देश भर में दिखा कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का जबरदस्त उत्साह
Digital News Guru Religious Desk: कार्तिक पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा मे से एक मानी जाती है। इसको देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन कई लोग व्रत रखते है साथ ही सभी घरों मे सुबह से ही तुलसी पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है।
इस दिन तुलसी पूजा भी करी जाती है इस दिन हर घर मे सत्यनारायण की कथा जरूर होती है। सनातन धर्म मे हर महीने का अलग अलग महत्व होता है ये कार्तिक का महीना भगवान् विष्णु जी के लिए होता है।
वैष्णव धर्म मे इस माह को दामोदर माह भी कहा जाता है। बताया ये जाता है की भगवान कृष्ण का एक नाम दामोदर भी है। इसलिए इसको दामोदर माह भी कहा जाता है। देव दीपावली दिवाली के 15 दिन बाद होती है और ऐसा भी कहा जाता है की ये त्यौहार साल की सबसे बड़ी एकादशी से भी जुड़ा है। आज के दिन ही 4 महीने सोये हुए भगवान विष्णु जी अपनी निंद्रा से उठते है। और आज से शादी और अच्छे काम शुरू हो जाते है।
ये पर्व इस बार 27 नवंबर दिन सोमवार को है।
जाने क्या है देव दीपावली
कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार ही देव दीपावली के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन भगवान शंकर ने राक्षस त्रिपुरासुर को हरा कर अपनी खुशी मनाई थी। इस दिन लोग दीप दान करते है। इसी कारण इसे देवों की दीपावली कहा जाता है कार्तिक पूर्णिमा मे गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन सभी लोग गंगा जी मे स्नान करके माँ गंगा का आशीर्वाद लेते है। इस दिन काशी के घाटों मे दीपदान किया जाता है। बहुत से लोगो को ये नही पता होगा की आखिर देव दीपावली क्यों मनाई जाती है और इसकी पौराणिक कथा क्या है आइये हम आप को बताते है।
देव दीपावली की कथा- पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव के पुत्र स्वामी कार्तिकेय को सभी देवताओं का सेनापति बनाया गया। भगवान कार्तिकेय ने तरकासुर का वध किया था। जिसके बाद तरकासुर के तीनों पुत्रों ने मिलकर अपने पिता के वध का बदला लेना चाहा। इनको त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता है। इन तीनों पुत्रों ने मिलकर ब्रह्मा जी को खुश कर के अमरत्व मांगा। लेकिन ब्रह्मा जी ने पहले उनको मना कर दिया लेकिन उनके बार बार कहने पर ब्रह्मा जी ने उनको ये उनको ये आशीर्वाद दे दिया उसके बाद इन त्रिपुरासुर ने बहुत आतंक मचाना शुरू कर दिया।
उनके आतंक से परेशान सभी लोग भगवान शंकर जी के पास गए और अपनी सारी व्यथा उनको सुनाई तभी शंकर जी ने त्रिपुरासुर का वध करने का निर्णय लिया।फिर भगवान शंकर जी ने त्रिपुरासुर को मारने के लिए पृथ्वी को रथ बनाया, सूर्य और चंद्रमा को पहिए बनाया, सृष्टि सारथी बने, भगवान विष्णु बाण बने, वासुकी धनुष की डोर बने और मेरु पर्वत धनुष बने। फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार होकर असंभव धनुष पर बाण चढ़ाते हुए अभिजित नक्षत्र में तीनों पुरियों के एक पंक्ति में आते ही त्रिपुरासुर पर आक्रमण करते हुए।
उन्होंने त्रिपुरासुर को मार गिराया। भगवान शंकर ने जिस दिन त्रिपुरासुर को मार उस दिन कार्तिक पूर्णिमा थी फिर सभी देवताओं ने मिलकर खुशी मे खूब सारे दीपक भगवान शंकर की नगरी मे जलाये तभी से इस दिन को देव दीपावली भी कहने लगे है।
अयोध्या मे भी उमड़ा जनसैलाब
राम जी की नगरी अयोध्या मे भी देव दीपावली वाले दिन जनसैलाब उमड़ पड़ा। बड़ी संख्या मे भक्त रविवार से ही राम लला के दर्शन किये और चौदहकोस की यात्रा भी कर रहे है। साथ ही सरयु नदी मे स्नान कर के वहाँ की महा आरती भी देख रहे है। साथ ही यहाँ पे लेजर शो से राम कथा को देख कर भक्त काफी प्रसन्न हो रहे है। वहाँ पे भी सभी भक्त दीप दान करते है। सीसीटीवी से सभी जगह निगरानी रखी जा रही है।
प्रधानमंत्री ने दी देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवाशियों देव दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा की बहुत शुभकामनाएं दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की मै कामना करता हु की ये पर्व सभी के लिए हँसी और उत्साह लाये। और सभी के जीवन मे ये पर्व नई रोशनी लाये।
योगी सरकार करेगी 12 लाख दीपों से घाटों को रोशन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देव दीपावली को भव्य बनाने के लिए 12 लाख दिये जलवयेगी । हर घाटों मे दिये जलाये जायेंगे। 1 लाख दिये गाय के गोबर के बने है। सभी घाटों की सफाई करवाई गयी थी। इस बार देव दीपावली देखने 70 देशों के राजदूत आये है।
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