Saturday, September 21, 2024

Lata Mangeshkar death Anniversary : आखिर क्यों लता मंगेशकर ने नही करी थी शादी? आईए जानते है लता दी की कुछ अनसुनी कहानियाँ!

DIGITAL NEWS GURU ENTERTAINMENT DESK :-

लता मंगेशकर जी की पुण्यतिथि ( Lata Mangeshkar Death Anniversary):

स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की आज यानी कि 6 फरवरी को पुण्यतिथि मनाई जाती है। भारत ही नही बल्कि कई देशों में लोग लता मंगेशकर के गाने और उनकी आवाज को सुनना पसंद करते हैं। 28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का जीवन उपलब्धियों से भरा रहा है।

न केवल वह संगीतकारों की आइडियल रहीं, बल्कि संगीत से प्रेम करने वालों के बीच हमेशा चर्चा में रहती हैं। उन्होंने हिंदी समेत 36 भाषाओं में 50 हजार से अधिक गानों में अपनी आवाज दी। भले ही आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।आईए आज हम आप को बताते है उनके जीवन से जुड़ी कई किस्से और बातें हैं जो शायद किसी को पता नही होगा।

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने कभी शादी नहीं की। बतौर एक महिला वह नारी शक्ति की बेहतरीन मिसाल हैं। बिना किसी पर निर्भर हुए उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी खुद की पहचान बनाई और कई उपलब्धियां अपने नाम की। आइए जानते हैं लता मंगेशकर ने शादी क्यों नहीं की और उनके जीवन से जुड़ी उपलब्धियां।

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने शादी क्यों नहीं की?

एक इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर ने शादी न करने की वजह बताई थी। उन्होंने बताया कि घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी उन पर थी। कई बार शादी का ख्याल आया लेकिन वह उसपर अमल नहीं कर सकती थीं। बेहद कम उम्र में काम करने लगीं। उन्होंने सोचा पहले छोटे भाई-बहनों को व्यवस्थित कर दूं। बहनों की शादी कराई, उनके बच्चे हो गए और फिर लता पर उन्हें संभालने की भी जिम्मेदारी आ गई। इस तरह का उनका वक्त निकलता चला गया।

 

रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय थी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar):

लता मंगेशकर साल 1974 में वह रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय बनीं थी। उनकी उपलब्धियां इतनी सारी थीं कि उसी वर्ष गिनीज रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ था। उन्हें भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे अधिक दर्ज की गई कलाकार होने का गौरव मिला।

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)  जी की उपलब्धियां:

स्वर कोकिला लता मंगेशकर को 1970 में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का फिल्मफेयर अवार्ड मिला। 1972 में फिल्म परिचय के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया। 1974 में फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। इसके बाद 1977 में जैत रे जैत के लिए सर्वश्रेष्ठ गायिका और 1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1990 में फिल्म लेकिन के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) जी के नाम देश के सर्वोच्च पुरस्कार:

साल 1989 में लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को पद्म विभूषण मिला था, फिर साल 1990 में श्री राजा लक्ष्मी फाउंडेशन चेन्नई द्वारा पुरस्कार मिला, साल 2000 में आइफा लाइफस्टाइल अचीवमेंट से लता जी को नवाजा गया था, साल 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। साल 2001 में महाराष्ट्र रत्न, साल2002 में आशा भोंसले पुरस्कार, साल 2004 में फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार,साल 2007 में फ्रांस सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार (ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर) से सम्मानित किया।

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) जी क्यों पहनती थी सफेद साड़ी:

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का कहना था कि वो उनको सफेद कॉटन की साड़ियां बहुत पसंद हैँ। उनका ऐसा मानना था कि सफेद रंग उनके स्वभाव और व्यक्तित्व पर जंचता है। यही कारण है कि वो सफेद रंग की साड़ी पहनती थीं। लता जी ने एक इंटरव्यू के दौरान एक बार बताया था कि बारिश के दौरान वो कलरफुल साड़ी पहनकर गाना रिकॉर्ड करने पहुंच गईं थीं। इस दौरान रिकॉर्डनिस्ट ने उनको टोंक दिया था। उसका कहना था, दीदी आज अजीब लग रही हैं।

किसके नाम का सिन्दूर मांग में भारती थी ललता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)?:

लता दीदी ने अपने जीवन में शादी तो नहीं की लेकिन उनकी मांग में अक्सर सिन्दूर के दर्शन होते थे जो भारत में सुहागन की पहचान माने जाते हैं। ये महान सिन्दूर क्यों लगता था, इस पर उन्होंने कभी फ्रैंक की भी बात नहीं की। हालाँकि बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस तबस्सुम ने लता के सिन्दूर के पीछे की वजह का खुलासा किया है .

अभिनेत्री तबस्सुम ने एक इंटरव्यू बताया की उन्होंने एक बार बातों बातों मे मैने लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ये पूछा था की आप ने तो शादी नही करी फिर आप सिन्दूर क्यों लगाती हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘बेटा म्यूजिक ही मेरा सब कुछ है।’ म्यूजिक नहीं तो मैं भी नहीं. लोगों का कहना है कि मांग में सिन्दूर भगवान हैं लेकिन संगीत ही मेरा भगवान है, मेरा सब कुछ है। इसलिए मैं म्यूजिक के नाम का सिन्दूर मांग में हूं।”

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