महिला जज ने की इच्छा मृत्यु की मांग, कहा कि मेरे साथ शारीरिक शोषण हुआ है, मैं दूसरों को न्याय देती हूं, लेकिन खुद अन्याय का शिकार हुई हूं।
Digital News Guru Uttar Pradesh Desk: उत्तर प्रदेश के बांदा में तैनात महिला जज के हैरसमेंट मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज हाई कोर्ट से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। Chief Justice Of India (CJI) के आदेश के बाद SC (Supreme Court) के सेक्रेटरी जनरल अतुल एम कुरहेकर ने हाईकोर्ट प्रशासन से बांदा में तैनात महिला जज के हैरसमेंट मामले पर, उनकी तरफ से की गई सभी शिकायतो और कार्यवाई का स्टेटस मांगा है।
दरअसल, गुरुवार को महिला जज का एक लेटर वायरल हुआ था। CJI के नाम लिखे इस पत्र में उन्होंने खुद के साथ हुए सैक्सुअल हैरसमेंट का जिक्र करते हुए इच्छा मृत्यु की मांग की थी। इस लेटर में उन्होंने लिखा था कि भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ है। मैं दूसरों को न्याय देती हूं, लेकिन खुद अन्याय का शिकार हुई।
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यही नहीं, उन्होंने यह भी लिखा कि जब मैंने जज होते हुए इंसाफ की गुहार लगाई, तो 8 सेकेंड में सुनवाई करके पूरा मामला अनसुना कर दिया गया मैं लोगों के साथ न्याय करूंगी, यह सोचकर न्यायिक सेवा जॉइन की थी, मगर मेरे साथ ही अन्याय हो रहा है। अब मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा है। इसलिए मुझे इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए।
इस लेटर को लेकर मीडिया ने जब महिला जज से बात की, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ये लेटर दोस्तों को भेजा था। शायद उन लोगों ने वायरल किया है। हालांकि, महिला जज ने यह लेटर लिखने की बात स्वीकार की है।
2022 में बाराबंकी में हुआ शोषण
महिला जज ने बताया- 7 अक्टूबर 2022 को बाराबंकी जिला बार एसोसिएशन ने न्यायिक कार्य के बहिष्कार का प्रस्ताव पारित कर रखा था। उसी दिन सुबह साढ़े 10 बजे मैं अदालत में काम कर रही थी। इसी दौरान बार एसोसिएशन के पदाधिकारी कई वकीलों के साथ कोर्ट कक्ष में घुस आए। मेरे साथ बदसलूकी शुरू कर दी गाली-गलौज करते हुए कमरे की बिजली बंद कर दी गई।
हमने इसकी शिकायत अगले दिन यानी 8 अक्टूबर को अपने सीनियर जज से की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। भरी कोर्ट में मुझे अपमानित किया गया। शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया गया। इसके बाद मैंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इसकी शिकायत की। मगर, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
महिला जज की बाराबंकी में हुई थी पहली पोस्टिंग
पीड़ित महिला जज 31 साल की हैं। वह राजधानी लखनऊ की रहने वाली हैं। हाईस्कूल से लेकर LLM तक एग्जाम में टॉपर्स की लिस्ट में रहीं हैं। 4 साल पहले 2019 में न्यायिक सेवा जॉइन की थी पहली पोस्टिंग 2019 में बाराबंकी में मिली थी। महिला जज के मुताबिक, यहीं उनके साथ बदसलूकी हुई। सेक्सुअल हैरसमेंट हुआ। इसके बाद मई 2023 में उनका ट्रांसफर बांदा कर दिया गया।
7 अक्टूबर को क्या हुआ था… (जैसा महिला जज ने अपनी शिकायत में लिखा)
महिला जज के मुताबिक, पहले उन्होंने इसकी शिकायत अपने सीनियर से की। लेकिन, एक्शन नहीं हुआ। इसके बाद हाईकोर्ट से शिकायत की। इसके बाद हाईकोर्ट ने बाराबंकी एसपी को महिला जज को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने घटना के दिन का वीडियो फुटेज भी सुरक्षित करने के निर्देश भी दिए थे।
मामले की शुरुआत 7 अक्टूबर को हुई। उस दिन बाराबंकी जिला बार एसोसिएशन ने न्यायिक कार्य बहिष्कार का प्रस्ताव पारित कर रखा था। उसी दिन सुबह साढ़े 10 बजे मैं अदालत में काम कर रही थी। इसी दौरान बार एसोसिएशन के सीनियर पदाधिकारी कई वकीलों के साथ कोर्ट कक्ष में घुस आए। मेरे साथ बदसलूकी दी गाली-गलौज करते हुए कमरे की बिजली बंद कर दी।
वहां काम कर रहे वकीलों को बाहर निकाल दिया। इसके बाद मुझे धमकी दी गई। मेरे खिलाफ नारे लगाए गए। लोग मेरे चैंबर में घुस आए और कहने लगे कि आपको हमारा सपोर्ट नहीं करना है। दिमाग खराब है। सुधर नहीं रही हो। जब बोला गया है कि आज कार्य बहिष्कार है तो फिर क्यों डायस पर बैठकर फाइल देख रही हो उतरो डायस से।
अपने आप को क्या समझती हो अब जो मैं कहूंगा, वही होगा, कोई कोर्ट नहीं चलने दूंगा। ऐसे कोर्ट नहीं चलेगी। जैसे तुम चला रही हो मैं तुम्हारी कोर्ट का फुल बायकॉट करवाऊंगा। तुम काम नहीं कर पाओगी। इस लायक नहीं छोडूंगा। महिला अधिकारी हो सुधर जाओ। वरना अच्छा नहीं होगा।
बार की गरिमा को बनाए नहीं रखोगी, तो तुम्हारी गरिमा नहीं बचेगी। काम करने लायक नहीं बचोगी। ये धमकी ही है सुधर जाओ। ऐसे कोर्ट नहीं चलती।
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