Saturday, September 21, 2024

आइए जानते हैं आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें !

DIGITAL NEWS GURU UTTAR PRADESH DESK :- 

आइए जानते हैं आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें !

Mahavir Prasad Dwivedi: आधुनिक हिंदी साहित्य के पुरोधा आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 15मई, 1864 में दौलतपुर, जिला रायबरेली, उत्तर प्रदेश में हुआ था। द्विवेदी जी के पिता का नाम ‘रामसहाय द्विवेदी’ था।

जब ‘महावीर प्रसाद’ हो गया औपचारिक नाम

महावीर प्रसाद की शुरूआती शिक्षा गांव की एक पाठशाला से ही शुरू हुई थी । इसके बाद जब इनके पिताजी ने उनका विद्यालय में दाखिला करवाया था तो वहाँ के भूलवश प्रधानाध्यापक ने भूलवश ‘महावीर सहाय’ के बजाय ‘महावीर प्रसाद’ नाम इनका दर्ज कर लिया था। इस बात पर उनके पिताजी ने भी विशेष ध्यान नहीं दिया और यह भूल भविष्य में स्थायी बन गई थी। जिसके बाद वह आगे चलकर हिंदी साहित्य जगत में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के नाम से ही विख्यात हुए थे।

स्कूली शिक्षा के बाद शुरू की नौकरी

द्विवेदी जी ने स्कूली शिक्षा के बाद स्वाध्याय ही अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने किशोरावस्था से ही जीवनयापन हेतु रेलवे में विभिन्न पदों पर रहते हुए नौकरी की। कुछ वर्ष रेलवे में कार्य करने के बाद वह झांसी में ज़िला ट्रैफिक अधीक्षक के कार्यालय में मुख्य क्लर्क नियुक्त हुए। नौकरी के दौरान ही उन्होंने अपनी साहित्य सृजन यात्रा का भी आरंभ किया। वहीं लगभग पांच वर्षों के कार्यकाल पूरा होने के दौरान भी उनकी उच्चाधिकारी से अनबन होने लगी जिसके कारण उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।

‘सरस्वती’ पत्रिका का किया संपादन

इसके बाद महावीर प्रसाद के जीवन में कई उतार-चढ़ाव भी आए थे। लेकिन सन् 1903 में उनकी जिंदगी में एक नया मोड तब आ गया था । जब वह हिंदी की प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक नियुक्त किये गए थे । क्या आप लोग ये भी जानते हैं कि बाबू श्यामसुंदर दास के संपादक पद से इस्तीफ़ा देने के बाद द्विवेदी जी को सरस्वती पत्रिका की कमान सौंपी गई थी। बता दें कि द्विवेदी जी वर्ष 1903 से 1920 तक सरस्वती पत्रिका के संपादक रहे और उन्होंने अपना सारा जीवन संपादन और हिंदी भाषा के सुधार में लगा दिया।

वहीं संपादन के शुरूआती दौर में उन्हें लेखकों की कमी और प्रतिष्ठित लेखकों के बीच में साथ छोड़कर चले जाने के कारण स्वयं ही लेख लिखने पड़ते थे।

अंतिम समय तक नहीं छोड़ा उन्होंने ‘सरस्वती’ का साथ

लगभग दो दशकों तक ‘सरस्वती’ पत्रिका का संपादन करने के बाद जब महावीर प्रसाद साल 1920 में गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे । इसके साथ ही उनके ठीक होने की भी कोई आशा नहीं दिख रही थी। उस समय भी महावीर प्रसाद ने पहले से ही कई लेख लिखकर प्रेस को दे दिए थे ताकि जब तक उनकी जगह कोई नया संपादक नहीं आ जाता तब तक सरस्वती का प्रकाशन सुचारु रूप से चलता ही रहे। इस तरह ‘सरस्वती’ का संपादन छोड़ने के कुछ वर्षों बाद उनका 21 दिसंबर साल 1938 को निधन हो गया thae।

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी साहित्य की कई विधाओं में साहित्य का पूरी तरह से सृजन किया था ।जिनमे मुख्य रूप से निबंध, आलोचना, इतिहास लेखन व संपादन शामिल हैं। यहाँ द्विवेदी जी की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं:

निबध-संग्रह
रसज्ञ रंजन
साहित्य-सीकर
साहित्य-संदर्भ
अद्भुत-आलाप
अन्य गद्य रचनाएँ
वैज्ञानिक कोश
नाट्यशास्त्र
हिंदी भाषा की उत्पति
संपत्तिशास्त्र (अर्थशास्त्र पर लिखी किताब)
कालिदास की निरंकुशता
वनिता-विलाप
कालिदास और उनकी कविता
सुकवि संकीर्तन
अतीत स्मृति
महिला-मोद
वैचित्र्य-चित्रण
साहित्यालाप
कोविद कीर्तन
दृश्य दर्शन
पुरातत्व प्रसंग
संपादन
सरस्वती साहित्यिक पत्रिका (वर्ष 1903 – 1920 तक)
अनुवाद
विनय विनोद – (वैराग्य शतक – भृतहरि)
विहार वाटिका – (गीत गोविंद – जयदेव)
स्नेह माला – (शृंगार शतक – भृतहरि)
गंगा लहरी – (गंगा लहरी – पंडितराज जगन्नाथ)
ऋतुतरंगिणी – (ऋतुसंहार – कालिदास)
मेघदूत – (कालिदास)
कुमारसंभवसार (कुमारसंभवम – कालिदास)
भामिनी-विलास (भामिनी विलास- पंडितराज जगन्नाथ)
अमृत लहरी (यमुना स्रोत – पंडितराज जगन्नाथ)
बेकन-विचार-रत्नावली (निबंध – बेकन)
स्वाधीनता (ऑन लिबर्टी – जॉन स्टुअर्ट मिल)

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