Saturday, September 21, 2024

AIMPLB सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने हलाल को लेकर दी प्रतिक्रिया कहा- प्रोडक्ट पर बैन लगाना गलत, सरकार इस्लामोफ़ोबिया से है ग्राषित- मोहम्मद सुलेमान

AIMPLB सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने हलाल को लेकर दी प्रतिक्रिया कहा- प्रोडक्ट पर बैन लगाना गलत, सरकार इस्लामोफ़ोबिया से है ग्राषित- मोहम्मद सुलेमान

मोहम्मद सुलेमान ( संस्थापक सदस्य AIMPLB )

Digital News Guru Breaking News:  यूपी की योगी सरकार ने AIMPLBहलाल सर्टिफिकेट से जुड़े फूड प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया है। सरकार का मानना है कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर अवैध कारोबार हो रहा है। यही नहीं, सर्टिफिकेशन से होने वाली अवैध कमाई से आतंकी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को फंडिंग की जा रही है।

दरअसल, लखनऊ के ऐशबाग निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा ने थाना हजरतगंज थाने में 16 नवंबर को हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली 4 कंपनियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। इनमें हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिंद ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई और जमीयत उलेमा मुंबई शामिल हैं। ये कंपनियां वेज फूड को भी सर्टिफाइड कर रही थीं।

उधर, हलाल पर यूपी में बैन लगाने पर जमीअत उलमा-ए-हिंद प्रेस रिलीज जारी किया है। जमीअत का कहना है कि उसके पास हलाल को लेकर वैध प्रमाण पत्र है। वाणिज्य मंत्रालय का प्रमाण पत्र है।

साथ ही तय नियम के अनुसार हलाल का कार्य कर रहा है। जमीअत ने कहा कि वो पूरी स्पष्टता और ईमानदारी के साथ हलाल का संचालन कर रहा है।

FIR कराने वाले का आरोप है कि आस्था के साथ किया जा रहा खिलवाड़

शैलेंद्र कुमार का कहना है कि ये कंपनियां हलाल सर्टिफिकेट अलग-अलग प्रोडक्ट्स के लिए जारी कर रही हैं। इससे लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यूपी में हलाल सर्टिफिकेट देकर एक धर्म विशेष के ग्राहकों को धर्म के नाम पर कुछ उत्पादों की ब्रिकी बढ़ाने के लिए आर्थिक फायदा दिया जा रहा है।

साबुन-टूथपेस्ट के लिए दिया जा रहा हलाल सर्टिफिकेट शैलेंद्र कुमार ने कहा कि जिन कंपनियों ने हलाल सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया, उनके उत्पादन की बिक्री को घटाने की कोशिश की जा रही है, जो कि आपराधिक कृत्य है। आशंका है कि इस अनुचित फायदे को समाज और राष्ट्र विरोधी तत्वों को पहुंचाया जा रहा है।

शैलेंद्र कुमार के मुताबिक, शाकाहारी प्रोडक्ट्स जैसे तेल, साबुन, टूथपेस्ट, शहद आदि की बिक्री के लिए भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है, जबकि शाकाहारी वस्तुओं पर ऐसे किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती।

जाहिर है कि एक समुदाय विशेष और उनके प्रोडक्ट्स के खिलाफ षड्यंत्र किया जा रहा है। साथ ही एक वर्ग विशेष के जरिए प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है कि ऐसे उत्पाद का इस्तेमाल न करें, जिसे हलाल प्रमाणपत्र न दिया गया हो।

हलाल सर्टिफिकेट चुनिंदा कंपनियां ही देती हैं भारत में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया सर्टिफिकेशन (FSSAI) करीब सभी प्रोसेस्ड खाने पर देखा जा सकता है। यह अथॉरिटी भारत में हलाल सर्टिफिकेट नहीं देती। भारत में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली महत्वपूर्ण कंपनियां हैं- हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, जमात उलेमा-ए-महाराष्ट्र और जमात उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट।

