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Ram Prasad Bismil birth anniversary :इस महान क्रांतिकारी, कवि, शायर, साहित्यकार, और इतिहासकार के बारे में और जानते कुछ अनसुनी बातें
Ram Prasad Bismil: 11 जून साल 1897 को महानायक राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) का जन्म हुआ था. काकोरी कांड के मामले में ही उन्हें 19 दिसंबर, साल 1927 को गोरखपुर की जेल के अंदर फांसी पर चढ़ा दिया गया था. आइये इस लेख में इस महान क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil), कवि, शायर, साहित्यकार, और इतिहासकार के बारे में और जानते हैं कुछ अनसुनी बातें
सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में हैं!
देखना है जोर कितना, बाजु-ए-कातिल में है?
कवि और शायर राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) की ये कुछ पंक्तियाँ बतातीं हैं कि उनके दिल में अंग्रेजों के प्रति कितनी ज्यादा आग थी.
राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) का काकोरी-काण्ड क्या है?
7 मार्च साल 1925 को बिचपुरी तथा 24 मई साल 1925 को द्वारकापुर में उन्होंने दो राजनीतिक डकैतियाँ डालीं थी परन्तु इस डकैतियाँ से इन्हे कुछ विशेष धन प्राप्त नहीं हुआ था.इन राजनीतिक डकैतियों में उनके साथी भी मारे गये थे जिसके कारण उन्होंने तय किया कि वे अब केवल सरकारी खजाना को ही लूटा करेंगे.
सरकारी खजाने को पूरी तरह से लूटने के इरादे से शाहजहाँपुर में उनके ही घर पर 7 अगस्त साल 1925 को हुई एक इमर्जेन्सी मीटिंग में हुए निर्णय के अनुसार ही 9 अगस्त साल 1925 को शाहजहाँपुर रेलवे स्टेशन से बिस्मिल के नेतृत्व में कुल 10 लोग, जिनमें राजेन्द्र लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खाँ,चन्द्रशेखर आजाद, मन्मथनाथ गुप्त, शचीन्द्रनाथ बख्शी, मुकुन्दी लाल, केशव चक्रवर्ती (छद्मनाम) आदि लोग इनकी टीम का हिस्सा थे. अब 8 लोग सहारनपुर और लखनऊ वाली पैसेंजर रेलगाड़ी में सवार हो गए थे.
सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर जैसे ही लखनऊ से पहले काकोरी रेलवे स्टेशन पर रुक कर आगे बढ़ी, क्रान्तिकारियों ने चेन खींचकर उसे रोक लिया और सरकारी खजाने का बक्सा नीचे गिरा दिया. बक्से को खोलने की कोशिश की गयी लेकिन वह नहीं खुला तो हथौड़े से बक्सा खोला गया और खजाने को लूट लिया गया था लेकिन जल्दबाजी के कारण
कुछ चाँदी के सिक्कों व नोटों से भरे चमड़े के कुछ थैले वहीँ पर ही छूट गये थे.
ब्रिटिश सरकार ने इस डकैती को काफी गंभीरता से लिया और सी॰ आई॰ डी॰ इंस्पेक्टर आर॰ ए॰ हार्टन के नेतृत्व में स्कॉटलैण्ड की सबसे तेज तर्रार पुलिस को इसकी जाँच का काम सौंप दिया.
6 अप्रैल 1927 को विशेष सेशन जज ए0 हैमिल्टन ने 115 पृष्ठ के निर्णय में प्रत्येक क्रान्तिकारी पर गंभीर आरोप लगाये और डकैती को ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की एक सोची समझी साजिश बताया था.
गोरखपुर की जेल में राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) दी गयी थी फाँसी
बिस्मिल की आत्मकथा मे बताया गया था की 18 दिसम्बर साल 1927 को उन्होंने अपने माता-पिता से अन्तिम मुलाकात करी हुई थी . और दूसरे दिन सोमवार को 19 दिसम्बर साल 1927 को प्रात:काल ही 6 बजकर 30 मिनट पर गोरखपुर की जिला जेल में उन्हें फाँसी दे दी गयी थी. और उनकी अंतिम यात्रा में लगभग 1.5 लाख लोगों ने भी हिस्सा लिया था.
राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil) एक महान क्रांतिकारी, कवि, शायर, साहित्यकार थे. उनके द्वारा लिखी गयी कुछ पुस्तकों के नाम इस प्रकार है
1. मैनपुरी षड्यन्त्र,
2. स्वदेशी रंग,
3. चीनी-षड्यन्त्र (चीन की राजक्रान्ति)
4. अरविन्द घोष की कारावास कहानी
5. अशफ़ाक की याद में,
6. सोनाखान के अमर शहीद-‘वीरनारायण सिंह
7. जनरल जार्ज वाशिंगटन
8. अमरीका कैसे स्वाधीन हुआ?