Saturday, September 21, 2024

आईए जानते हैं स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय से जुड़े हुए महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में और इन्हें क्यों दी गई फांसी ?

DIGITAL NEWS GURU HISTORICAL DESK:

आईए जानते हैं स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडेय से जुड़े हुए महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में और इन्हें क्यों दी गई फांसी ?

देश को आजाद कराने के लिए कई वीरों ने बिना अपनी जान की रक्षा किए हुए धरती मां के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी और देश के लिए प्राणों को कुर्बान करने वाले वीरों में से मंगल पांडे पहले वीर थे। मंगल पांडेय का जन्म यूपी के बलिया जिले में 19 जुलाई सन् 1827 को हुआ था तथा उनके गांव का नाम नगवा है और उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मंगल पांडेय के पिता का नाम दिवाकर पांडेय था।

मंगल पांडेय का सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना चयन हो गया। वह बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34 बटालियन में शामिल हुए थे। हमारा भारत देश 15 अगस्त सन् 1947 को आजाद हुआ, लेकिन इस आजादी को पाने के लिए हमने वर्षों तक लड़ाई लड़ी हैं। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सबसे पहले सन् 1857 में बिगुल फूंकी गई और इसे उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में पैदा हुए मंगल पांडेय ने अंजाम दिया था।

मंगल पांडेय ने 1857 में भारत के पहले स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।मंगल पांडेय भारत के ऐसे वीर सपूत थे, जिन्होंने ये एहसास दिलाया कि अगर हम पूरे मन से ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता है। उन्हीं के बदौलत आजादी की लड़ाई ने रफ्तार पकड़ी और हम और हमारा देश आजाद हुए।

कौन थे वीर मंगल पांडेय?

मंगल पांडेय का जन्म यूपी के बलिया जिले में 19 जुलाई सन् 1827 को हुआ था। उनके गांव का नाम नगवा है और उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था। मंगल पांडेय का महज 22 वर्ष की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना चयन हो गया। वह बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34 बटालियन में शामिल हुए थे। इस बटालियन में अधिक संख्या में ब्राह्मणों की भर्ती होती थी, जिस वजह से उनका चयन हुआ था।

मंगल पांडेय ने सन् 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, उन्होंने अपने ही बटालियन के खिलाफ बगावत किया था। मंगल पांडेय ने चर्बी वाले कारतूस को मुंह से खोलने से मना कर दिया था, जिस कारण से उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया और 08 अप्रैल सन् 1857 को उन्हें फांसी के फंदे से झूला दिया गया और इसी पूरी बगावत ने उन्हें मशहूर कर दिया और आजादी की ज्वाला में घी का काम किया। यही कारण था कि उन्हें स्वातंत्रता सेनानी कहा गया ।

क्या थी 1857 के विद्रोह शुरूआत ?

आप सभी ने सुना तो होगा ही कि’अंत ही आरंभ है’ और मंगल पांडेय के जीवन का अंत ही स्वाधीनता संग्राम का आरंभ था। सन् 1857 का विद्रोह का आरंभ तो सिर्फ एक बंदूक की गोली के कारण से हुआ था, मगर इसका परिणाम ऐसा होगा कि आजादी मिलने तक जारी रहेगा, ये किसी ने भी विचार नहीं किया था। ब्रिटिशो ने अपने इस बटालियन को एन्फील्ड राइफल दी थी, जिसका निशाना अचूक था और इस बंदूक में गोली भरने का तरीका काफी पुराना था।

इसमें गोली भरने के लिए कारतूस को दांतों से खोलना होता था और मंगल पांडेय ने इसका विरोध कर दिया था, क्योंकि ऐसी बात फैल चुकी थी कि इस कारतूस में गाय व सुअर के मांस का प्रयोग किया जा रहा है।

मंगल पांडेय का विद्रोह अंग्रेजी हुकूमत को रास नहीं आया और उन्होंने मंगल पांडे को अपने गिरफ्त में ले लिया । मंगल पांडेय को एक तय तारीख से 10 दिन पहले ही 08 अप्रैल सन् 1857 को फांसी दे दी गयी, क्योंकि अंग्रेजी हुकूमत को ऐसी आशंका जताई गई कि उनकी फांसी से हालात बिगड़ सकते है। मंगल पांडेय ने अपने अन्य साथियों से भी इसका विरोध करने के लिए कहा और ठीक ऐसा ही हुआ जैसा की अंग्रेजी हुकूमत को भय था ।

क्या निकला सन् 1857 के विद्रोह का मुख्य कारण?

मंगल पांडेय की इस साहस भरी कुर्बानी व्यर्थ नहीं गई ,क्योंकि उनकी इस कुर्बानी ने अंग्रेजी शासन को स्पष्ट रूप से संदेश दे दिया कि आने वाला समय बहुत ही मुश्किल होने वाला है। मंगल पांडेय की फांसी के एक महीने पश्चात ही 10 मई सन् 1857 को मेरठ की छावनी में कोतवाल धन सिंह गुर्जर के नेतृत्व में बगावत हो गई। इसके बाद कई और जगह से भी ऐसी ही जानकारियां उपलब्ध होने लगी थी।


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