हलाल का मतलब… जो वैध हो

हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है जायज (वैध)। हलाल बिजनेस कई तरह के हो सकते हैं। जैसे- खाना, दवाइयां, कॉस्मेटिक्स, कपड़े, टूरिज्म, अकाउंटिंग, बैंकिंग, फाइनेंस आदि।

क्या बोले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मोहम्मद सुलेमान

कानपुर में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने हलाल प्रोडक्ट लिखे जाने के मामले में प्रतिक्रिया दी है । उन्होंने सरकार द्वारा इस पर बैन लगाए जाने के खिलाफत की है। सुलेमान ने यह भी कहा की देश में प्रोडक्ट में हलाल लिखने पर बैन लगाया गया है ।लेकिन निर्यातक करने वालों को लिखे जाने की छूट दी गई है। ऐसे में टेरर फंडिंग की बात की जाए तो प्रोडक्ट को निर्यात करने वाले इसमें फायदा उठा सकते हैं। लेकिन जो चीज देश के अंदर बिकती हैं, उनमें हलाल लिखने पर बैन लगाया जाना बेहद गैर जिम्मेदाराना फैसला है।

मोहम्मद सुलेमान ने कहा विदेश में संविधान के मुताबिक सभी को यह आजादी है कि उसे क्या खाना है क्या पहनना है, उसके बावजूद इस तरह के फैसले और खाने-पीने के समान पर इस तरह से एक विषय बनाकर प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है। इसके साथ ही किसी प्रोडक्ट पर इसके साथ ही किसी प्रोडक्ट पर हलाल लिखे जाने से प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को किसी भी तरह का कोई नुकसान भी नहीं होना है ।

फिर भी इस तरह का प्रोपेगेंडा बनाकर बिना वजह का हलाल लिखे जाने का मुद्दा खड़ा किया गया है। सुलेमान ने कहा कि इस तरह से किसी प्रोडक्ट पर बैन लगाए जाना इसके अलावा सरकार के पास कानूनी रास्ता है कि उसके खिलाफ मुकदमा किया जाए ना की बैन लगाया जाए। उन्होंने कहा की सरकार इस तरह से एक खास विचारधारा के विपरीत काम करने का काम कर रही है। लगता है सरकार इस्लामोंफोबिया से ग्रसित है। उन्होंने कहा की ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का लीगल पैनल इस मामले को लेकर चर्चा करेगा, जरूरत पड़ने पर कोर्ट भी जाएगा।

हलाल प्रोडक्ट बैन होने के बाद खाद्य विभाग हुआ एक्टिव, कानपुर में शुरू हुई छापेमारी 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हलाल प्रोडक्ट पर बैन लगाने के बाद से खाद एवं औषधि प्रशासन विभाग एक्टिव हो गया है. सोमवार को खाद्य विभाग की टीम ने कानपुर के बड़े चौराहे पर बने शापिंग मॉल में छापेमारी की. खाद्य विभाग की टीम ने शापिंग मॉल में बने सभी फूड कोर्ट में चेकिंग की. लेकिन जिस प्रोडक्ट पर रोक लगाई गई है, खाद्य विभाग की टीम को वो प्रोडक्ट नही मिले.
खाद्य सुरक्षा अधिकारी प्रदीप पटेल ने बताया कि हलाल प्रोडक्ट पर रोक लगाए जाने के बाद जांच की जा रही है. उनका कहना था की जिस पर रोक लगाई गई है, वो चीज यहा नही मिली है.।

क्यों है इस पर विवाद?

दरअसल, अप्रेल 2022 मे सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) में विभोर आनंद ( वकील) की तरफ से दायर याचिका मे हलाल प्रमाणीकरण और हलाल उत्पादों पर बैन लगाने की मांग की गई थी। दावा किया गया था कि इन उत्पादों का उपयोग करने वाली 15% आबादी के लिए 85% नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।

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