यूजर्स के लिए इन बदलावों के साथ सितंबर मे लॉन्च करेगा iPhone 16 सीरीज !

आपका वोट

Sorry, there are no polls available at the moment.
Advertisements
Latest news
- Advertisement -

You cannot copy content of this page