Sunday, November 24, 2024

Bachendri Pal birthday special : माउंट एवरेस्ट पर फतह करने वाली बछेंद्री पाल के बारे में जाने आखिर कैसे बिना सहारे के रचा इतिहास

DIGITAL NEWS GURU INTERNATIONAL DESK :-

Bachendri Pal birthday special : माउंट एवरेस्ट पर फतह करने वाली बछेंद्री पाल के बारे में जाने आखिर कैसे बिना सहारे के रचा इतिहास

Bachendri Pal birthday: अगर कोई भी इंसान कुछ ठान ले तो बड़े से बड़े काम को वो आसानी से कर सकता है। ये कहावत तो आप सबने सुनी होगी। ठीक ऐसी ही कहानी है बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) की है।

बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) माउंट एवरेस्ट पर फतह करने वाली और इसके साथ ही तिरंगा फहराने वाली पहली भारतीय महिला बनी हुई थी । बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) ने अपनी इस उपलब्धि को पाने के लिए काफी कड़ी मेहनत भी करी थी। उसी का ये परिणाम हुआ है कि, आज इतिहास के पन्नों पर बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) का नाम लिखा हुआ है। बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के छोटे से गाँव नकुरी गांव से है। बछेंद्री (Bachendri Pal) ने अपने सफल प्रयासों से न केवल उन्होंने अपने पूरे परिवार का नाम रोशन किया हुआ है बल्कि आज पूरे देश को उन पर नाज भी है।

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घरवाले बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) को बनाना चाहते थे टीचर

बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) का जन्म 24 मई साल 1954 को उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के एक छोटे से गाँव नकुरी गांव में हुआ था। बछेंद्री ने बीए में ग्रेजुएशन की पढाई करी हुई है और उसके साथ ही उन्होंने संस्कृत से मास्टर की डिग्री को भी हासिल किया हुआ था। मास्टर की पढाई को पूरा करने के बाद बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) ने बीएड की पढ़ाई को पूरा किया हुआ था। उनके परिवार वाले चाहते थे कि, वह टीचर बनें। पर्वतारोही बनने के लिए पाल को अपने परिवार से बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं मिला। बछेंद्री पाल के पिता किशन पाल सिंह एक साधारण व्यापारी थे।

Jamshedpur's Asmita summits Mt Everest | The Avenue Mail

ऐसे रचा था बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) ने इतिहास

बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) ने अपनी पढाई पूरी करने के बाद नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में दाखिला ले लिया था। उसके बाद साल 1984 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए एक पूरे अभियान दल का गठन किया गया था। जिसका नाम एवरेस्ट 84 भी रखा दिया गया था। इसी दल में बछेंद्री पाल भी शामिल थीं। ट्रेनिंग के बाद उसी साल मई में उनका दल अभियान के लिए निकल गया था। खराब मौसम और तूफान में कठिन चढ़ाई करते हुए भी 23 मई साल 1984 के दिन बछेंद्री पाल ने एवरेस्ट पर फतह करते हुए एक इतिहास रच दिया था।

Traffic on Mount Everest | Mint

पद्मभूषण से सम्मानित हो चुकी हैं बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) 

बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) अपने कठिन संघर्षों के कारण अपने नाम कई उपलब्धियां भी कर चुकी है। उन्हें साल 1984 में पद्मश्री, 1986 में अर्जुन पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें साल 2019 में पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।

Bachendri Pal Climbing Mount Everest

600 से भी ज्यादा लोग हर साल चढ़ रहे है एवरेस्ट

बछेंद्री पाल (Bachendri Pal) ने एक जगह इंटरव्यू मे कहा कि एवरेस्ट पर चढ़ाई करने का पूरा खर्चा 40 से 50 हजार डॉलर तक का होता है। इसमें आप सभी को परमिट फीस के साथ ही अन्य जरूरी सामानों के खर्चे भी शामिल करने होते हैं। आप लोगों को बता दें कि नेपाल हर साल तकरीबन 5 मिलियन डॉलर एवरेस्ट की क्लाइंबिंग फीस से कमा लेता है। बछेंद्री पाल ने कहा कि पहले पर्वतारोहण के लिए क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी अहम थी। इस समय 600 से ज्यादा लोग हर साल एवरेस्ट पर चढ़ाई कर रहे हैं। यह एक तरह का पागलपन है।

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