Saturday, September 21, 2024

Vote Counting : कैसे होती है वोटों की काउंटिंग ; एजेंटों के सामने खुलती हैं EVM, मतगणना से जुड़ी रोचक बातें :

Digital News Guru News Desk:

Vote Counting: कैसे होती है वोटों की काउंटिंग ; एजेंटों के सामने खुलती हैं EVM, मतगणना से जुड़ी रोचक बातें :

 Vote Counting: आप सभी के मन में भी ये सवाल होगा कि कैसे होती है वोटों की गिनती (Vote Counting) और काउंटिंग हॉल में कौन-कौन मौजूद होता है ,और एक साथ कितने EVM खुलते हैं। वोटों की गिनती (Vote Counting) कहां होती है और कौन करवाता है? लोकसभा में चुनाव कराने के साथ वोटों की गिनती की पूरी जिम्मेदार एक रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO की ही होती है।

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राज्य सरकार की सलाह पर नियुक्त होता है  इलेक्शन कमीशन 

राज्य सरकार की सलाह पर इलेक्शन कमीशन हर लोकसभा क्षेत्र में एक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करता है। यह एक सरकारी अधिकारी होता है। आमतौर पर लोकसभा चुनाव में जिलाधिकारी को ही RO बनाया जाता है। हर लोकसभा क्षेत्र के RO ही मतगणना के लिए सही जगह चुनते हैं। मतगणना की तारीख इलेक्शन कमीशन तय करता है।

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मतगणना कब शुरू होती है और कितना समय लगता हैं?

सुबह 8 बजे से शुरू होती है। किसी विशेष परिस्थिति में रिटर्निंग ऑफिसर के निर्देश पर समय में बदलाव भी किया जा सकता है। सबसे पहले बैलेट पेपर और ETPBS यानी इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के जरिए दिए गए वोटों की गिनती होती है।

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साढ़े आठ बजे के बाद सभी टेबलों पर एक साथ EVM के वोटों की काउंटिंग शुरू होती है। मतगणना केंद्र पर मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO प्रत्येक राउंड की गिनती के बाद रिजल्ट बताते हैं और इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपडेट किया जाता है। मतों की गिनती का पहला रुझान सुबह 9 बजे से आना शुरू हो जाता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, EVM के वोटों के अंतिम 2 राउंड की गिनती तभी की जा सकती है, जब निर्वाचन क्षेत्र के सभी डाक मतपत्र पहले ही गिने जा चुके हों। साफ है कि EVM पर वोटों की गिनती में लगने वाला समय वास्तव में इस बात पर भी निर्भर करता है कि मैनुअली डाक मतपत्रों की गिनती में कितना समय लगता है।

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* क्या मतगणना का कोई भी सरकारी प्रोटोकॉल होता है क्या ?

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128 और 129 के मुताबिक, मतगणना से जुड़ी जानकारी को गुप्त रखना बहुत जरूरी है। मतगणना से पहले कौन से अधिकारी किस निर्वाचन क्षेत्र की और कितने नंबर के टेबल पर गिनती करेंगे, ये सारी जानकारी पहले नहीं बताई जाती है।

सुबह 5 से 6 बजे के बीच सभी अधिकारियों को मतगणना सेंटर पहुंचना होता है। इसके बाद जिले के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और मतगणना केंद्र के रिटर्निंग ऑफिसर रैंडम तरीके से सुपरवाइजर और कर्मचारी को हॉल नंबर और टेबल नंबर अलॉट करते हैं। किसी एक मतगणना हॉल में काउंटिंग के लिए 14 टेबल और 1 टेबल रिटर्निंग अधिकारी के लिए लगी होता है। किसी हॉल में 15 से ज्यादा टेबल लगाने के नियम नहीं है।

हालांकि, विशेष परिस्थिति में मुख्य निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर टेबल की संख्या बढ़ाई जा सकती है। जैसे- मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के बाद इंदौर-2 में काउंटिंग के लिए 21 टेबल लगाई गईं थीं। लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही 4 राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हुआ जिसका रिजल्ट आज आने वाला है।

