Sunday, November 24, 2024

Sam Manekshaw birthday special: कौन थे सैम मानेकशॉ, जिनसे नाराज हो गईं थीं तत्कालीन प्रधानंमत्री इंदिरा गांधी !

DIGITAL NEWES GURU NATIONAL DESK :-

Sam Manekshaw birthday special: कौन थे सैम मानेकशॉ, जिनसे नाराज हो गईं थीं तत्कालीन प्रधानंमत्री इंदिरा गांधी !

सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) हमेशा से ही अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते रहे है, सैम मानेकशॉ के उपर फिल्म भी बन चुकी है फिल्म का नाम था, सैम बहादुर जैसी फिल्में हमेशा सामाज को आइना दिखाती हैं, जो कि सामाज को उसकी असली तस्वीर दिखलाती हैं।

वहीं, कुछ फिल्में इतिहास के पन्नों में जाकर एतिहासिक घटनाओं को लोगों तक पहुंचाने का भी काम करती है। सैम बहादुर नाम से बनी फिल्म बड़े पर्दे पर आ गई है। सैम बहादुर फिल्म में अभिनेता विक्की कौशल सैम मानेकशॉ का किरदार निभा रहे हैं। सैम मानेकशॉ अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं।

 

कौन थे सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw)?:

सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) का पूरा नाम सैम होरमूजजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था। हालांकि, उन्हें कम ही उनके पूरे नाम के साथ पुकारा गया था। सैम मानकेशॉ का जन्म 3 अप्रैल, 1914 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था।

सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) एक पारसी परिवार से आते थे। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा अमृतसर में पूरी करी थी और बाद में वह शेरवुड कॉलेज में दाखिल हुए थे । वह देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी के पहले बैच के अभ्यर्थी भी रह चुके थे।

विभिन्न पदों पर सेवा करते हुए सैम मानेकशॉ भारतीय सेना अध्यक्ष बने और साल 1973 में एक जनवरी को उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई।

सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) ने जोश में आकर ज्वाइन की थी आर्मी:

सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) विदेश जाकर रिसर्च करना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने उन्हें विदेश जाने से मना कर दिया था। ऐसे में उन्होंने जोश में आकर भारतीय सेना में शामिल होने का निश्चय किया था।

 

सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) को 1942 में मिली थी शोहरत:

सैम मानेकशॉ को साल 1942 में द्वितीय विश्व यद्ध के दौरान शोहरत मिली थी। उस समय वह बर्मा मार्चे पर थे, तभी एक जापानी सैनिक ने उन पर साल सात गोलियां चलाई, जो कि उनकी किडनी, आंत और लिवर में जाकर लगी।

सैम मानेकशॉ की जीवनी लिखने वाले जनरल वीके सिंह ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में बताया था कि मानेकशॉ के घायल होने पर उनके कमांडर मेजर जनरल कोवान ने अपना मिलिट्री क्रॉस उतारकर सैम मानेकशॉ को लगा दिया था, क्योंकि मृत सैनिक को मिलिट्री क्रॉस नहीं दिया जाता है।

वहीं, उस समय आदेश थे कि घायलों को वहीं छोड़ दिया जाए, क्योंकि यदि उन्हें साथ लाया जाता, तो पीछे हट रही मिलिट्री की रफ्तार कम हो जाती। हालांकि, उनके अर्दली सूबेदार शेर सिंह सैम मानेकशॉ को अपने कंधों पर उठाकर वापस लाए थे।

कैंप में पहुंचने पर डॉक्टरों ने उनका इलाज करने मना कर दिया था, लेकिन भारतीय सैनिकों के दबाव बनाने पर उनका इलाज किया गया और सैम मानेकशॉ बच गए।

भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत को दिलाई थी सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) ने विजय:

सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) को साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने उस युद्ध की रणनीति का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है। क्योंकि, उनके नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के दांत खट्टे कर दिए थे, जिसके बाद बांग्लादेश नए देश के रूप में सामने आया था।

क्यों नाराज हो गईं थीं इंदिरा गांधी:

साल 1971 में तत्कालीन प्रधानंमत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw) से मुलाकात की और उनसे मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई करने के लिए कहा, लेकिन सैम मानेकशॉ ने ऐसा करने से इंकार कर दिया।

उनका कहना था कि सेना इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसके साथ ही मौसमी परिस्थितियों को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने इंदिरा गांधी से तब छह माह के लिए समय मांगा था, जिसके बाद उन्होंने जीत की गारंटी दी थी। सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में जब युद्ध लड़ा गया, तो भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था।YOU MAY ALSO READ :- 1 अप्रैल 2024 से सरकार ने नई कर व्यवस्था को डिफ़ॉल्ट सेटिंग के रूप में किया लागू !

आपका वोट

Sorry, there are no polls available at the moment.
Advertisements
Latest news
- Advertisement -

You cannot copy content of this page