Saturday, September 21, 2024

Ruskin Bond Birthday : 90 साल के हुए प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड, पद्मश्री ,पद्मभूषण से हैं सम्मानित

Ruskin Bond Birthday : 90 साल के हुए प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड, पद्मश्री ,पद्मभूषण से हैं सम्मानित

Ruskin Bond Birthday: पद्मश्री और पद्मभूषण लेखक रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond) 19 मई यानी आज 90 साल के पूरे हो गए है. और इस उम्र में भी वे लगातार अपनी किताबों को लिख रहे हैं. हाल में उनके द्वारा लिखी गयी एक किताब ‘द हिल ऑफ इंचेंटमेंट ऑन क्लाउड 90 विद रस्किन बॉन्ड’ का विमोचन किया जा चुका है. इसके बाद हाल में उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी फेलोशिप से भी सम्मानित किया जा चुका है.

रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond) आज भी मसूरी में बेहद ही साधारण तरीके से अपना जीवन जीना पसंद करते है. रस्किन ये चाहते हैं कि जब तक उनकी सांस चले वे बच्चों के लिए हमेशा कहानियां लिखते रहें. सादगी के साथ अपना जीवन जीने वाले रस्किन बॉन्ड को एक छोटा-सा केक काटकर ही अपना जन्मदिन मनाना अच्छा लगता है.

90 की उम्र में रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond) लिख डाली है एक नयी किताब

रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond) ने हाल में उन्होंने अपनी एक और नयी किताब का विमोचन किया था. इस किताब का नाम ‘द हिल ऑफ इंचेंटमेंट ऑन क्लाउड 90 विद रस्किन बॉन्ड’था . इस किताब को एलेफ बुक कंपनी पब्लिशर्स ऑफ फाइन राइटिंग के निदेशक डेविड डेविडर के साथ संयुक्त रूप से पब्लिश किया था. यह किताब रस्किन के जीवन के बारे में एक आत्मकथात्मक है. रस्किन जिस स्थान पर इस समय रहते हैं, वहां के पहाड़ों का समावेश उन्होंने अपनी नयी किताब में भी किया हुआ है.

रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond) का दादी संग बीता था बचपन

रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond) का जन्म 19 मई साल 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था. रस्किन के पिता अब्रे बाॅन्ड, ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स में काम करते थे. जब रस्किन सिर्फ चार वर्ष के थे, तभी उनके माता-पिता एक-दूसरे से अलग हो गये थे और उनकी मां ने एक भारतीय से दूसरी शादी कर ली थी. इसके बाद रस्किन अपनी ही दादी के साथ देहरादून में रहने लगे थे.

शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से अपनी शुरूआतीपढ़ाई पूरी करने के बाद वे लंदन चले गये थे. रस्किन ने अपने लेखन की शुरुआत लंदन में ही कर दी थी. 17 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला उपन्यास ‘रूम ऑन द रूफ’ भी लिख दिया था, जिसके लिए उन्हें प्रतिष्ठित जॉन लेवेनिन राइस अवाॅर्ड से नवाजा भी गया था. लंदन में जब उनका मन नहीं लगा था, तो वे वापस भारत लौट आये थे और यहीं आकर ही बस गये थे .

बच्चों को कहानी सुनानेवाले दादाजी है रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond)

रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond) ने अब तक 500 से भी ज्यादा कहानियां, उपन्यास, संस्मरण और कविताओं को लिख चुके हैं. उनकी ज्यादातर रचनाएं बच्चों पर ही आधारित होती हैं. बच्चों के लिए लिखी गयी उनकी कहानियों में पतंगवाला, एक नन्हा दोस्त, अंधेरे में एक चेहरा, चालीस भाइयों की पहाड़ी, बुद्धिमान काजी, अल्लाह की बुद्धिमानी, झुकी हुई कमरवाला भिखारी आदि लोकप्रिय हैं. अपनी इन्हीं सारी कहानियों के चलते ही वे बच्चों के बीच कहानी सुनाने वाले दादा जी के नाम से भी जाने लगे थे.

पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किये जा चुके रस्किन बॉन्ड (Ruskin Bond)

रस्किन बाॅन्ड को साल 1957 में इंग्लैंड में जॉन लेवन राइस मेमोरियल पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है ।वहीं साल 1992 में अंग्रेजी मे लेखन के लिए उनकी लघु कहानियों के संकलन ‘आर ट्रीज स्टिल ग्रो इन देहरा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी दिया जा चुका है.

साल 1999 में रस्किन बॉन्ड को बाल साहित्य में योगदान के लिए पद्मश्री से और साल 2014 में पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा साल 2012 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा रस्किन बाॅन्ड को पीएचडी की मानद उपाधि से भी विभूषित किया जा चुका है.

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