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Suresh Wadkar birthday special : पाँच साल की उम्र से ही सुरेश ने संगीत सीखना कर दिया था शुरू, रविन्द्र जैन ने दिया था पहला मौका
गायक सुरेश वाडेकर आज अपना 70 वा जन्मदिन मना रहे है । 7 अगस्त साल 1955 को कोल्हापुर महाराष्ट्र में हुआ था। गायक सुरेश वाडेकर के पिता यूं तो एक मिल वर्कर थे । लेकिन उनको हमेशा से गायन का बड़ा शौक था। बालक सुरेश वाडेकर ने जब अपने पिता को भजन गाते हुए सुना तो उसके भीतर भी संगीत के संस्कार पनपने लगे।
5 वर्ष की आयु में संगीत की शिक्षा प्रारंभ हुई
सुरेश वाडेकर जब सिर्फ 5 साल के थे तभी से उन्होंने संगीत की तालीम लेनी शुरु कर दी थी। 8 वर्ष की उम्र में सुरेश वाडेकर ने शास्त्रीय संगीत के लोकप्रिय शिक्षक जियालाल बसंत से संगीत सीखना शुरु किया। सुरेश वाडेकर ने बाकायदा गुरुकुल पदत्ति की तर्ज पर जियालाल बसंत के घर रहकर अपनी स्कूली पढ़ाई लिखाई भी की और संगीत की तालीम भी हासिल की। जियालाल बसंत उर्दू भाषा के जानकार थे।
सुर शृंगार प्रतियोगिता में संगीतकार रविन्द्र जैन ने पहचाना
सुर शृंगार प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सुरेश वाडेकर ने जब यह प्रतियोगिता जीती तो प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल मशहूर संगीतकार रविन्द्र जैन ने मंच से घोषणा की कि वो विजेता गायक को अपनी फिल्म में गाने का मौका देंगे। रविन्द्र जैन ने अपना वादा निभाया और राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म “पहेली” में सुरेश वाडेकर से गीत गवाया। सुर शृंगार प्रतियोगिता में संगीतकार जयदेव भी शामिल थे। जयदेव ने भी सुरेश वाडेकर से निर्देशक मुजफ्फर अली की फिल्म “गमन” में गजल गवाई। शायर शहरयार की गजल “सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है” गाकर सुरेश वाडेकर ने अपनी प्रतिभा प्रदर्शित की।
सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर से मिला प्यार और आशीर्वाद
लता मंगेशकर के साथ सुरेश वाडेकर का विशेष लगाव था। वह सुरेश वाडेकर से बहुत स्नेह करती थीं। सुरेश वाडेकर भी लता मंगेशकर को गुरू की तरह सम्मान देते थे। लता मंगेशकर ने जब सुरेश वाडेकर की आवाज सुनी तो बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने मशहूर संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल से सुरेश वाडेकर की आवाज सुनने और उन्हें मौका देने के लिए कहा।
लता मंगेशकर की बात मानकर जब लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने सुरेश वाडेकर का गीत सुना तो उन्हें सुरेश वाडेकर एक सिद्ध, सीखे हुए, गुणी गायक महसूस हुए। साल 1981 में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने सुरेश वाडेकर को लता मंगेशकर के साथ फिल्म “क्रोधी” में डुएट गीत गवाया। लता मंगेशकर से जब पद्म पुरस्कारों की समिति ने खत लिखकर उनकी पसन्द जाननी चाही तो लता मंगेशकर ने सुरेश वाडेकर के नाम की सिफारिश की। नतीजा यह हुआ कि सुरेश वाडेकर को भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।
एक गायक की एक गलती की वजह से सुरेश वाडेकर को मिल गया था मौका
राज कूपर फिल्म प्रेम रोग बना रहे थे। फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के जिम्मे था। फिल्म के गीतों को आवाज देने के लिए गायक अनवर को चुना गया। गायक अनवर उन दिनों बेहद लोकप्रिय हो रहे थे। अनवर की आवाज हुबहू महान गायक मोहम्मद रफी से मिलती थी। एक बार तो रफी साहब भी अनवर का गाना सुनकर चकरा गए थे कि कोई उनकी आवाज में कैसे गा सकता है। जब फिल्म प्रेम रोग में गाने की बात आई तो अनवर ने 5000 रूपए बतौर फीस डिमांड किए। यह सुनकर ऋषि कपूर नाराज हो गए।
एक नए गायक का इतनी फीस की डिमांड करना और वो भी राज कपूर से, ऋषि को एक बेइज्जती की तरह लगा। ऋषि कपूर ने फौरन यह घोषणा कर दी कि अब फिल्म में उन पर फिल्माए जाने वाले गीत अनवर नहीं गाएंगे। इस तरह अनवर फिल्म से बाहर हो गए और गाने का मौका मिला सुरेश वाडेकर को।
सुरेश वाडेकर ने ” मेरी किस्मत में तू नहीं शायद”, ” मोहब्बत है क्या चीज” जैसे हिट गीत गाकर राज कपूर के दिल में जगह बना ली। आने वाले वर्षों में सुरेश वाडेकर ने कपूर परिवार की फिल्म ” हिना”, ” राम तेरी गंगा मैली” और ” प्रेम ग्रंथ” में कई हिट गाने गाए। उधर अनवर की एक गलती के कारक उनका करियर चौपट हो गया।