Saturday, November 23, 2024

Indira Gandhi birth anniversary : भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी थी इंदिरा गाँधी, भारत की ” लौह महिला ” के रूप मे भी आज भी याद करते है लोग

DIGITAL NEWS GURU POLITICAL DESK :- 

Indira Gandhi birth anniversary : भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनी थी इंदिरा गाँधी, भारत की ” लौह महिला ” के रूप मे भी आज भी याद करते है लोग

भारत में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को ‘भारत की लौह महिला’ के रूप में जाना जाता है। लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद, इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) भारत की प्रधानमंत्री बनीं। साथ ही, उन्होंने अपनी योग्यता स्थापित की और कांग्रेस पार्टी की सबसे मजबूत प्रधानमंत्री और अध्यक्ष बनीं। जब वह भारत की प्रधानमंत्री बनीं, तो कांग्रेस पार्टी विभाजित थी।

इस प्रकार, उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बन कर  शियासत  के दाव पेंचों   मे खुद को साबित किया । इंदिरा गांधी (Indira Gandhi)

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का शुरूआती जीवन:

 


इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का जन्म 19 नवंबर साल 1917 को उत्तर प्रदेश के आनंद भवन में हुआ था। इंदिरा गाँधी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा इलाहाबाद में ही प्राप्त करी हुई थी । इसके अलावा उन्होंने ऑक्सफोर्ड और शांति निकेतन में भी विभिन्न विषयों का अध्ययन किया। साल 1942 में उनकी शादी फिरोज गांधी नाम के एक पारसी युवक से शादी कर ली थी । 1960 में उनके पति की मृत्यु हो गई और उनके दो बेटे राजीव और संजय हुए।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) :पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप मे


इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) अपने शुरुआती जीवन से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य रही हैं। इसके अलावा, 1959 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पार्टी अध्यक्ष चुना गया। अपने पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद ही वह सूचना और प्रसारण मंत्री बनीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के बाद, इंदिरा गांधी 1966 में भारत की प्रधानमंत्री बनीं। वह 17 साल तक प्रधानमंत्री पद पर रहीं।

 

जब वह भारत की प्रधानमंत्री थीं, तो उन्होंने देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। 1971 में उनके नेतृत्व में भारत ने युद्ध में पाकिस्तान को हराया और उसकी कमर तोड़ दी। इसके अलावा, उन्होंने 1970 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण भी किया और सभी प्रिवी पर्स को खत्म कर दिया। इन दो साहसिक कदमों ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को परिभाषित किया।

उनके कार्यकाल का एक बड़ा फैसला अभी आना बाकी था जब 1975 में विपक्षी दलों ने जस्टिस सिन्हा के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इस तरह देश के विपक्ष के प्रभाव को बेअसर करने के लिए उन्होंने आंतरिक आपातकाल की घोषणा कर दी। इसका नतीजा यह हुआ कि 1977 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद ढाई साल तक वे मुश्किल में रहीं और जनवरी 1980 में मध्यावधि चुनाव में वे फिर से अपनी स्थिति में आ गईं।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi)  का दूसरा कार्यकाल :


कार्यालय में वापस आने के बाद उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। खालिस्तान की मांग जोर पकड़ रही थी और इससे वह बेचैन हो उठीं। इसका नतीजा स्वर्ण मंदिर पर हमला हुआ। इसलिए उन्होंने सेना को ऑपरेशन को बचाने और मंदिर को आतंकवादियों से मुक्त कराने का आदेश दिया। 31 अक्टूबर साल 1984 को इंदिरा गाँधी के ही दो सुरक्षाकर्मियों ने इंदिरा गाँधी को उन्ही के घर पर गोलीयाँ मारकर उनकी हत्या कर दी थी ।

इंदिरा एक साहसी, दूरदर्शी और दूरदर्शी महिला थीं। साथ ही, उनका 20 सूत्री कार्यक्रम गरीबों की समृद्धि लाने का एक साहसिक तरीका था। वह एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने भारत की प्रधानमंत्री के रूप में इतिहास रच दिया था।

इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के कार्यकाल मे हुए युद्ध :- 

इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल (1966-1977 और 1980-1984) में भारत ने कई महत्वपूर्ण युद्धों का सामना किया। यहाँ कुछ प्रमुख युद्ध हैं:

1. भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965): यह युद्ध इंदिरा गांधी के पहले कार्यकाल से पहले हुआ था, लेकिन इसके परिणाम उनके कार्यकाल में दिखे।
2. भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971): यह युद्ध बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया था। भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराया और बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई।
3. सियाचिन युद्ध (1984): यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण के लिए लड़ा गया था।
4. भारत-चीन सीमा विवाद (1967): यह विवाद भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर हुआ था।
5. ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984): यह ऑपरेशन अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सिख अतिवादियों के खिलाफ चलाया गया था.

इन युद्धों और विवादों में इंदिरा गांधी की नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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