Saturday, September 21, 2024

MK Stalin Birthday special: सियासी पटखनी देने में माहिर है स्टालिन, रूस के ‘तानाशाह’ पर पड़ा है नाम!

MK Stalin Birthday special: सियासी पटखनी देने में माहिर है स्टालिन, रूस के ‘तानाशाह’ पर पड़ा है नाम!

Digital News Guru Birthday Special: आज यानी की 1 मार्च को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। बता दें कि एम के स्टालिन तमिलनाडु के पूर्व सीएम DMK के दिग्गज नेता एम. करूणानिधि के बेटे हैं। स्टालिन शुरूआत से ही दबंग छवि रखते हैं और वर्तमान समय में वह DMK के सर्वेसर्वा हैं।

DMK पार्टी में वही होता है, जो स्टालिन कहते हैं। हांलाकि आज वह जिस भी मुकाम पर हैं, उसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। महज 14 साल की उम्र में ही वह राजनीति की समझ रखने लगे थे। छोटी उम्र से ही उनको समझ आ गया था कि राजनीति कैसे की जानी चाहिए।

पार्टी के लिए कार्य

साल 1967 के चुनाव के दौरान स्टालिन ने पहली बार अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया था। उन्होंने अपने पिता की पार्टी के लिए जी-जान से मेहनत की थी। जिसका नतीजा यह निकला कि साल 1973 में स्टालिन को DMK का जनरल कमेटी का हिस्सा बना दिया गया। इस दौरान उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।

तानाशाह के ऊपर रखा गया नाम

रूस के ‘तानाशाह’ जोसफ स्टालिन की 05 मार्च 1953 को मौत हुई थी। वहीं ठीक 4 दिन पहले यानी की 01 मार्च को करुणानिधि के घर एक बच्चे का जन्म हुआ था। जिसका अभी तक नामकरण नहीं हुआ था। ऐसे में जब करुणानिधि को पता चला कि रूस के तानाशाह ‘स्टालिन जोसेफ’ की मृत्यु हो गई है, तो उन्होंने अपने बच्चे का नाम ‘एम के स्टालिन’ रख दिया। ‘स्टालिन’ का मतलब ‘लौह पुरुष’ होता है। वहीं उन्होंने इस नाम को चरितार्थ भी किया था।

ऐसे तय किया राजनीतिक सफर

साल 1975 के दौर में युवा नेता मीसा को आंदोलन में गिरफ्तार कर लिया गय। उस युवा नेता के साथ जेल में काफी ज्यादा बर्बरता हुई। जेल जाने से पहले जो युवा नेता अपने पिता के नाम पर जाना जाता था, वही जेल से बाहर निकलने के बाद अपने खुद के नाम से पूरे राज्य में जाना जाने लगा था। लोग इस युवा नेता की इज्जत करने लगे थे और वह लोगों के लिए हीरो बन चुका था। इस युवा नेता का नाम एम के स्टालिन था।

जेल से निकलने के बाद स्टालिन को कभी जीवन में पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। कितनी सरकारें आई और गईं, लेकिन स्टालिन हमेशा जनता के बीच बने रहे। वहीं साल 2018 में पिता करुणानिधि की मौत के बाद वह DMK के अध्यक्ष बने थे और अभी तक उसी पद पर बने हुए हैं।

DMK के सर्वेसर्वा

स्टालिन करुणानिधि के तीसरे नंबर के बेटे थे। स्टालिन से बड़े दो और भाई थे। जिनका नाम एम. के. मुत्थु और एम.के. अलगिरी था। इन तीनों भाइयों में पार्टी और पिता करुणानिधि के उत्तराधिकारी बनने को लेकर जंग छिड़ी रहती थी। वहीं साल 2013 में करुणानिधि ने स्टालिन को अपना भविष्य चुना और यह घोषणा किया कि उनके बाद पार्टी की कमान स्टालिन संभालेंगे। इस घोषणा के बाद एम. के. मुत्थु और एम.के. अलगिरी को पार्टी से निकाल दिया गया और स्टालिन का पूरी पार्टी में एकक्षत्र राज चलने लगा।

सियासी पटखनी देने में माहिर

स्टालिन ने पहली बार साल 1984 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस दौरान उनको हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद इसी विधानसभा क्षेत्र से स्टालिन ने 1989,1996,2001 और 2006 का विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। फिर साल 2011 और 2016 में वह कोलाथुर विधानसभा से चुनाव में उतरे और दोनों बार जीत हासिल की।

पहले उप-मुख्यमंत्री और जन नेता

तमिलनाडु के इतिहास में स्टालिन मात्र एक ऐसे नेता हैं, जिनके पास डिप्टी सीएम का पद रहा। वहीं साल 2009 में वह जब राज्य के सीएम बने, तो उनके चाहने वालों में खुशी की एक लहर दौड़ गई थी । स्टालिन हमेशा से जनता से जुड़े रहने वालों मे से हैं।

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