Saturday, November 23, 2024

राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक हैं मुथरा का प्रेम मंदिर, जानिए कब और किसने करवाया इसका निर्माण :

DIGITAL NEWS GURU RELIGIOUS DESK:

राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक हैं मुथरा का प्रेम मंदिर, जानिए कब और किसने करवाया इसका निर्माण

मथुरा के प्रेम मंदिर में राधा-कृष्ण के प्रेम के अनगिनत प्रसंगों को चित्रों के द्वारा उबारा गया है। कहते हैं कि राधा-कृष्ण के दर्शन से श्रद्धालुओं को सुकून मिलता है। वृंदावन का प्रेम मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि आगरा का ताजमहल प्रेम का प्रतीक है। वैसे ही वृंदावन का प्रेम मंदिर भी राधा-कृष्ण के प्रेम को समर्पित है । राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक प्रेम मंदिर को देखने और भगवान उनके दर्शन करने लोग दूर दूर से देश-विदेश से वृंदावन आते हैं।

जब भी राधा-कृष्ण की बात होती है तो इस बात का जिक्र जरूर होता है कि संसार में आध्यात्मिक प्रेम से कृष्ण ने ही परिचय कराया है। इस मंदिर की भव्यता और सुंदरता लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है। यही वजह है कि यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

 आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्मयी बातें…

11 साल में बनकर तैयार हुआ था मंदिर

वृंदावन का ये प्रेम मंदिर श्री कृष्ण-राधा और राम-सीता को समर्पित है। इस भव्य मंदिर की संरचना पांचवें जगदगुरु कृपालु महाराज ने स्थापित की थी। मंदिर को पूरे एक हजार मजदूरों ने 11 सालों में बनाकर तैयार किया था। जनवरी 2001 में इस भव्य और मनमोहन सुंदर मंदिर का निर्माण शुरू किया गया था।

इटली से मंगवाया गया था संगमरमर

इस मंदिर का उद्घाटन 15 फरवरी 2012 को किया गया। सार्वजनिक रूप से 17 फरवरी 2012 को इसे खोला दिया गया था। इस मंदिर की ऊंचाई 125 फीट है। इसकी लंबाई 122 फीट है। मंदिर की चौड़ाई लगभग 115 फीट है। इस मंदिर को संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है, जिसे इटली से मंगवाया गया था।मंदिर का मुख्य आकर्षण श्रीकृष्ण की मनोहर झांकियां और सीता-राम का खूबसूरत फूल बंगला है।

मंदिर में सत्संग के लिए एक विशाल भवन का निर्माण किया गया है। यहां एक साथ 25000 हजार लोग बैठ सकते हैं। इस भवन को प्रेम भवन कहा जाता है। इसे साल 2018 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया था। होली और दीवाली में मंदिर का नजारा बहुत ही सुन्दर होता है।

इस मंदिर में कुल 94 कलामंडित स्तंभ हैं, जो किंकिरी और मंजरी सखियों के विग्रह के बारे में बताते हैं। शाम होते ही मंदिर की सतरंगी रोशनी भक्तों को काफी आकर्षित करती है। होली और दीवाली में मंदिर का नजारा देखने लायक होता है। मंदिर में स्पेशल लाइट्स लगाई गई है। इस वजह से हर 30 सेकेंड में मंदिर का रंग बदल जाता है।

मंदिर की कुछ प्रमुख विशेषताएं जिनका आप आनंद ले सकते हैं वे इस प्रकार हैं

  •  म्यूजिकल फाउंटेन : मंदिर की सबसे प्रभावशाली विशेषताओं में से एक म्यूजिकल फाउंटेन शो है ,जो गर्मियों के दौरान हर शाम 7.30 बजे से 8.00 बजे तक और सर्दियों के दौरान 7.00 बजे से 7.30 बजे तक आयोजित किया जाता है। यह रोज हजारों लोगों को आकर्षित करता है जो कि श्री राधा कृष्ण को समर्पित भजन और कीर्तन की मधुर धुनों पर पानी की धाराओं के घुमाव से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

  • शाम की रोशनी : शाम के समय शानदार रोशनी से मंदिर की सुंदरता निखर जाती है। सूर्यास्त के बाद, पूरा मंदिर जीवंत रंगों से जगमगा उठता है, चाहे बच्चे हों या वयस्क, सभी को एक अद्भुत दृश्य प्रदान करता है।
  • जीवन आकार मॉडल : कोई भी भगवान कृष्ण की विभिन्न लीलाओं के जीवन आकार चित्रण का आनंद ले सकता है। मंदिर परिसर में झूलन लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला तथा कालिया नाग लीला का प्रदर्शन किया गया है।

  •  त्यौहार : प्रेम मंदिर में हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी और श्री राधाष्टमी के त्यौहार हर्षोल्लास और बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इन उत्सवों के दौरान मंदिर को बेहतरीन ढंग से सजाया जाता है और देश भर से लोग भव्य उत्सव में भाग लेने के लिए प्रेम मंदिर आते हैं।
  • राजसी वास्तुकला : प्रेम मंदिर विशिष्ट कारीगरी का सर्वोत्तम उदाहरण है। जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज के दृष्टिकोण को वास्तविकता में लाने में लगभग 1000 कारीगरों के प्रयासों को मिलाकर लगभग 11 साल लग गए। इस मंदिर ने स्वर्गीय प्रेम के शुद्धतम रूप को प्रकट, पुनर्परिभाषित और दृढ़ता से स्थापित किया है।

भक्त मंदिर के शांतिपूर्ण वातावरण में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी का ध्यान करते हुए एकांत और शांति में समय बिताना पसंद करते हैं।


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