उत्तरकाशी टनल हादसा: 400 घंटे का इंतज़ार हुआ ख़त्म, मौत के मुंह से बाहर आ रहे मजदूर।
Digital News Guru Breaking News: उत्तरकाशी मे 17 दिन से फँसे 41 मजदूरों को निकाल लिया गया है। मजदूरों के पास 7 बजकर 5 मिनट पर रेस्क्यू टीम पहुँची थी। 4-4 करके मजदूरों को निकाला गया है। स्ट्रेचर से सारे मजदूरों को लेटा के निकाला गया है। 7 बजकर 55 मिनट मे 2 मजदूरों को निकाला गया।
12 नवंबर को दिवाली वाले दिन अचानक भूस्खलन आने से 41 मजदूर उत्तरकाशी सुरंग मे फँस गए था। 17 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था। आज 17 वे दिन जाकर इस ऑपरेशन मे सफलता मिली है। पूरे देश की नज़र इस रेस्क्यू मे थी। आज पूरे देश मे खुशी की लहर आ गयी। साथ ही मजदूरों के परिजनों ने भी राहत की साँस ली। इस दौरान उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी टनल से सुरक्षित निकले लोगोंं से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की मजदूरों से मुलाकात
इस दौरान रैट माइनर्स की टीम ने अपनी अभूतपूर्व मेहनत के बल पर उत्तरकाशी टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता हासिल कर ली है। इसी के साथ इस दौरान रैट माइनर्स की टीम ने अपने कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद सार्वजनिक रूप से अपना उत्साह व्यक्त किया। साथ ही 17 दिन से उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों के सुरक्षित बाहर आने के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंंह ने सभी का स्वागत कर उनका हाल-चाल जाना।
उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को मिलेगी 1-1 लाख रुपए की मदद
उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों के राहत एवं बचाव कार्य के दौरान मौके पर मौजूद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी मजदूरों के सुरक्षित बाहर आने के बाद कल यानी बुधवार 29 नवंबर को सभी 41 मजदूरों को 1-1 लाख रुपए की राशि तथा साथ ही एक महीने का सवैतनिक अवकाश देने की घोषणा सार्वजनिक की। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि एक माह के सावैतनिक अवकाश के दौरान मुश्किल वक्त से बाहर सभी मजदूर अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करें।
पहले उत्तरकाशी सुरंग के अंदर हुआ स्वास्थ्य परीक्षण
सभी मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण पहले सुरंग के अंदर ही हुआ। ये इस लिए किया गया क्यों की सुरंग के अंदर जहां मजदूर फंसे हुए थे, वहां का तापमान लगभग 30 से 35 डिग्री पर था। जबकि सुरंग के बाहर सिलक्यारा का वर्तमान तापमान 10 डिग्री के आसपास है। सारे मजदूर लोग 17 दिन तक 30 से 35 डिग्री तापमान में रहे हैं, ऐसे में उन्हें एकदम से बाहर 10 डिग्री तापमान में नहीं लाया गया। इसलिए पहले उनका स्वास्थ्य परीक्षण। किया गया।
मजदूरों के लिए पहुँचा सेना का ‘चिनूक’
मजदूरों के लिए सुरंग मे ही चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध है। सारे मजदूरों को एयरलिफ्ट करने के लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर भी पहुंच चुका है।
बता दें कि ऋषिकेश एम्स में भी इमरजेंसी के लिए तैयारी की गई है। सभी मजदूरों को निकालने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचाने की पूरी तैयारी कर ली गई है।
12 नवंबर को हुई घटना
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी कम करने के लिए इस, सुरंग का निर्माण करा जा रहा था। जब सभी मजदूर काम कर रहे थे तभी भूस्खलन की वजह से मलबा सुरंग मे आकर गिर गया जिस कारण वहाँ काम कर रहे 41 मजदूर फँस गए।
इसके बाद तुरंत ही जिला प्रशासन ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। टनल में फंसे मजदूरों को एयर कंप्रेस्ड पाइप से ऑक्सीजन, खाने की आपूर्ति का इंतजाम किया गया. इसके बाद एनडीआरएफ समेत कई बचाव एजेंसी इस ऑपरेशन में शामिल हो गयी। और राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया
13 नवंबर को हुआ मजदूरों से संपर्क
ऑक्सीजन आपूर्ति पाइप के जरिए मजदूरों से संपर्क किया गया, मजदूरो के सुरक्षित होने की सूचना मिली।
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