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राजपाल यादव के लाइफ के स्ट्रगल स्टोरी कभी ऑटो का किराया भी नहीं दे पाते थे राजपाल यादव और आज हैं करोड़ के मालिक
हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे हीरे हैं, जिन्होंने अपनी चमक से न सिर्फ फिल्मी पर्दे को रोशन किया है, बल्कि लोगों के दिलों में भी जगह बनाई है। ऐसा ही एक हीरा हैं ऐक्टर राजपाल यादव| बॉलीवुड एक्टर-कॉमेडियन राजपाल यादव का 16 मार्च यानी आज जन्मदिन है, राजपाल यादव ने अपने किरदारों से फैंस को खूब हंसाया है।
एक्टर ने अपने करियर की शुरुआत छोटे-छोटे रोल से की थी। राजपाल यादव को पहचान राम गोपाल वर्मा की फिल्म जंगल (2000) से मिली थी| आज राजपाल यादव अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं| राजपाल यादव का जन्म 16 मार्च 1971 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था |
राजपाल यादव बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने खूब आग में तपे और तब जाकर कुंदन बने। आज राजपाल यादव की कॉमेडी का हर कोई फैन है। उन्हें देश के के पॉपुलर कॉमिक स्टार्स में शुमार किया जाता है।राजपाल यादव ने अपने अभिनय के बल पर लोगों को खूब हंसाया है। राजपाल यादव आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्हें लोगों ने पसंद किया और वह इंडस्ट्री में कॉमेडी के बेताज बादशाह बन गए। आज हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्से बताने जा रहे हैं।
टेलरिंग से शुरू किया था करियर
स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद राजपाल यादव ने रोजी-रोटी कमाने के लिए आर्डनेंस क्लॉथ फैक्ट्री में टेलरिंग से अप्रेंटिस का कोर्स किया। परिवार की जरूरतों और दिक्कतों को देखते हुए उन्होंने टेलर अप्रेंटिस का काम किया। पर मन में कहीं न कहीं ऐक्टर बनने की ख्वाहिश थी। इसी ख्वाहिश के चलते राजपाल यादव ने थिएटर की दुनिया में आ गए। उन्होंने लखनऊ की भारतेंदु नाट्य अकेडमी और दिल्ली के नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से थिएटर व ऐक्टिंग के गुर सीखे।
कच्चे घर में रहे, खराब थी आर्थिक स्थिति
एक इंटरव्यू में राजपाल यादव ने बताया था कि बचपन में उनके गांव में एक भी घर पक्का नहीं था। उनका घर भी कच्चा था और वह गांव के दूसरे बच्चों के साथ गड्ढों में भरे पानी में खेलते थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। जैसे-तैसे खेती से घर-परिवार का गुजारा चलता था। पर पिता ने उन्हें किसी बात की कमी महसूस नहीं होने दी। उन्हें गांव से दूर एक अच्छे स्कूल में पढ़ाया।
5 रुपए जेब में आने के बाद खुद को समझ रहा था राजा
एक बार शहर से घर लौट रहा था, साथ में बड़े भाई श्रीपाल यादव भी थे। देर हो जाने पर कोई सवारी नहीं मिल रही थी। मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं थे, जेब खाली थी। बड़े भाई के पास एक रुपया था। हम स्टेशन के पास से गुजर रहे थे, वहां मेरी नजर बिक रही लॉटरी पर पड़ी। मैंने भईया से एक रुपए लिए और उससे लॉटरी खरीद ली।
इसपर भाई ने मुझे काफी सुनाया भी था। दूसरे दिन जब मैं स्कूल के लिए शहर आया, तो लॉटरी वाले के पास गया। मेरा 65 रुपए का इनाम निकला। इसके बाद मैंने 65 रुपए लेकर 10 रुपए के टिकट और लिए। 5 रुपए अपने पास रखकर 50 रुपए भैया को दे दिए। 5 रुपए जेब में आने के बाद मैं खुद को राजा समझ रहा था। लेकिन भाई ने कहा, आज के बाद लॉटरी नहीं खरीदना।
ऑटो का किराया भी नहीं दे पाते थे
राजपाल यादव ने सिद्धार्थ कानन से बातचीत में बताया था कि कभी उनके पास पब्लिक ट्रांसपोर्ट का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे। एक्टर और कॉमेडियन कहते हैं, ‘ मुंबई एक ऐसा शहर है जहां बोरीवली तक जाने के लिए ऑटो भी शेयर करना पड़ता है। जब आपके पास ऑटो के पैसे नहीं होते तो पैदल ही कभी जुहू तो लोखंडवाला जाकर सफलता ढूंढनी पड़ती है।’