जहां कुछ महीनो पहले टमाटर के भाव आसमान छुए हुए थे तो वही अब आम आदमी की जेब ढीली करने के लिए प्याज ने दामों में गति पकड़ ली है।
Digital News Guru Business Desk: आज हम बात करेगे एक किसान की जिन्होंने 2 मार्च 2023 को गुजरात की राजकोट मंडी में 472 किलो प्याज बेचा जिसे बेचने के बाद उन्हें 95 रुपए का घाटा उठाना पड़ा क्योंकि किसान जिस भाड़ा गाड़ी से प्याज को लेकर गया था उसका किराया 590 रुपए था और किसान को 472 किलो प्याज बेचने पर 1.04 रुपए प्रति किलो के भाव से मात्र 495 रुपए ही मिलता है।
अब 6 महीने बाद की विडंबना देखिए। उसी प्याज की कीमत देश के कई हिस्सों में 70 रुपए पार कर गई है। शनिवार को देश की राजधानी दिल्ली में तो एक किलो प्याज की कीमत 75 रुपए तक पहुंच गई। रिपोर्ट्स की माने को अगले महीने यानी नवंबर में प्याज की कीमत 150 तक पहुंच सकती है।
दिल्ली की मंडियों में प्याज की कीमतें दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। जहां दो हफ्ते पहले 5 किलो प्याज की कीमत 160 रुपए वही तो वही शुक्रवार को प्याज 300 रूपय प्रति 5 किलो बिका, बात की जाए शनिवार की तो शनिवार को 5 किलो प्याज 350 रुपए किलो बेचा गया ।
देशभर में अचानक से प्याज की किल्लत होने की मुख्य वजह क्या है?
प्याज की कीमतों में उछाल की वजह जानने के लिए प्याज की पैदावार को समझना जरूरी है भारत, चीन के बाद प्याज उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। भारत में प्याज की फसल दो बार उगाई जाती है। एक खरीफ (अप्रैल से मई में बुआई) के सीजन में और दूसरी रबी (दिसंबर से जनवरी बुआई) के सीजन में ।
भारत सरकार का कहना है कि खरीफ फसल के बाजार में देरी से पहुंचने की वजह से प्याज की किल्लत हो गई है। इसी वजह से राजधानी दिल्ली समेत देश के दूसरे हिस्से में प्याज की कीमत तेजी से बढ़ रही है। हालांकि इस वक्त प्याज की कीमत बढ़ने के पीछे मुख्य तौर पर 3 वजह बताई जा रही हैं….
1. प्याज की आवक घटी: आमतौर पर हर रोज 400 गाड़ी प्याज की आवक बाजार में होती है। बीते 15 दिनों में यह घटकर 250 तक रह गया है। इस तरह प्याज के आवक में पिछले दो सप्ताह में 40% की कमी हो गई है।
2. खरीफ फसल की बुआई में देरी: इस साल अलनीनो की वजह से बारिश चक्र पर असर पड़ा। बारिश कहीं कम हुई तो कहीं लेट हुई। इसी वजह से प्याज उत्पादक मुख्य राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में फसल की बुआई देरी से हुई। यही वजह है कि बाजार में प्याज के पहुंचने में देरी हो रहीं है।
3 . किसानों ने प्याज उगाना कम किया: पिछले दो साल से मंडी में किसानों को प्याज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि इस साल प्याज उत्पादक दो मुख्य दक्षिणी राज्यों कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में खरीफ प्याज की बुआई कम हुई है। ऐसे में अब प्याज की कीमत पर इसका असर दिखना तय है।
अब आने वाले समय मे प्याज की कीमत घटेगी या बढ़ेगी…
- प्याज की कीमतें सस्ती होने के लिए जरूरी है कि मार्केट में डिमांड के मुकाबले सप्लाई बढ़ जाए। हालांकि, हाल-फिलहाल में सप्लाई बढ़ने की उम्मीद नहीं है। इसकी बड़ी वजह पैदावार में कमी और सप्लाई सही समय पर नहीं होना है।
- इस बात को एक एक उदाहरण से समझ सकते हैं। सामान्य दिनों में रोजाना 400 गाड़ी प्याज की आवक बाजार में होती है। यह आंकड़ा पिछले 15 दिनों में 150 कम होकर 250 रह गया है। एक गाड़ी में करीब 10 टन प्याज लोड होता है। इस हिसाब से रोजाना करीब 1500 टन कम प्याज मार्केट में आ रहा है।
- रबी फसल की अब दिसंबर से जनवरी में बुआई होगी। रबी प्याज की पैदावार अप्रैल-जून के दौरान की जाती है, जो भारत में कुल प्याज उत्पादन का 65% हिस्सा है।
- अप्रैल से मई तक ही इस फसल की बाजार में सप्लाई हो पाएगी। तब तक बाजार में आवक कम ही रहने की संभावना है।
ऐसे में एक्सपर्ट्स अनुमान लगा रहे हैं कि नवंबर महीने में कीमत 150 रुपए प्रति किलो तक जा सकती है। इसके बाद प्याज के खरीफ फसल के बाजार में पहुंचने से कीमत एक बार फिर से कम हो सकती है। ये सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कितने प्याज की आवक बाजार में नवंबर अंत तक हो रही है।
सरकार प्याज की कीमत कम करने के लिए क्या कोशिश कर रही है?
