Sunday, November 24, 2024

Narain Karthikeyan birthday special: 16 साल की उम्र में जीती पहली रेस,  देश के पहले फॉर्मूला वन चालक नारायण कार्तिकेयन के बारें में जानें कुछ खास बातें

DIGITAL NEWS GURU SPORTS DESK :- 

नारायण कार्तिकेयन जन्मदिन विशेष ( Narain Karthikeyan birthday special):

भारत का पहला फॉर्मूला ड्राइवर बनना नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan ) का सपना था और इन्होंने इस सपने को जल्द ही पूरा कर दिखाया था। आपको बता दें कि नारायण की पहली रेस चेन्नई के पास श्रीपेरम्बूर में हुई। जिसका नाम फॉर्मूला मारुती था इन्होंने इस रेस को 16 साल की उम्र में भाग लेकर किया था।

नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan ) भारत के एकमात्र फॉर्मूला वन चालक हैं। नारायण मात्र 16 वर्ष की आयु में फॉर्मूला मारुती में भाग लेकर जीत हासिल करी थी । नारायण कार्तिकेयन का जन्म 14 जनवरी 1977 तमिलनाडु में हुआ था। आज वह युवाओं के लिए गति के प्रतीक हैं और खिलाड़ी के रूप में एक आदर्श माने जाते हैं। इनका पूरा नाम कुमार राम नारायण कार्तिकेयन है। 2005 में इन्होंने ऑस्ट्रेलियन ग्रान्ड प्रिक्स से अपने करियर की शुरुआत की।

भारत के प्रथम फॉर्मूला ड्राइवर थे  नारायण कार्तिकेयन:

नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan )के पिता जी आर कार्तिकेयन पूर्व भारतीय राष्ट्रीय रैली चैंपियन थे। जिसकी वजह से नारायण की कार के खेलों में रूचि बचपन से ही जाग्रत हो गई थी।नारायण कार्तिकेयन का सपना था भारत का प्रथम फॉर्मूला ड्राइवर बनना और इन्होंने इस सपने को जल्द ही पूरा कर दिखाया। आपको बता दें कि नारायण की पहली रेस चेन्नई के पास श्रीपेरम्बूर में हुई। जिसका नाम फॉर्मूला मारुती था इन्होंने इस रेस को 16 साल की उम्र में भाग लेकर किया था। इस रेस में नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan ) ने शानदार जीत हासिल की थी।

1992 पायलट एल्फ प्रतियोगिता में सेमी फाइनलिस्ट थे  नारायण कार्तिकेयन:

नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan )ने फ्रांस के एल्फ विन्फील्ड रेसिंग स्कूल से ट्रेनिंग ली थी, और 1992 को फॉर्मूला रिनॉल्ट कार की पायलट एल्फ प्रतियोगिता में सेमी फाइनलिस्ट भी बने थे, कार रेसिंग के अलावा नारायण कार्तिकेयन को स्कीट शूटिंग, फोटोग्राफी और टैनिस का भी शौक है। वह स्वयं को फिट रखने के लिए योग और मैडिटेशन करते रहते हैं। आपको बता दें कि नारायण भारत के प्रथम फॉर्मूला वन रेसर बन चुके हैं। इसके साथ उन्होंने कोयम्बटूर में स्पीड एन कार रेसिंग नाम की मोटर रेसिंग अकादमी खोली है।

1993 में नारायण कार्तिकेयन फॉर्मूला रेस में भाग लेने भारत आए:

1993 में नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan ) फॉर्मूला रेस में भाग लेने भारत आए। इसके साथ उन्होंने फार्मूला वॉक्सहाल जूनियर चैंपियनशिप में ब्रिटेन में भी हिस्सा लिया। यूरोपीय रेसिंग में अनुभव के बाद 1994 में ‘फार्मूला फोर्ड जेटी सीरीज’ में फाउंडेशन रेसिंग टीम में नंबर दो के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भाग लिया। आपको बता दें कि इन्होंने उसी वर्ष एस्टोरियल रेस में जीत हासिल किया। इसके साथ इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय रेस में हिस्सा लिया।

1997 में नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan ) पुन: ब्रिटेन लौट गए ताकि ब्रिटिश फार्मूला ओपेल चैंपियनशिप में भाग ले सकें। इसमें उन्होंने पोल पोजीशन में भाग लिया और डोमिंगटन पार्क में जीत हासिल की। अंकों के मामले में ओवरआल उन्होंने छठा स्थान प्राप्त किया। 1998 में नारायण ने ब्रिटिश फार्मूला थ्री चैंपियनशिप में पहली बार भाग लिया। उनके साथ कार्लिन मोटर स्पोर्ट टीम भी थी। उन्हें अगले तीन वर्षों तक इसी टीम के साथ थोड़ी-बहुत सफलता हासिल होती रही। उस वर्ष की दो रेसों के फाइनल में उन्होंने दूसरा-तीसरा स्थान प्राप्त किया। इन रेसों में उन्होंने स्पा फ्रेंकर चैम्पस एंड सिल्वर स्टोन में केवल 10 राउंड में भाग लिया था। वह ओवरऑल मुकाबले में 12 स्थान पर रहे।

1999 में नारायण कार्तिकेयन ( Narain Karthikeyan ) ने पांच बार चैंपियनशिप जीती थी, जिसमें से दो बार ब्रांड्‌स हैच रेस में विजयी रहे। वह दो बार पोल पोजीशन, तीन बार सबसे तेज लैप और, दो बार लैप का रिकॉर्ड बनाने में सफल रहे। इस वर्ष वह 30 ड्राइवरों के बीच चैंपियनशिप मुकाबले में छठे स्थान पर रहे। मकाऊ ग्रैंड प्रिक्स में वह छठे स्थान पर रहे। 2000 में उन्होंने ब्रिटिश एफ 3 चैंपियनशिप मुकाबले में भाग लिया और चौथे स्थान पर रहे। स्पा फ्रेंकर चैंप्स बेल्जियम और कोरियाई सुपर प्रिक्स की अन्तरराष्ट्रीय रेस में भी वह पोडियम तक पहुंचने में सफल रहे। 2001 में नारायण ने फार्मूला निप्पन एक 3000 चैंपियनशिप में भाग लिया और प्रथम दस डाइवरों के बीच स्थान प्राप्त किया।

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