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बी.एस येदियुरप्पा जन्मदिन विशेष (B.S. Yediyurappa birthday special):
भाजपा के दिग्गज और वरिष्ठ नेता बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) ने भले ही अपने राजनैतिक सफर पर विराम लगा दिया है। लेकिन उन्होंने विधानसभा में अपने अंतिम भाषण के दौरान कहा कि भाजपा के लिए हमेशा संघर्ष करते रहेंगे। आज के दिन यानि की 27 फरवरी को कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा का जन्म हुआ था।
बता दें कि 4 बार सीएम का पद संभालने के बाद उन्होंने अपनी चुनावी राजनीति से संन्यास का एलान कर दिया था। एक गरीब परिवार में जन्मे बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) ने अपने सियासी सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। आज उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं, उनसे जुड़ी कुछ खास बातें.
बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) का जन्म और शिक्षा:
कर्नाटक के सीएम रह चुके बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) का पूरा नाम बूकानाकेरे सिद्धलिंगप्पा येदियुरप्पा है। बता दें कि वह लिंगायत समुदाय से आते हैं। कर्नाटक के मंड्या जिले के बुकानाकेरे गांव में इनका जन्म 27 फरवरी साल 1943 को हुआ था। इसी गाँव में ही बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) का बचपन बीता था। बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) जब सिर्फ 4 साल के ही थे तो उनकी माता पुट्टतायम्मा का निधन हो गया था। जिसके बाद उनके पिता सिद्दलिंगप्पा ने अकेले उनकी परवरिश की है। बीएस येदियुरप्पा ने 12वीं की पढ़ाई के बाद ग्रेजुएशन पूरा किया।
बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) की शादी और परिवार:
साल 1967 में वीरभद्र शास्त्री की पुत्री मैत्रादेवी से शादी की। बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) की 5 संताने हैं। जिनमें से दो बेटे राघवेंद्र और विजयेंद्र और 3 बेटियां अरुणादेवी, पद्मावती और उमादेवी हैं। वहीं साल 2004 में एक हादसे में बीएस येदियुरप्पा की पत्नी मैत्रादेवी की मौत हो गई थी।
बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) का राजनैतिक करियर:
सामाजिक कल्याण विभाग में बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) ने एक क्लर्क अपनी सेवा देने के बाद नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह कर्नाटक के शिकारीपुरा नगर में एक चावल की फैक्ट्री में काम करने लगे। वहीं महज 15 साल की उम्र से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े गए थे। साल 1965 में शिकारीपुर इकाई के संघ में उन्हें सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई और साल 1972 में जनसंघ अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया।
फिर 1975 में शिकारीपुरा टाउन नगर पालिका के सदस्य के रूप में येदियुरप्पा नई जिम्मेदारी मिली। इसके बाद उन्हें 1983 में कर्नाटक विधानमंडल के लोअर हाउस के लिए चुना गया। बता दें कि इस सीट से उन्हें 6 बार चुना गया। उनके काम से प्रभावित होकर साल 1988 में भाजपा ने कर्नाटक राज्य का अपना पार्टी अध्यक्ष बना दिया था।
वहीं 1994 के असेंबली इलेक्शन में भाजपा को करारी हार मिली तब बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) को कर्नाटक विधानसभा का विपक्ष का नेता बनाया गया था। 1999 में असेंबली सीट से हार का सामना करने के बाद साल 2004 में हुए असेंबली चुनाव में शानदार जीत हासिल की। जनता दल (सेकुलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी के साथ मिलकर येदियुरप्पा ने अलायन्स गवर्नमेंट बनाई थी।
इसमें उन्हें उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि यह गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं टिक पाया। 12 नवंबर 2007 को येदियुरप्पा ने पहली बार कर्नाटक के सीएम का पद संभाला। लेकिन जनता दल पार्टी के विरोध के कारण इन्हें महज 7 दिन के अंदर सीएम पद छोड़ना पड़ा। जिसके बाद साल 2008 में फिर से विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनी और एक बाद फिर येदियुरप्पा सीएम बनें।
भाजपा के सबसे कद्दावर नेता है बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) :
81 साल के बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। राज्य में भाजपा को जमीनी स्तर पर खड़ा करने में उनका काफी योगदान है, ऐसे में भाजपा से इतर येदियुरप्पा का अपना अलग जनाधार है। भाजपा यह बात जानती है, यही कारण है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में उनको चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर सकती।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के राजनीतिक विश्लेषक ए नारायण कहते हैं कि भाजपा पहले येदियुरप्पा के बिना ही चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी, लेकिन स्थानीय स्तर पर लोगों का पार्टी के प्रति भरोसा कम है। ऐसे में भाजपा को येदियुरप्पा का ही सहारा लेना पड़ा।
लिंगायत समुदाय पर बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) की है अच्छी पकड़:
कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत समुदाय का खास स्थान है। यह समुदाय राज्य में 17 प्रतिशत के आसपास है और करीब 100 विधानसभा सीटों पर इसका प्रभाव है। ऐसे में भाजपा के लिए इस समुदाय को नजरअंदाज करना मुश्किल है। दूसरी तरफ, इस समुदाय पर येदियुरप्पा की मजबूत पकड़ मानी जाती है।
बीते दिनों ही लिंगायत मठों के 100 से अधिक संतों ने बी.एस येदियुरप्पा (B.S. Yediyurappa) को अपना समर्थन दिया था। यह दूसरा कारण है, जिसके चलते भाजपा इस बार भी येदियुरप्पा फैक्टर पर निर्भर है।YOU MAY ALSO READ :- Sandeep Singh birthday special: कौन हैं भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह,इनकी जिंदगी पर बन चुकी है एक फिल्म!