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नवरात्रि के 9 दिन 9 देवी के हैं 9 खास प्रसाद… हर दिन के खास प्रसाद से होगी प्रसन्न देवी मां !
नवरात्रि में हर रोज देवी के विभिन्न रूपों का पूजन और उपाय करके माता को प्रसन्न किया जाता है। नवरात्रि में पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक मां को उनका मनपंसद भोग लगाकर जरूरतमंदों में वितरित कर देने से मां का आशीर्वाद बना रहता है।
मां शैलपुत्री:
प्रथम नवरात्र में मां दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र जागृत हो जाता है और साधकों को सभी प्रकार की सिद्धियां स्वत: ही प्राप्त हो जाती हैं। मां का वाहन वृषभ है तथा इन्हें गाय का घी अथवा उससे बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी:
दूसरे नवरात्रि में मां के दूसरे स्वरूप यानी ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा करी जाती है। जो भी साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन सभी को तप, त्याग, वैराग्य और संयम और सदाचार की पूर्ण प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस भी बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते है। इस दिन मां को शक्कर का भोग सबसे प्रिय है
मां चंद्रघंटा :
नवरात्रि मे ये मां का तीसरा रूप होता है । इस रूप में माँ के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चन्द्र बना होता है । इसलिए इनका नाम चन्द्रघंटा पड़ा है तथा तीसरे नवरात्र में मां के इसी रूप की पूजा भी की जाती है तथा मां की कृपा से साधक को संसार के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। शेर पर सवारी करने वाली माता को दूध का भोग प्रिय है।
मां कुष्मांडा:
अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली मां कुष्मांडा की पूजा चौथे नवरात्र में करने का विधान है। इनकी आराधना करने वाले भक्तों के सभी प्रकार के रोग एवं कष्ट मिट जाते हैं तथा साधक को मां की भक्ति के साथ ही आयु, यश और बल की प्राप्ति भी सहज ही हो जाती है। मां को भोग में मालपूआ अति प्रिय है।
मां स्कंदमाता:
पंचम नवरात्र में आदिशक्ति मां दुर्गा की स्कंदमाता के रूप में पूजा होती है। कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी पूजा करने वाले साधक संसार के सभी सुखों को भोगते हुए अंत में मोक्ष पद को प्राप्त होते हैं। इस दिन माँ को केले का भोग जरूर लगाना चाहिए । इसे माँ काफी प्रसन्न होती है ।
मां कात्यायनी:
छठे नवरात्र में मां दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा करी होती है । इस दिन जिस भी साधक को मां की कृपा हो गयी तो उस साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आदि चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है ।वहीं वह साधक आलौकिक तेज से अलंकृत होकर हर प्रकार के भय, शोक एवं संतापों से मुक्त होकर खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगता है । मां को शहद अति प्रिय है।
मां कालरात्रि:
सभी राक्षसों के लिए कालरूप बनकर आई मां दुर्गा के इस रूप की पूजा सातवें नवरात्र में की जाती है। मां के स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के भूत, पिशाच एवं भय समाप्त हो जाते हैं। मां की कृपा से भानूचक्र जागृत होता है मां को गुड़ का भोग अति प्रिय है।
मां महागौरी:
आदिशक्ति मां दुर्गा के महागौरी रूप की पूजा आठवें नवरात्र में की जाती है। मां ने काली रूप में आने के पश्चात घोर तपस्या की और पुन: गौर वर्ण पाया और महागौरी कहलाई। मां का वाहन बैल है तथा मां को हलवे का भोग लगाया जाता है तभी अष्टमी को पूजन करके मां को हलवे पूरी का भोग लगाया जाता है।
मां सिद्धिदात्री:
नौवें और अंतिम नवरात्रि में मां सिद्धिदात्री की पूजा एवं आराधना करी जाती है, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां को प्रदान करने वाला है। जिस पर भी मां की कृपा हो जाती है उस इंसान के लिए जीवन में कुछ भी पाना असंभव नहीं रहता है। इस दिन मां को खीर अति प्रिय है अत: मां को खीर का भोग जरूर लगाना चाहिए।YOU MAY ALSO READ :- राजस्थान के अलवर जिले में आज बुधवार सुबह करीब 8:00 बजे इंक बनाने वाली कंपनी में लगी भीषण आग !