Saturday, May 11, 2024

Harish Rawat Birthday special: उत्तराखंड के सातवें मुख्यमंत्री हरीश रावत के जन्मदिन पर जानें इनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से !

Harish Rawat Birthday special: उत्तराखंड के सातवें मुख्यमंत्री हरीश रावत के जन्मदिन पर जानें इनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से !

हरीश रावत (Harish Rawat) उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजनीति का वो नाम है जो अपने आप में भी अपनी साख को दर्शाता है। उत्तराखंड (Uttarakhand) में कांग्रेस (Congress) का सबसे अहम, सबसे खास और सबसे वरिष्ठ चेहरा हैं हरीश रावत (Harish Rawat)।

हरीश रावत (Harish Rawat) कांग्रेस के लिए जितने अहम हैं उतने ही उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजनीति के लिए भी। हरीश रावत उत्तराखंड के उन कद्दावर नेताओं में शुमार हैं, जो लाख कठिनाईयों के बाद भी केंद्र के कैबिनेट मंत्री के साथ साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बैठे थे।उत्तराखंड की राजनीति बिना हरीश रावत के नहीं समझी ही नही जा सकती है।

अल्मोड़ा में हुआ था हरीश रावत (Harish Rawat) का  जन्म:

उत्तराखंड के लाल हरीश रावत (Harish Rawat) का जन्म अल्मोड़ा के मोहनरी गांव में हुआ था। अल्मोड़ा अब भले ही उत्तराखंड का भाग हो, लेकिन उस वक्त अल्मोड़ा उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। 27 अप्रैल 1948 को अल्मोड़ा के एक कुमाऊंनी राजपूत परिवार में हरीश रावत का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम राजेंद्र सिंह रावत और मां का नाम देवकी देवी था।

हरीश रावत (Harish Rawat) ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से पूरी की शिक्षा:

हरीश रावत (Harish Rawat) की शिक्षा भी उत्तर प्रदेश में ही हुई। उनकी शुरुआती पढ़ाई गवर्नमेंट इंटर कॉलेज चौनलिया में हुई। इसके बाद हरीश रावत ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीए और 1978-1979 में एलएलबी की डिग्री ली। हरीश रावत ने वकालत की पढ़ाई की।

हरीश रावत (Harish Rawat) ने रेणुका रावत से करी है शादी:

हरीश रावत (Harish Rawat) ने अपने कॉलेज में ही साथ पढ़ने वाली रेणुका रावत से शादी की। रेणुका रावत ने भी लखनऊ यूनिवर्सिटी से ही लॉ की डिग्री ली थी। हरीश रावत के तीन बच्चे हैं। बेटे आनंद सिंह रावत भी राजनीति से जुड़े हैं, जबकि बेटी अनुपमा रावत आईटी सेक्टर से हैं और राजनीति में भी सक्रिय हैं। इसके अलावा आरती रावत भी इनकी बेटी हैं।

1990 से 2014 तक ऐसा रहा हरीश रावत (Harish Rawat) का राजनीतिक सफर:

साल 1990 में हरीश रावत (Harish Rawat) को संचार मंत्री बनाया गया था और मार्च मे ही साल 1990 में राजभाषा कमेटी के सदस्य भी उनको बना दिया गया था । साल 1992 में हरीश ने अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद भी संभाला था । साल 1997 तक वो इस पद पर बने रहेसाल 1999 में हरीश रावत हाउस कमेटी के सदस्य भी बन गए थे साल 2001 में उन्हें उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था ।

साल 2002 में वो राज्यसभा के लिए चुन लिए गए थे । साल 2009 में वो एक बार फिर लेबर एंड इम्‍प्‍लॉयमेंट के राज्य मंत्री बनाऐ गए थे । साल 2011 में उन्हें राज्य मंत्री, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री के साथ संसदीय कार्य मंत्री काकार्यभार भी हरीश रावत को मिला था । 30 अक्टूबर साल 2012 से 31 जनवरी साल 2014 तक जल संसाधन मंत्रालय का नेतृत्व भी हरीश रावत ने ही किया था ।

जब हरीश रावत को मिली थी पूरे उत्तराखंड की कमान:

9 नवंबर साल 2000 को उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी । और साल 2012 के विधानसभा चुनावों में हरीश रावत का नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे मजबूत था, लेकिन उनकी जगह विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया गया।लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था, दरअसल जून साल 2013 में आई केदारनाथ आपदा से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामी के आरोपों के चलते बहुगुणा को सीएम पद से हटा दिया गया था और हरीश रावत को सूबे की कमान सौंप दी गयी थी ।

 

हरीश रावत (Harish Rawat)  कभी पूरा नहीं कर सके अपना कार्यकाल:

वैसे तो हरीश रावत (Harish Rawat) ने उत्तराखंड की कमान तीन बार संभाली थी, लेकिन एक बार फिर वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए है । हर बार उन्हे पांच साल के कार्यकाल से पहले ही अपनी कुर्सी त्यागना पड़ा है ।सबसे पहले एक फरवरी 2014 को उत्तराखंड के सीएम बने , 27 मार्च 2016 को राष्ट्रपति शासन लग गया 1 अप्रैल 2016 को दोबारा सीएम बने , लेकिन एक दिन बाद फिर से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया 11 मई 2016 को फिर से उन्हें सीएम की कुर्सी मिली, 18 मार्च 2017 तक वो सीएम रहे ।

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