Saturday, November 23, 2024

पिछड़ों को उनका हक मिलना चाहिए, यूपी में बिहार की तरह जातिगत जनगणना होनी चाहिए: मोहम्मद सुलेमान

पिछड़ों को उनका हक मिलना चाहिए, यूपी में बिहार की तरह जातिगत जनगणना होनी चाहिए: मोहम्मद सुलेमान

“सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क को भारतीय इतिहास के बारे में ज्ञान नहीं है”

Digital News Guru Kanpur Desk: उत्तर प्रदेश में जातिगत जनगणना को लेकर समाजवादी पार्टी लगातार पूरा जोर लगा रही है। यूपी विधानसभा में भी इस मुद्दे पर लगातार सपा नेता सवाल कर रहे हैं।

इसी क्रम में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सपा विधायक सुप्रीमो ने सरकार से जातिगत जनगणना कराने और 75 प्रतिशत आरक्षण देने पर विचार करने की बात कही। जातिगत जनगणना को लेकर समाजवादी पार्टी दो खेमों में बंटी हुई भी दिख रही है। जहां एक ओर सपा मुखिया अखिलेश यादव सरकार से जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं तो वहीं उन्हीं की पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क का कहना है कि जातिगत जनगणना की कोई जरूरत नहीं है। देश के हालात खराब हैं, इसलिए पहले मुल्क के हालात को देखा जाए, जातिगत जनगणना दूसरी सरकार कर लेगी। पहले देश में बदलाव की जरूरत है।

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान

इसी क्रम में इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान का कहना है कि यह राष्ट्रीय मुद्दा है। सांसे पहले इस मुद्दे को इंदिरा गांधी ने उठायाकाका कालेलकर आयोग बनाया था, जिसको ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया।

उसके बाद फिर पिछड़ों की बात उठने लगी तो मंडल आयोग बनाया गया। मंडल आयोग की सिफारिशें आने लगी, जिसे एक बार फिर से दबाने की कोशिश की गई। भाजपा के उस समय का नेतृत्व था जिसमे आडवाणी और वाजपेयी जी थे, इन लोगों ने जनता दल पार्टी पर दबाव बनाया कि आयोग की रिपोर्ट न बाहर आने पाए, लेकिन युग पुरुष वीपी सिंह ने इस आयोग की रिपोर्ट को संसद में रखने की बात कही।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस आयोग से देश के तमाम पिछड़ें वर्ग के लोगों को राजनितिक दबाव से छुटकारा मिल सकता है। पिछड़ों को भारत के अलग अलग जगहों पर नौकरी, व्यवसाय और तमाम जगहों पर आरक्षण और पैसा मिल सकता है, इसलिए इस आयोग की रिपोर्ट को लागू होना चाहिए। इस बात का भाजपा ने विरोध किया और कहा कि अगर आपने इसे लागू किया तो हम सरकार गिरा देगें, लेकिन वीपी सिंह ने इस बात की परवाह नहीं की और मंडल आयोग को लागू कर दिया, जिसके बाद बीजीपी ने सरकार गिरा दी।

उन्होंने आगे कहा, भाजपा की पुरानी नीति है कि पिछड़ों को उनका हक न मिले। आज देश में जातिगत जनगणना प्रचंड मुद्दा बना हुआ है, राहुल गांधी ने भी कह रखा है कि अगर उनकी सरकार 2024 में आती है तो उनका पहला कार्य जातिगत जनगणना को लागू करेंगे और पिछड़ो को उनका हक दिलवाएंगे। उत्तर प्रदेश में भी पिछड़े मजबूर है, वे इस मुद्दे पर मुखर हो, लेकिन उनकी आवाज दबा दी जाती है।

जिस तरह से बिहार में जनगणना हुई है उसी तरह से यूपी में भी होनी चाहिए, लेकिन पिछड़ों को किसी का समर्थन नहीं मिल।  बिहार में जनगणना के बाद सामने आया कि वहां 60 प्रतिशत पिछड़ें है, और वहां की सरकार उनको उनका हक देने जा रही है। यूपी में भी पिछड़ों में चेतना जाग गई है, अखिलेश यादव मजबूर है कि पिछड़ों की बात करें। योगी करा नहीं सकते है क्योंकि उनकी नीति और नीयत दोनों गड़बड़ है और वो पिछड़ों को उनका हक देना भी नहीं चाहते है, इसी लिए इसका विरोध कर रहे है।

मोहम्मद सुलेमान ने आगे कहा, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अंदर से इस जनगणना के फेवर में है लेकिन खुल के अपने विचार नहीं रख पा रहे है। यूपी में भी बिहार की तरह जनगणना होनी चाहिए और पिछड़ों को उनके हिस्से का हक मिलना चाहिए। मेरे हिसाब से यूपी में भी जनगणना के बाद बिहार के तरह ही नतीजे निकलेंगे। रही बात सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान की तो उनको इतिहास का ज्ञान नहीं है, एक सांसद होने के कारण भारतीय समाज का जो कम्पोजिसन है उसका अध्ययन उनको करना चाहिए। उत्तर भारत में पिछड़ों को उनका हक नहीं दिया गया।

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