Monday, March 10, 2025

Yogendra Singh Yadav birthday special : 19 साल में परमवीर चक्र पाने वाला वो फ़ौजी, जो 15 गोलियां लगने के बाद भी अपने देश के लिए लड़ता रहा !

DIGITAL NEWS GURU NATIONAL DESK :-

Yogendra Singh Yadav birthday special : 19 साल में परमवीर चक्र पाने वाला वो फ़ौजी, जो 15 गोलियां लगने के बाद भी अपने देश के लिए लड़ता रहा !

योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav)  भारतीय सेना के उन वीर सपूतों मे शामिल है जिन्होंने भारत माता  की रक्षा के लिए अपने सीने मे 15 -15 गोलिया खाई है । कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना किसी भी कीमत पर सेक्टर द्रास की टाइगर हिल पर अपना ही कब्ज़ा चाहती थी । इसी के चलते 4 जुलाई साल  1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के एक प्लाटून को टाइगर हिल के बेहद अहम तीन दुश्मन बंकरों पर कब्ज़ा करने का पूरा दायित्व सौंप दिया गया था।

इन बंकरों तक पहुंचने के लिए काफी ऊंची चढ़ाई करनी थी । ये चढ़ाई बिल्कुल भी आसान नहीं थी । मगर प्लाटून का नेतृत्व कर रहे योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) ने इसे संभव करके दिखाया था ।इस पुरे संघर्ष के दौरान उनके शरीर में 15 गोलियां भी लग गयी थीं, लेकिन योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) बिल्कुल भी नही झुके और भारत को उन्होंने जीत दिलाई ।

इस युद्ध के बाद ही योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) को सिर्फ 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था । योगेन्द्र सबसे कम उम्र के अब तक के सैनिक हैं, जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है । हाल ही में योगेन्द्र को ‘Rank of Hony Lieutenant’ से भी नवाज़ा जा चुका है ।

 

योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) के पिता 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध का हिस्सा रहे:

10 मई साल 1980 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर ज़िले में मौजूद औरंगाबाद अहिर गांव में योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) का जन्म हुआ था । योगेन्द्र के पिता करण सिंह पहले से ही सेना का हिस्सा रह चुके थे । साल 1965 और साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में उन्होंने कुमाऊं रेजिमेंट की तरफ़ से विरोधियों से दो-दो हाथ भी किया था । पिता से शौर्य के किस्से सुनकर ही योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) बड़े हुए थे ।

और साल 1996 में महज़ 16 साल की उम्र में ही योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) फ़ौज में भर्ती हो गए थे । साल 1947 साल, 1965 और 1971 में लगातार हारने के बाद भी पाकिस्तान नहीं सुधरा था और फिर साल 1999 में एक बार फिर से भारत पर उसने हमला कर दिया था ।इस युद्ध के दौरान योगेन्द्र सिंह यादव को टाइगर हिल के तीन सबसे ख़ास बंकरों पर कब्ज़ा करने का काम सौंप दिया गया था

योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) को टाइगर हिल के बंकरों पर कब्ज़ा करने का काम मिला था:

4 जुलाई साल 1999 को योगेन्द्र अपने कमांडो प्लाटून ‘घातक’ के साथ आगे बढ़ रहे थे । उन्हें करीब-करीब 90 डिग्री की सीधी चढ़ाई पर चढ़ना था ।यह एक काफी जोखिम भरा काम था ।मगर सिर्फ़ यही एक ऐसा रास्ता था, जहां से पाकिस्तानियों को पूरी तरह से चकमा दिया जा सकता था ।योगेन्द्र की टीम ने रात 8 बजे अपना बेस कैंप छोड़ा था और असंभव सी लगने वाली चढ़ाई शुरू कर दी थी ।

जब योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) ने अपने 6 साथियों के साथ दुश्मन से दो-दो हाथ किए:

इस संघर्ष के दौरान कुछ पाकिस्तानी सैनिक भागने में भी सफ़ल रहे थे । उन्होंने ऊपर जाकर भारतीय सेना के बारे में अपने साथियों को भी बताया था तो वही दूसरी तरफ़ भारतीय सैनिक तेज़ी से ऊपर की तरफ़ चढ़ रहे थे और सुबह होते-होते टाइगर हिल की चोटी के नज़दीक पहुंचने में सफल भी हो गए थे ।

असंभव सी लगनी वाली इस चढ़ाई के लिए उन्होंने मजबूत रस्सियों का सहारा लिया था। बंदूकें उनकी पीठ से बंधी हुई थीं । प्लान सफल होते दिख ही रहा था। तभी पाकिस्तानी सेना ने अपने साथियों की सूचना की मदद से योगेन्द्र की टुकड़ी को चारों तरफ़ से घेरते हुए उन पर हमला कर दिया था।

इसमें योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) के साथ जो सभी सैनिक थे वो शहीद हो गए थे । और योगेन्द्र के शरीर में भी करीब 15 गोलियां लग गयी थी। मगर उनकी सांसें अब भी चल रही थीं ।आंखें मूंदे हुए वह एक मौके की तलाश में थे ।जब दुश्मन को ये अहसास हो गया कि योगेन्द्र अब मर चुके हैं । तभी योगेन्द्र ने अपनी जेब में रखे हुए एक ग्रेनेड को आगे जा रहे पाकिस्तानी सैनिकों पर फेंक दिया था ।

15 गोलियां लगने के बाद भी योगेन्द्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) का साहस नही हुआ था कम:

इस ज़ोरदार धमाके के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों के चीथड़े उड़ गए थे । इस बीच योगेन्द्र ने पास पड़ी रायफ़ल योगेन्द्र ने उठा ली थी और बचे हुए सारे पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था ।योगेंद्र का बहुत सारा ख़ून बह चुका थ ।इसलिए वो ज़्यादा देर होश में नहीं रह सके थे इत्तेफाक़ से वह एक नाले में जा गिरे थे और बहते हुए नीचे आ गए थे ।

फिर भारतीय सैनिकों ने उन्हें बाहर निकाला और इस तरह से उनकी जान बच सकी थी और कारगिल पर भारतीय तिरंगा भी लहराया गया था । युद्ध के बाद योगेंद्र सिंह यादव को अपनी बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से भी नवाज़ा गया था ।वर्तमान में भी वो भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।

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