Sunday, November 24, 2024

Nathuram Godse Birth Anniversary: कांग्रेस की सभाओं में भाषण से लेकर गांधी की हत्या तक, आईए जानते है नाथूराम गोडसे की कुछ अनसुनी बातें

DIGITAL NEWS GURU POLITICAL DESK :-

Nathuram Godse Birth Anniversary: कांग्रेस की सभाओं में भाषण से लेकर गांधी की हत्या तक, आईए जानते है नाथूराम गोडसे की कुछ अनसुनी बातें

Nathuram Godse Birth Anniversary: नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने जब महात्मा गांधी की हत्या करी थी उसके बाद गोडसे ने बताया कि गाँधी की हत्या का सबसे बड़ा कारण हिंदुओं की बर्बादी था. इसके साथ देश का बटवारा भी बताया था। इसके साथ ही गोडसे ने गांधीजी की हत्या के बाद खुद पर गर्व होने की बात कह डाली थी।

जब भी हम लोग गांधी का हत्यारा, ये शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) का नाम सामने आ जाता है। महात्मा गांधी की हत्या करने के बाद गोडसे ने उन्हें हिंदुओं की बर्बादी का कारण भी बताया था।

नाथूराम गोडसे Nathuram Godse की व्यक्तिगत जानकारी

19 मई, यानी आज ही के दिन नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) का जन्म हुआ था। गोडसे का जन्म वर्ष 1910 में पुणे के बारामती में हुआ था। नाथूराम एक ब्राह्मण परिवार में पिता विनायक वामनराव गोडसे और माता लक्ष्मी के घर हुआ था। गोडसे के जन्म से बचपन तक की कहानी भी काफी अलग रही। गोडसे अपने परिवार का चौथा बेटा था और उसका परिवार खुद को श्रापित मानता था। उसके परिवार का कहना था कि उनके घर जन्मी लड़कियां तो बच जाती थीं, लेकिन लड़के श्राप के कारण मर जाते थे।

नाथूराम गोडसे का लड़कियों की तरह बीता बचपन

गोडसे (Nathuram Godse) के परिवार में बेटों की अकाल मृत्यु होने के कारण उसे लड़कियों की तरह पाला गया था। उससे पहले पैदा हुए तीन लड़कों की बचपन में मौत हो गई थी। इसके चलते घर वालों ने नाथूराम को नाक छिदवाकर, फ्रॉक पहनाकर 12 साल की उम्र तक ऐसे ही रखा।

इसलिए नाथूराम गोडसे का नाम रामचंद्र से नाथूराम पड़ा 

नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) का नाम रामचंद्र था, लेकिन लड़कियों की तरह भेष रखने और नाक छिदवा कर रखने के कारण उसके दोस्तों और परिजनों ने उसका नाम नाथूराम रखा। नाथूराम के बाद उसके भाई दत्तात्रेय का जन्म हुआ और इसी कारण उसका परिवार मानने लगा कि उसने ही सभी को श्राप से मुक्त करवाया है।

कांग्रेस की सभाओं में नाथूराम गोडसे देते थे भाषण

दरअसल, महात्मा गांधी ने देश के हर अलग-अलग राज्यों में जाकर छात्रों, महिलाओं और आम लोगों के बीच जाकर काफी भाषण देते थे । और उसके साथ ही गाँधी खादी को अपनाने और कांग्रेस में शामिल होने की बात कहा करते थे। गांधी जी की इसी यात्रा के कारण लोग कांग्रेस से जुड़ने भी लगे थे और देश में स्वाधीतना का माहौल भी पैदा होने लगा था।
इसी दौरान नाथूराम के पिता जो डाक विभाग में थे, उनकी पोस्टिंग रत्नागिरी हो गई। रत्नागिरी में गोडसे कांग्रेस के नेताओं से मिलकर सभाओं में जाने लगा। सभाओं में गोडसे भाषण भी देने लगा।

वीर सावरकर से मुलाकात ने नाथूराम गोडसे के बदले विचार

गोडसे की रत्नागिरी में इसके बाद विनायक दामोदर सावकर से मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद से उसकी विचारधारा में परिवर्तन आना शुरू हुआ और वह हिंदुत्व की राह पर चलने लगा। दरअसल, सावरकर अंडमान की सेल्यूलर जेल में काले पानी की सजा काट कर लौटे थे और वे अपने हिंदुत्व के सिद्धांत के अनुसार भाषण देते थे। इसी भाषणों से गोडसे काफी प्रभावित हो गए थे । और उसके बाद गोडसे ने कांग्रेस की सभाओं से दूरी बनानी शुरू कर दी थी।

देश के बटवारे के बाद नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी से हो गयी थी नफरत

महात्मा गांधी की हत्या के पीछे हमेशा से गोडसे का देश के बटवारे के खिलाफ होना ही माना जाता था । गोडसे कभी भी नहीं चाहते थे । कि देश को कभी भी धर्म के आधार पर बांटा जाए। इन्हीं सब को देखते हुए गोडसे ने गांधी जी की हत्या की प्लानिंग रच डाली थी । इसके बाद ही गोडसे ने दत्तात्रेय आप्टे, मदन लाल पहवा और विष्णु करकरे के साथ मिलकर गांधी को मारने की सोच बनाई। इसके बाद 20 जनवरी साल 1948 को पहवा ने प्लान के अनुसार प्रार्थना सभा में विस्फोट किया गया था, लेकिन गोडसे का एक साथी गिरफ्तार हो गया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी के सीने में दाग थी तीन गोलियां 

साथी की गिरफ्तारी के बाद भी गोडसे को जरा सा भी डर नहीं लगा था और अपनी नफरत की आग बुझाने के लिए 29 जनवरी को दिल्ली के बिड़ला भवन में जाकर गोडसे ने गांधी जी के सीने में तीन गोलियां दाग दीं थी। गोडसे को इसके बाद पकड़ लिया गया था और उसने गांधी जी की हत्या के लिए गोडसे ने खुद पर गर्व होने की बात कह डाली थी, जिसके बाद कोर्ट के आदेशानुसार गोडसे को 15 नवंबर साल 1949 को फांसी दे दी गयी थी ।

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