हमेशा से चुनावी राजनीति पर रिसर्च करने वाली एक संस्था ‘PRS INDIA’ के मुताबिक किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा या फिर विधानसभा के एक साथ चुनाव साथ होने पर एक काउंटिंग हॉल में 7 टेबल विधानसभा चुनाव की काउंटिंग और 7 टेबल लोकसभा चुनाव की काउंटिंग के लिए अलग अलग लगाए जाते हैं।

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•एक लोकसभा में कई विधानसभा क्षेत्र होते हैं। ऐसे में काउंटिंग हॉल में भीड़भाड़ कम हो, इसके लिए रिटर्निंग ऑफिसर के अलावा एक अन्य सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति होती है।

चुनाव आयोग से परमिशन लेकर सहायक रिटर्निंग ऑफिसर विधानसभा स्तर पर भी एक काउंटिंग हॉल बनाकर वोटों की गिनती करवा सकते हैं। आखिर में पूरे संसदीय क्षेत्र के सभी काउंटिंग सेंटर के वोटों को जोड़ दिया जाता है। मतगणना के दौरान उम्मीदवारों के एजेंटों की नियुक्ति कौन करता है?

उम्मीदवार अपना एजेंट खुद ही चुनता है और स्थानीय निर्वाचन अधिकारी से जाकर अप्रूव करवाता है। निर्वाचन संचालन के अधिनियम 1961 के प्रारूप मे 18 में इस तरह के नियुक्ति की बात ही कही गई है। मतगणना एजेंटों की लिस्ट नाम और फोटो सहित काउंटिंग की तारीख से तीन दिन पहले जारी की जाती है। मतगणना के दौरान हॉल के अंदर कोई भी गड़बड़ी न हो, इसके लिए क्या क्या नियम होते हैं?

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किसी गड़बड़ी को रोकने के लिए कुछ सावधानियां बरती जाती हैं। जैसे…

* काउंटिंग के समय रिटर्निंग अधिकारी चाहें तो किसी भी एजेंट की तलाशी ले सकते हैं।

हर उम्मीदवार के एजेंट को एक तरह के बैज दिए जाते हैं, ताकि उन्हें देखकर समझ आ जाए कि वो किस उम्मीदवार के एजेंट हैं।

एक बार हॉल में आने वाले एजेंट को गिनती खत्म होने तक बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है।

* रिटर्निंग अधिकारी हॉल से किसी भी व्यक्ति को निर्देश नहीं मानने पर बाहर कर सकते हैं।

* हॉल में मौजूद सभी पर्यवेक्षक अधिकारी हर राउंड की गिनती के तुरंत बाद रैंडम ही किसी दो टेबल को सेलेक्ट कर लेता है और दोनों टेबल के वोटों का मिलान भी करता है।

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अगर मतगणना केंद्र पर काउंटिंग में कुछ गड़बड़ी के दोषी पाए गए तो क्या होता है?

136 के तहत मतगणना केंद्र पर गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी और नागरिक दोनों के लिए सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने वाले को 6 महीने से 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है। मतगणना के बाद EVM का क्या होता है?

चुनावों के नतीजों की घोषणा होने के बाद और विजेता उम्मीदवार को रिटर्निंग ऑफिसर के जरिए जीत का पूरी तरह से सर्टिफिकेट देने के बाद ही EVM को फिर से एक स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है।

काउंटिंग के 45 दिनों बाद तक EVM को उसी स्टोर रूम में रखी रहती है, जिसके बाद उसे वहां से बड़े स्टोर रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है। चुनाव आयोग के अनुसार, EVM मे अगले 6 महीने तक पुरे डेटा को संभाल के रखा जा सकता है और तब तक इन्हें किसी भी अन्य चुनाव के लिए उपयोग में भी नहीं लाया जा सकता है।

इसके बाद ही इनके डेटा को सुरक्षित तरीके से ही डंप करके EVM को आगे के सभी चुनावों के लिए इस्तेमाल करने लायक फिर से बना दिया जाता है।

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