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में केंद्र सरकार किसी भी तरह से प्याज की कीमत को बढ़ने से रोकना चाहेगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रयास शुरू भी कर दिए हैं। केंद्र प्याज की कीमत को कंट्रोल करने के लिए दो स्तर पर कोशिश कर रही है…..
1. केंद्र को पहले ही बाजार में प्याज की किल्लत की वजह से कीमत बढ़ने की आशंका थी इसी वजह से केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट को रोकने के लिए 40% तक टैक्स लगा दिए, ताकि देशी प्याज की विदेश में सप्लाई कम हो जाए। इससे पहले प्याज के एक्सपोर्ट पर सरकार टैक्स नहीं लेती थी।
अब शनिवार यानी 28 अक्टूबर को सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर 66,730 रुपए/ टन के रेट से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस यानी MEP लगा दिया है। प्याज के एक्सपोर्ट पर ड्यूटी का यह नया नियम 31 दिसंबर 2023 तक लागू रहेगा।
2. आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर से प्याज के खरीफ फसल की कटाई होती है तब तक प्याज की मांग रबी प्याज के उत्पादन से ही पूरी होती है। इस बार खरीफ फसल अब तक बाजार नहीं पहुंच सकी है। केंद्र को इसका पहले से अनुमान था।
इसी वजह से सरकार ने साल की शुरुआत में नेफेड के जरिए 2.50 लाख टन प्याज खरीदकर स्टॉक कर लिया। यह वित्तीय वर्ष 2021-22 में स्टॉक किए गए 2.0 लाख टन प्याज से 0.50 लाख टन ज्यादा है। अब सरकार इसी बफर स्टॉक को नेफेड के जरिए खुदरा बाजार तक पहुंचा रही है। केंद्र सरकार के स्टॉक से ये प्याज 25 से 30 रुपए प्रति किलो के भाव में लोकल बाजार में बिक रहा है।
कम पैदावार के बावजूद विदेश भेजी गई पिछले साल से 10 लाख टन ज्यादा प्याज
पिछले साल मौसम चक्र में बदलाव की वजह से प्याज पैदावार में भारी कमी हुई थी क्रॉप एंड वेदर वॉच ग्रुप के के मुताबिक 2021-22 में पूरे देश में 3.76 लाख हेक्टेयर जमीन में प्याज की पैदावार का लक्ष्य था। इसके मुकाबले 3.29 लाख हेक्टेयर में ही प्याज की बुआई हुई।
महाराष्ट्र के नासिक समेत कई जिलों में जिन किसानों ने प्याज लगाई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने उनकी फसल को बर्बाद कर दिया। इससे प्याज की लगभग 40% फसल खराब हो गई। जबकि 20% फसल की क्वालिटी खराब हो गई। बाजार में प्याज की कमी की एक वजह इसे भी बताया जा रहा है।
इन सबके बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 25.25 लाख टन प्याज का एक्सपोर्ट किया, जबकि 2021-22 में 15.37 लाख टन और 2020-21 में 15.78 लाख टन प्याज एक्सपोर्ट किया। भारत ने बीते साल सबसे ज्यादा प्याज बांग्लादेश और पश्चिम एशिया में एक्सपोर्ट किया है। प्याज और ज्यादा विदेश नहीं जा पाए, इसके लिए सरकार ने 40% तक ने एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी थी। अब इसे और ज्यादा बढ़ा दिया गया है।
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