Saturday, November 23, 2024

हनुमान गढ़ी पीठ : पिछले 38 वर्षों मे हो चुकी है 20 से ज्यादा साधुओ की हत्या !

हनुमान गढ़ी पीठ : पिछले 38 वर्षों मे हो चुकी है 20 से ज्यादा साधुओ की हत्या !

1000 साल पुरानी और देश की सबसे शक्तिशाली पीठ में से एक हनुमान गढ़ी पीठ…जहां खुद विराजते हैं हनुमानजी। वही अयोध्या के राजा हैं। उनसे शक्तिशाली कोई नहीं है। लेकिन हनुमानगढ़ी पीठ में वर्चस्व की लड़ाई दशकों से चली आ रही है। यहां 38 साल में 20 से ज्यादा साधु-संत और महंतों की हत्या हो चुकी है, सिर्फ इसलिए कि गद्दी, धन-दौलत और संपत्ति पर कब्जा हो सके।अभी 5 रोज पहले भी एक नागा साधु की हत्या यहीं हनुमानगढ़ी मंदिर की सीढ़ियों पर कर दी गई। साधु का नाम- राम सहारे दास था। वह हनुमान गढ़ी के बसंतिया पट्‌टी के साधु थे। हत्या उन्हीं के चेलों ने की। वह पट्‌टी की गद्दी पर कब्जा और साधु के पैसों को हड़पना चाहते थे

हनुमान गढ़ी की गद्दी कितनी अहम है? और यहां वर्चस्व की जंग कब से चली आ रही है?

हनुमान गढ़ी की गद्दी कितनी अहम है? और यहां वर्चस्व की जंग कब से चली आ रही है? आज  हम इसके  कुछ किस्सों और हकीकत से आपको रुबरू करवाएंगे । अयोध्या की प्रसिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी का अपना संविधान है। यहां का पूरा कामकाज इसी संविधान के मुताबिक चलता है। पीठ का अपना अखाड़ा और पंचायत भी है, यह लोकतांत्रिक तरीके से फैसले लेता है। इसके बावजूद यहां गद्दी, अखाड़ा और वर्चस्व की लड़ाई दशकों से चलती चली आ रही है। यहां कद, पद और पैसे के लिए हत्याएं तक हो जाती हैं।

1997 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने महंत रामकृपाल दास उर्फ पगला बाबा की हत्या कर दी

1997 में हनुमानगढ़ी के महंत रामकृपाल दास उर्फ पगला बाबा की हत्या कर दी जाती है। बताया जाता है कि उन्हें अयोध्या की गलियों में दौड़ाकर गोली मारी गई थी। इस हत्या में श्रीप्रकाश शुक्ला का हाथ था। अयोध्या के संत और महंत ऑफ कैमरा बोलते हैं, लेकिन कैमरे के सामने किसी का  नाम भी  नहीं लेते हैं।

इसी तरह हनुमानगढ़ी के महंत शंकर दास, महंत बजरंग दास और महंत हरिभजन दास आदि की भी सरेआम हत्या कर दी गई। इन हत्याओं के बाद पुलिस और न्यायालय की कार्यवाही हुई। मुकदमे भी हुए और लोग जेल भी गए। पर हत्याओं का दौर नहीं थम सका है।हनुमानगढ़ी के 52 बीघा परिसर में ही ठकुराइन मंदिर है।

ठकुराइन मंदिर से निकली गई थी 3 संतों की लाशे :

बात 2007 की है, इसी मंदिर के ग्राउंड फ्लोर से पुलिस ने जमीन खोदकर 3 संतों की लाश निकाली थी। गद्दी और वर्चस्व की लड़ाई में इन्हें भी मारकर गाड़ दिया गया था। इनकी हत्या किसने और क्यों किया था? इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है।

रुपयों के लिए  चेले ने ही की थी साधु राम सहारे की हत्या 

इसी 19 अक्टूबर को हनुमानगढ़ी के सहायक पुजारी राम सहारे दास की उनके चेले ने गला काटकर हत्या कर दी। पुजारी की हत्या कर आरोपी 10 लाख रुपए लेकर भागे थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मृतक पुजारी के पास करीब 1 करोड़ रुपए कैश था। जिस पर शिष्य की नजर थी। हत्या से पहले उसने CCTV भी बंद कर दिया था। जिससे वह पकड़ा नहीं जा सके। आरोपी झारखंड का रहने वाला है और 8 महीने पहले पुजारी आश्रम लाए थे। यहीं पर रहकर वह पढ़ाई कर रहा था।

साधु राम सहारे को बसंतिया पट्टी की ओर से मिली थी पूजा की जिम्मेदारी 

साधु राम सहारे दास हनुमान गढ़ी के सहायक पुजारी थे। वे बसंतिया पट्टी की ओर से पुजारी थे। हनुमानगढ़ी की पूजा में एक समय पांच पुजारी होते हैं। चारों पट्टी के चार व एक मुख्य पुजारी निर्वाणी अखाड़ा से नियुक्त होते हैं। इनका कार्यकाल 6 महीने का होता है।

गद्दीनशीन महंत का चुनाव करते है पंचायत के सदस्य 

हनुमानगढ़ी में महंत पद का चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से होता है। पीठ की पंचायत के सदस्य ही महंत चुनते हैं। इसके बावजूद इसके बावजूद पद प्रतिष्ठा की लड़ाई में प्रभाव का भरपूर इस्तेमाल होता रहा है। डेढ़ साल पहले पीठ के सर्वोच्च पद गद्दीनशीन के चुनाव में पूरा हनुमानगढ़ी अखाड़ा दो खेमे में बंट गया था। बात शासन-प्रशासन तक पहुंची तो वरिष्ठ अधिकारियों की देखरेख में बमुश्किल इस पद के लिए चुनाव संपंन्न हुआ। इसमें महंत प्रेमदास का चुनाव गया। ऐसे ही पीठ की चारों पट्टी का चुनाव भी समय-समय पर होता रहता है।

प्रभु  श्री राम के आदेश पर स्वयं हनुमान जी विराजते  है यहा :- 

हनुमानगढ़ी करोड़ लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां दर्शन किए बिना रामलला का दर्शन अधूरा माना जाता है। ये वही मंदिर है, जिसे भगवान राम ने लंका से लौटने के बाद अपने प्रिय भक्‍त हनुमानजी को रहने के लिए दिया था।मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने साकेत गमन से पहले हनुमानजी को इस किले पर रहकर अयोध्या की रक्षा का दायित्व सौंपा था। इस आदेश के बाद से हनुमानजी यहां साक्षात विराजमान हैं। हनुमानजी ही अयोध्या के राजा हैं और राजा की तरह ही उनकी सेवा होती है। इस बात का जिक्र अथर्ववेद में भी है। हनुमान गढ़ी में हर साल डेढ़ से दो करोड़ लोक दर्शन करते हैं। फिलहाल हनुमान गढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास हैं।

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