DIGITAL NEWS GURU DELHI DESK:
क्या आप जानना चाहेंगे दिल्ली के नेहरू प्लेस में स्थित लोटस टेम्पल के बारे में! जहां न ही हैं कोई मूर्ति और न ही की जाती है किसी प्रकार की पूजा
यदि आप दिल्ली में घूमने का प्लान बना रहे हैं! तो इंडिया गेट और लाल किले के अलावा एक और डेस्टिनेशन है जो दिल्ली के प्रमुख आकर्षणों में से एक है और वह है लोटस टेम्पल। भारत में स्थित एक बहाई पूजा घर है जिसे दिसंबर 1986 में समर्पित किया गया था।
अपने कमल जैसे आकार के लिए उल्लेखनीय, यह शहर में एक प्रमुख आकर्षण बन गया है। सभी बहाई पूजा घरों की तरह, लोटस टेम्पल सभी के लिए खुला है। बिना किसी भेद भाव या किसी अन्य धर्म या योग्यता की परवाह किए बिना । दिल्ली के नेहरू प्लेस में स्थित लोटस टेंपल में न ही कोई मूर्ति है और न ही किसी प्रकार की पूजा पाठ की जाती है। लोग यहां आते हैं शांति और सुकून का अनुभव करने। कमल के समान बनी इस मंदिर की आकृति के कारण इसे लोटस टेंपल कहा जाता है।
भारतीय परंपराओं में लोटस यानि की कमल को शांति तथा पवित्रता के संकेत और ईश्वर के अवतार के रूप में माना जाता है। मंदिर का वास्तु पर्शियन आर्किटेक्ट फरीबर्ज सहबा द्वारा निर्माण करवाया गया था। विश्व में आधुनिक वास्तु कला के नमूनों में से एक लोटस टेंपल भी है। जिसका निर्माण बहा उल्लाह ने करवाया था, जो कि एक बहाई धर्म के संस्थापक थे। इसलिए इस मंदिर को बहाई मंदिर भी कहा जाता है। बावजूद इसके यह मंदिर किसी एक धर्म के दायरे में सिमटकर नहीं रह गया।#Lotustemple #Delhi #NewDelhi #India #GurudwaraBanglaSahib.
यहां सभी धर्म के लोग आते हैं और शांति और सूकून का लाभ प्राप्त करते हैं। इसके निर्माण में करीब 1 करोड़ डॉलर की लागत आई थी। मंदिर आधे खिले कमल की आकृति में संगमरमर की 27 पंखुड़ियों से बनाया गया है, जो कि 3 चक्रों में व्यवस्थित हैं। मंदिर चारों ओर से 9 दरवाजों से घिरा है और बीचोंबीच एक बहुत बड़ा हॉल स्थित है। जिसकी ऊंचाई 40 मीटर है इस हॉल में करीब 2500 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। वर्ष 2001 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसे दुनिया की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगह बताया गया था।
कैसे पहुंचें लोटस टेंपल?
यहां पहुंचने के लिए आप मेट्रो का प्रयोग कर सकते हैं। नेहरू प्लेस से कालका जी मेट्रो स्टेशन पहुंचने के बाद 5 मिनट में पैदल चलकर या फिर कोई रिक्शा करके आप यहां पहुंच सकते हैं।
लोटस टेंपल खुलने का समय
गर्मियों के मौसम में सुबह 9 बजे से शाम को 7 बजे तक मंदिर खुलता है और वहीं सर्दियों में सुबह साढ़े 9 बजे से शाम को साढ़े 5 बजे तक के लिए खोला जाता है। यहां पर किसी प्रकार की कोई भी एंट्री फीस का भुगतान नहीं लिया जाता हैं।