Saturday, November 23, 2024

पीएम मोदी ने उज्जैन में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी का किया उद्घाटन

पीएम मोदी ने उज्जैन में दुनिया की पहली वैदिक घड़ी का किया उद्घाटन

Digital News Guru Madhya Pradesh Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी,2024 दिन गुरुवार को उज्जैन में विश्व की पहली वैदिक घड़ी का उद्घाटन किया है, जो ज्योतिषियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

साथ ही उज्जैन आने-जाने वाले लोगों के लिए यह आकर्षण का प्रमुख केंद्र भी बन गया है। तो आइए इस वैदिक घड़ी (Vedic Clock In Ujjain) के बारे में विस्तार से जानते हैं, जो इस प्रकार है –

वैदिक घड़ी क्या है ?

वैदिक घड़ी में आप समय के साथ ही लग्न, ग्रहण, मुहूर्त और पर्व की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। वैदिक  घड़ी में मौजूदा ग्रीन विच पद्धति के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में विभाजित किया गया है। समय को पल, घटी में विभाजित किया गया है। हर घटी के नाम दिए गए हैं। जैसे 12 बजे को आदित्य नाम दिया है। उसी तरह हर समय या घटी को एक नाम दिया गया है। वैदिक घड़ी में मौजूदा ग्रीनविच पद्धति की समय गणना यानी घंटे, मिनट, सेकंड वाली घड़ी भी रहेगी।

उज्जैन में ही क्यों बना वैदिक घड़ी?

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है महाकालेश्वर, जो उज्जैन में बसा हुआ है। उज्जैन हमेशा से काल गणना का केंद्र रही है। यहां से कर्क रेखा गुजरती है और मंगलग्रह का जन्म स्थान भी इसे ही माना जाता है। साथ ही यहीं से विक्रम संवत की शुरुआत भी मानी जाती है, जो कि राजा विक्रमादित्य के नाम पर बना था। सनातन धर्म में तारीख और दिन की गणना विक्रम संवत के आधार पर होती है। इसलिए दुनिया की पहली ऐसी वैदिक घड़ी जीवाजीराव वेधशाला में 80 फीट ऊंचे टावर पर लगाई गई है। इस घड़ी की एक नहीं बल्कि कई खासियतें हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी का वैदिक घड़ी पर क्या कहना है?

पीएम मोदी ने वर्चुअल उद्घाटन करते हुए कहा कि उज्जैन का काफी महत्व है |  भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में विश्व की जो पहले वैदिक घड़ी लगाई गई है, यह श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनेगी | महाराजा विक्रमादित्य शोध विद्यापीठ के निदेशक राम तिवारी ने बताया कि धीरे-धीरे वैदिक घड़ी राशिफल भी बताएगी |

 क्या है खासीयत

1. इसमें समय देखने के साथ ही मुहूर्त, ग्रहण, संक्रंति और पर्व आदि की जानकारी भी मिलेगी।

2. वैदिक घड़ी इंटरनेट, जीपीएस से जुड़ी होने से हर जगह के लोग इसका उपयोग कर सकते हैं।

3. यह घड़ी मौजूद स्थान के सूर्योदय के आधार पर समय की गणना करेगी।

4. इस घड़ी को मोबाइल और टीवी पर भी सेट किया जा सकेगा। इसके लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल ऐप भी जारी किया जाएगा।

5. इस घड़ी में 1 से 12 के स्थान पर क्रमशः- ब्रह्म, अश्विनौ, त्रिगुणा, चतुर्वेदा, पञ्चप्राणा:, षड्रसाः, सप्तर्षयः, अष्टसिद्धयः, नवद्रव्याणि, दशदिशः, रुद्राः एवं आदित्याः लिखा है। इनमें से 12 आदित्य, 11 रूद्र, 8 वसु एवं 2 अश्विनीकुमारों की गिनती सनातन धर्म के प्रसिद्ध 33 कोटि देवताओं में की जाती है।

6. विक्रमादित्य वैदिक घड़ी भारतीय काल गणना पर आधारित विश्व की पहली घड़ी है जिसे वैदिक काल गणना के समस्त घटकों को समवेत कर बनाया गया है। इस घड़ी में भारतीय पंचांग समाहित रहेगा। विक्रम सम्वत् मास, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्यौहार, चौघडि़या, सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, आकाशस्थ, ग्रह, नक्षत्र, ग्रहों का परिभ्रमण इसमें स्वाभाविक रूप से समाहित होंगे।

वैदिक परंपरा के अनुसार दर्शाने की कोशिश

संस्था के निर्देशक ने आगे कहा, आरोह श्रीवास्तव एक युवा है और वे मर्चेंट नेवी में वे कार्यरत थे | उन्होंने इस वैदिक घड़ी के एप्प को तैयार करने में पूरा समय दिया है. वैदिक घड़ी में हमने सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त और कुल 24 घण्टे का जो समय है उसको वैदिक परंपरा अनुसार हमने दर्शाने की कोशिश की है।

वैदिक घड़ी को मोबाइल द्वारा भी ऑपरेट कर सकते हैं

घड़ी के टेक्नीशियन सुशील गुप्ता ने बताया कि हमारा जो पुराना कालगणना का तरीका था, उसी कैलकुलेशन पर ये वैदिक घड़ी बनाई गई है. 30 घंटे की इस वैदिक गणित वाली घड़ी से मुहूर्त भी देख सकेंगे और यह मोबाइल ऐप से भी ऑपरेट हो सकती है. करीब 80 फीट ऊंचे वॉच टावर पर लगाने के लिए करीब 150 फीट ऊंची क्रेन के माध्यम से घड़ी को वॉच टावर पर स्थापित किया गया है. पहले इसकी टेस्टिंग की जाएगी

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