Saturday, September 21, 2024

Kailash Kher birthday special : काफी संघर्षों से भरा रहा है कैलाश खेर का करियर, मुंबई का सफर नही था कैलाश के लिए आसान

DIGITAL NEWS GURU ENTERTAINMENT DESK:

Kailash Kher birthday special : काफी संघर्षों से भरा रहा है कैलाश खेर का करियर, मुंबई का सफर नही था कैलाश के लिए आसान

गायक कैलाश खेर (Kailash Kher) बॉलीवुड की एक ऐसी शख्सियत है । जिन्होंने अपनी आवाज के दम पर बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई हुई है। कैलाश खेर ने फिल्म ‘फना’ में ‘चांद सिफारिश’ गाना गाया और फिल्म ‘बाहुबली’ में ‘जय जयकारा’ गा कर कैलाश ने अपनी गायिकी का लोहा मनवाया हुआ है।

कैलाश को बॉलीवुड इंडस्ट्री मे आने के लिए काफी लंब संघर्ष के बाद इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। एक सफल गायक बनने के पीछे उनकी कड़ी मेहनत है। उनके संघर्षों का सफर महज 14 साल की उम्र में ही शुरू हो गया था। जब वो घर से भाग गए थे। इस दौरान उन्होंने दर-दर के ठोकरें खाई थी। मुंबई तक का सफर उनका आसान नहीं था। चलिए जानते हैं उनके इसी स्ट्रगल के बारे में।

गायक कैलाश खेर आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। कैलाश का जन्म 7 जुलाई,साल 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था। कैलाश ने अपना सफर उत्तर प्रदेश से ही शुरू किया था ।और उसके बाद उत्तराखंड और दिल्ली चले गए थे। दिल्ली में उनके सपनों को पंख मिल गए और उन्होंने ऐसी उड़ान भरी की एक के बाद एक लगातार कई सुपरहिट गाने दिए। आज वो जिस मुकाम पर हैं वहां तक पहुंचना आसान बात नहीं है। उन्होंने कई जतन किए। सिंगर महज 14 साल की उम्र में घर से भाग गए थे और सीधे ऋषिकेश के पहाड़ों में पहुंचे। जहां, उन्होंने अपना घर बना लिया था।

कैलाश हो गए थे डिप्रैशन का शिकार

कैलाश खेर ने अपने सिंगिंग करियर शुरू करने से पहले अपने एक दोस्त के साथ मिलकर हैंडिक्राफ्ट का बिजनेस शुरू किया हुआ था। जिसके चलते कैलाश काफी डिप्रैशन में भी चले गए थे । और यहाँ तक उन्होंने अपनी जिंदगी तक को खत्म करने का फैसला कर लिया था। इसलिए तो गंगा नदी तक में छलांग लगा ली थी। लेकिन किस्मत को तो उन्हें आसमान पर ले जाना था तो मौत मुकम्मल कैसे होती। उन्होंने महज 4 साल की उम्र में ही अपनै टैलेंट दिखाना शुरू कर दिया था। उनके पिता मेहर सिंह खेर एक भारतीय लोक गायक थे। वो कश्मीरी परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

साधु ने दिखाई थी कैलाश को राह, दिल्ली में भी खाए थे धक्के

घर से भागने के बाद जब कैलाश उत्तराखंड के पहाड़ों में साधुओं के साथ आश्रम में रहने लगे थे। जब हर दिन गंगा घाट पर गंगा आरती की तैयारी हुआ करती थी । तो कैलाश अपनी मधुर आवाज से कुछ गाने गुनगुनाते थे और सभी साधु-संतों को अपनी आवाज से झुमाते भी थे। ये सब देखकर एक दिन एक साधु ने कैलाश को अपने पास बुलाया और कहा कि तुम इतना परेशान क्यों रहते हो? भोलेनाथ सब अच्छा करेंगे। तुम्हारी आवाज में जादू है।’ यहां से उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला किया। इस दौरान फिर वो दिल्ली चले आए और यहां उन्होंने खूब धक्के खाए। खर्च चलाने के लिए छोटे-मोटे काम कर लिया करते थे।

मुंबई में कैलाश खेर को मिली उनके सपनों की उड़ान

गायक कैलाश खेर दिल्ली मे कुछ दिन रुकने के बाद मुंबई चले आये थे । जहां पर कैलाश को उनके सपनों को पूरा करने का मिल गया था। मुंबई पहुँच कर कैलाश ने कई पॉपुलर ब्रांड के लिए जिंगल भी गाए थे। जबकि शुरुआती समय में कैलाश को जिंगल का मतलब तक नहीं पता होता था। उनकी ये जिंगल्स मशहूर म्यूजिक कंपोजर विशाल- शेखर की जोड़ी तक पहुंच गयी थी। विशाल-शेखर ‘वैसा भी होता है कभी कभी’ के लिए सिंगर खोज रहे थे। उसमें गाना ‘अल्लाह के बंदे’ गाना था, जिसकी तलाश कैलाश खेर पर आकर खत्म हुई। ये खूब पॉपुलर हुआ और सिंगर ने फिर कभी पलटकर नहीं देखा।


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