Saturday, November 23, 2024

Ustad Bismillah Khan Birthday Special : देश को आजादी मिलने के बाद  लाल किला मे दिया था  बिस्मिल्लाह खान ने अपना  परफॉर्मेंस, बाला साहब ठाकरे भी  हो  गए थे उस्ताद के मुरीद!

DIGITAL NEWS GURU NATIONAL DESK :-

Ustad Bismillah Khan Birthday Special : देश को आजादी मिलने के बाद  लाल किला मे दिया था  बिस्मिल्लाह खान ने अपना  परफॉर्मेंस, बाला साहब ठाकरे भी  हो  गए थे उस्ताद के मुरीद!

भारतीय शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) का आज जन्मदिन है। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) का जन्म 21 मार्च साल 1916 में डुमरांव, शाहाबाद, बिहार में हुआ था। बिस्मिल्लाह खान का असली नाम कमरुद्दीन खान हुआ करता था।

उन्हें उस्ताद के नाम से भी पुकारा जाता था। उस्ताद के परिवार का संगीत से बहुत गहरा संबंध था, उनके पिता पैगम्बर बख्श खान कोर्ट म्यूजिशियन हुआ करते थे, जो कि कोर्ट ऑफ महाराजा केशव प्रसाद डुमरांव में काम किया करते थे। उस्ताद के परिवार में ज्यादातर सदस्य शहनाई वादक ही थे। यहां तक कि उस्ताद के दादा भी शहनाई बजाया करते थे।

 

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) कई देशों में कर चुके थे परफॉर्म:

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) जब मात्र 6 साल की उम्र के ही थे तो वह अपने मामा अली बख्श के साथ शहनाई की शिक्षा लेने के लिए वाराणसी आ गए थे। उस्ताद ने अपने करियर की शुरुआत स्टेज शो से शुरू करी थी। साल 1937 में उस्ताद को पहला ब्रेक ऑल इंडिया म्यूजिक कॉन्फ्रेंस( कलकत्ता) के दौरान मिला था।

इस परफॉर्मेंस के बाद उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) को खूब लाइमलाइट और प्रशंसा मिलना शुरू हो गयी थी, इसके बाद उन्होंने कई देशों में भी परफॉर्म करना शुरू कर दिया था। वह अफगानिस्तान, यूएसए, कनाडा, बांग्लादेश, ईरान, इराक, वेस्ट अफ्रीका जैसे देशों में शहनाई वादन के लिए जाया करते थे। हर जगह पर उन्होंने अपनी शहनाई की धुन से लोगों को दीवाना बना दिया था।

 

भारत की आजादी वाले दिन उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan)  ने लाल किला पर किया था परफॉर्मेंस:

वह एक भारतीय संगीतकार थे, जिन्हें शहनाई को लोकप्रिय बनाने का पूरा श्रेय दिया जाता है। वह पूरी शिद्दत के साथ शहनाई को बजाते थे, इसीलिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) भारत के शास्त्रीय संगीत कलाकार भी बन गए थे। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते थे।

हालांकि उसके बाद भी उन्होंने तमाम हिंदू और मुस्लिम सेरेमनी में अपना परफॉर्मेंस किया था । जिसके चलते उन्हें एक धार्मिक प्रतीक भी माना जाने लगा था। साल 1947 को 15 अगस्त के दिन, जिस समय भारत देश अंग्रेजों की कैद से आजाद हुआ था, उस वक्त लाल किला पर उस्ताद ने अपनी परफॉर्मेंस दी था।

 

बाला साहब ठाकरे हो गए थे उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) के मुरीद:

एक रिपोर्ट के मुताबिक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan)  ने राजनेता बाला साहब ठाकरे को भी अपना मुरीद बना लिया था। जब पहली बार बाला साहब ठाकरे से मुलाकात हुई तो उन्होंने उस्ताद से शहनाई की धुन में बधैया को सुनने की इच्छा जाहिर करी थी । इसके बाद उस्ताद ने लगभग 40 मिनट तक शहनाई को बजाया था। उस्ताद कि शहनाई की धुन सुनने के बाद बाला साहब उनकी इस कला के पूरी तरह से मुरीद बन बैठे थे।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) इंडिया गेट पर करना चाहते थे परफॉर्मे:

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) ने अपनी शहनाई की धुन से अच्छे-अच्छों को अपना दीवाना बना लिया था। बताया ये भी जाता है कि वह शहनाई के रियाज के लिए गंगा के घाट पर जाया करते थे और वहां पर बैठ कर गंगा की लहरों के साथ तान मिलाकर शहनाई को बजाया करते थे। बिस्मिल्लाह की आखिरी इच्छा इंडिया गेट पर परफॉर्म करने की थी। वह शहीदों को श्रद्धांजलि भी देना चाहते थे। उन्होंने साल 2006 की 21 अगस्त को आखिरी सांस ली थी। कार्डियक अरेस्ट के चलते उस्ताद का निधन हो गया था।

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