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Ram Jethmalani birth anniversary : राम जेठमलानी एक ऐसे वकील थे जो किसी भी पहचान के मोहताज नहीं थे, राज्यसभा सांसद भी रह चुके थे
देश के सबसे बड़े और मंहगे वकील थे राम जेठमलानी । इसके साथ ही राम जेठमलानी राज्यसभा सांसद भी रह चुके थे। राम जेठमलानी को साल 2016 में राष्ट्रीय जनता दल ने राज्यसभा भेजा था। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कानून मंत्री कि जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
मुंबई लोकसभा सीट से वह दो बार भाजपा सांसद रह चुके हैं। वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
17 साल की उम्र में बने वकील
राम जेठमलानी एक ऐसे वकील थे जो किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। उन्होंने कई बड़े केस लड़े हैं। राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर साल 1923 को हुआ था । जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में ही कानून की डिग्री हासिल कर ली थी और 18 की उम्र में प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। हालांकि उस समय नियमानुसार 21 साल की उम्र से ही प्रैक्टिस की जा सकती थी लेकिन उन्हें छूट मिली और वह 18 की उम्र में वकील बनकर कराची में पैरवी करने लगे। साल 1947 में जिस समय देश का विभाजन हो रहा था । तो उस समय जेठमलानी अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई आ गए थे । और यहां पर रह कर उन्होंने एक नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करी हुई थी।
रिफ्यूजी कैंप में बिताए कई दिन
राम जेठमलानी ने मात्र 18 साल की उम्र में दुर्गा से शादी कर ली हुई थी । और बाद में राम जेठमलानी ने दूसरी शादी रत्ना सहानी से कर ली थी । रत्ना पेशे से खुद एक वकील थीं और दोनों ने साल 1952 में शादी कर ली थी। उनके दो बेटे और तीन बेटियां हैं। जिसमें से महेश जेठमलानी और स्वर्गीय रानी जेठमलानी भी मशहूर वकील हैं। विभआजन से पहले राम जेठमलानी पाकिस्तान के सिंध में वकील और प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थे। विभाजन के बाद जब दंगे हुए तो अपने दोस्त की सलाह पर वह भारत आए थे। उन्होंने कई दिन रिफ्यूजी कैंप में बिताए और उस समय उनकी जेब में केवल एक पैसे का सिक्का था।
भाजपा के टिकट पर बने सांसद
छठवीं और सातवीं लोकसभा में वह भाजपा के टिकट पर मुंबई से सांसद चुने गए। स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उन्होंने कानून और शहरी विकास मंत्री का कार्यभार संभाला था। हालांकि 2004 में उन्होंने वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। वह बेशक आपराधिक मामलों के वकील थे लेकिन वह भारत के कानूनी समुदाय का जाना-पहचाना चेहरा रहे हैं। वह संवैधानिक मामलों से संबंधित कई महत्वपूर्ण मामलों में मौजूद रहे हैं। सात मई 2010 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष चुना गया था।
आपकी उम्र से ज्यादा मेरी वकालत का अनुभव!
अपने बेबाक अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले राम जेठमलानी कई बार न्यायाधीशों से यह तक कह देते थे कि आपकी उम्र से ज्यादा तो मेरा वकालत का अनुभव है। उनकी इस बात का कोई बुरा नहीं मानता था। उन्होंने कानून के विषय पर कई किताबें लिखी हैं। नलिन गेरा और सुसान एडेलमेन ने उनकी आत्मकथा लिखी है जिनके नाम हैं- राम जेठमलानी: एन अनऑथॉराइज्ड बायोग्राफी और द रीबेल 8 सितम्बर साल 2019 को स्वास्थ खराब होने के कारण जेठमलानी का निधन हो गया था ।