Saturday, September 21, 2024

सावन 2024 : आज से भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीने “सावन” की हुई शुरुवात ,सावन का महीना माना जाता है बेहद पावन !

DIGITAL NEWS GURU RELIGIOUS DESK :- 

सावन 2024 : आज से भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीने “सावन” की हुई शुरुवात ,सावन का महीना माना जाता है बेहद पावन !

आज 22 जुलाई से भोलेनाथ का सबसे प्रिय और शुभ महीने  “सावन”  की शुरूआत हो गई है। इस पूरे समय में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती हैं हिंदू धर्म ऐसी मान्यता है कि शिव भगवान के पूजन के लिए श्रावण का महीना बहुत ही कल्याणकारी और शुभ माना जाता है। ऐसे में जो मानव उनकी कृपा पाना चाहते हैं उन्हें सारे सावन के सोमवार का व्रत करना चाहिए तो जानिए इस व्रत की पूजा विधि …..

सावन के पहले सोमवार का है विशेष  महत्व :

हिन्दू वैदिक वेदों और शास्त्रों की मान्यता के अनुसार सावन के पहले सोमवार के  दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की उन सभी इच्छाओ की पूर्ति  होती हैं और व्यक्ति के  जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। आपको बता दे की सावन का पहला सोमवार  तमाम पापों से मुक्ति और शुभ फलों की प्राप्ति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

ऐसा माना जाता  है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ  के ध्यान और उपासना से महादेव की  विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन के तमाम  संकट दूर हो सकते हैं। सावन के पहले सोमवार की पूजा विशेष रूप से भक्तों को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है। इस दिन शिवलिंग की पूजा करके और नियमों का पालन करके आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं।

बहुत ही शुभ है सावन माह :

सावन का महीना अपने आप में बेहद शुभ माना जाता है। इस पूरे महीने सोमवार व्रत रखना एक पुरानी परंपरा और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा भाव है, जिसका लोग भक्ति और भाव के साथ पालन करते हैं। साथ ही भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह समय शिव पूजा के लिए बहुत ही शुभ होता है। •किसी भी प्रकार के मुहूर्त और योग की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में इस दौरान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव मंदिर अवश्य जाएं और सभी पूजा नियमों का पालन करें।

सावन के शुभ योग:

हिंदू पंचांग के अनुसार, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 37 मिनट से शुरू हो चुका है। वहीं, इसका समापन रात्रि 10 बजकर 21 मिनट पर होगा। इसके बाद अमृत काल दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। फिर विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।

भोलेनाथ के इस व्रत को कुछ इस दिनचर्या से करें :

प्रातः होते ही जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।और पूरे घर में गंगा जल छिड़क अपने घर को पवित्र करें और सच और साफ सफेद वस्त्र धारण करे या आपके पास जो हो वह कपड़े धारण करें। अब पूजा करने के लिए एक चौकी या मंदिर पर साफ आसान बिछाकर भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग विराजमान करें। गंगा जल और पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक करें। फिर बेलपत्र, फूल और सफेद चंदन के लेप से सजाएं। ॐ नमः शिवाय का जाप करें या महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार भी जाप भी कर सकते हैं।

अपशब्द शब्दों का ना करें प्रयोग :

महादेव की व्रत कथा का पाठ करें या फिर शिव चालीसा पढ़कर अंत में शिव जी की आरती करके पूजा को संपन्न करें। पूजा में हुई गलती के लिए क्षमायाचना करें। शिव जी के आशीर्वाद के लिए शिवालय जाएं। और व्रत वाले दिन जितना हो सके अपशब्द शब्दों का उपयोग ना करें और किसी के प्रति कष्ट देने वाला व्यवहार बिल्कुल भी ना करें। और अपने हृदय को पूर्ण रूप से भगवान शिव के प्रति समर्पण करने का भाव रखें और मन को पवित्र रखें।

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