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Maneka Gandhi Birthday special : विवादों और लाइमलाइट से हमेशा दूर रहती है मेनका गाँधी, अपने से 10 साल बड़े संजय गांधी से करी थी शादी !
सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी की सांसद मेनका गांधी (Maneka Gandhi) आज यानी की 26 अगस्त को अपना 67वां जन्मदिन मना रही हैं। विवादों और लाइमलाइट से दूर रहने वाली मेनका गांधी (Maneka Gandhi) अपना अधिकतर समय लोगों और पशुओं की सेवा में लगाती हैं।
मेनका गांधी (Maneka Gandhi) का पशुप्रेम तो जग जाहिर है। वह गांधी-नेहरु परिवार से ताल्लुक रखती हैं। बता दें कि मेनका गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की पत्नी हैं। आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर गांधी परिवार की बहू बनने से लेकर भाजपा की सांसद बनने तक के सफर के बारे में…
मेनका गांधी (Maneka Gandhi) का जन्म:
मेनका गांधी (Maneka Gandhi) का जन्म 26 अगस्त साल 1956 को दिल्ली मे हुआ था। मेनका गांधी (Maneka Gandhi) को महज 17 साल की उम्र में उनका पहला मॉडलिंग ब्रेक मिल गया था। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र स्वर्गीय संजय गांधी मेनका के बॉम्बे डाइंग के एड को देखकर उनके दिवाने हो गए। साल 1973 में दोनों की मुलाकात हुई और इसके बाद दोस्ती हो गई। जल्द ही यह दोस्ती प्यार में बदल गई।
मेनका गांधी (Maneka Gandhi) की शादी:
हालांकि मेनका और संजय शादी करना चाहते थे। लेकिन संजय की मां यानी की इंदिरा गांधी का यह रिश्ता नामंजूर था। लेकिन 23 सितंबर साल 1974 में 18 साल की मेनका ने खुद से 10 साल बड़े संजय गांधी से शादी रचा ली। मेनका और संजय की शादी के बाद इंदिरा गांधी ने रातों-रात अपनी बहू के बॉम्बे डाइंग के पोस्टर हटवा दिए थे।
संजय गांधी की मौत:
साल 1982 में एयर क्रैश में संजय गांधी का निधन हो गया था। इसके बाद मेनका गांधी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा आयोजित रैलियों में हिस्सा लेने लगीं। सत्ता हासिल करने के शक में इंदिरा गांधी ने उनको घर से निकाल लिया। महज 23 साल की उम्र में मेनका गांधी के पास एकमात्र सहारा उनका 100 दिन का बेटा वरुण गांधी था। वरुण की जिम्मेदारियों के साथ मेनका गांधी का जीवन संघर्षमय हो गया था। क्योंकि पहले मेनका अपने पति संजय के साथ दौरों पर जाती थीं। लेकिन पति की मौत के बाद सब कुछ बदल गया था।
मेनका गांधी (Maneka Gandhi) जनता दल में हुईं शामिल:
ससुराल से निकाले जाने के बाद मेनका गांधी एक कमरे का घर लेकर उसमें अपने बेटे के साथ रहने लगीं। इसके बाद मेनका ने अपने पति संजय गांधी के ट्रक बेचकर कुछ पैसे एकत्र किए। इस पैसे से वह मैगजीन व किताबें लिखने लगीं और धीरे-धीरे खुद को स्थापित करने लगीं।
इसी दौरान उन्होंने राष्ट्रीय संजय मंच का गठन किया। आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 5 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की। साल 1984 में मेनका गांधी ने राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी में चुनाव भी लड़ा था। लेकिन इस दौरान उन्हें राजीव गांधी के सामने हार का सामना करना पड़ा था।
इसके बाद साल 1988 में मेनका गांधी वीपी सिंह की जनता दल में शामिल हो गईं। फिर साल 1989 में वह लोकसभा चुनाव में पहली बार सांसद बनीं और फिर इसके बाद केंद्रीय मंत्री बनीं। उसके बाद मेनका गांधी को अपनी जिंदगी में कभी पीछे पलटकर नहीं देखना पड़ा।
मेनका गांधी (Maneka Gandhi) का पशु प्रेम:
इसके अलावा मेनका गांधी का पशुओं के प्रति प्रेम किसी से छिपा नहीं है। वह सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंच से अक्सर लोगों को पशुओं के प्रति जागरुक करती चली आ रही हैं। वह एक पशुओं की देखभाल के लिए ‘पीपल फॉर एनिमल्स’ नामक संस्था भी चलाती हैं। बता दें कि यह संस्था पशुओं पर की जाने वाली क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाती है।
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