उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 वर्ष से कम आयु के छात्र – छात्राओं पर लगाया दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध
Digital News Guru Uttar Pradesh Desk: राज्य सरकार के आदेशानुसार उत्तर प्रदेश जिले में पुलिस महकमे ने कम उम्र के बच्चों द्वारा वाहन चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश के तहत अब कोई भी वाहन ऐसा नहीं होगा, जिसे बच्चे बिना लाइसेंस के चला सकें।
इस आदेश का सबसे बड़ा प्रभाव स्कूटी एवं मोटरसाइकिल से स्कूल-कॉलेज व कोचिंग जाने वाले बच्चों पर पड़ने वाला है। अहम बात यह है कि पिछले कुछ सालों से बच्चे जो नौवीं पास कर दसवीं तक पहुंचते हैं, वे अपने निजी वाहनों से ही स्कूल, कोचिंग एवं कॉलेज जाना पसंद करने लगे हैं। इनमें लड़के एवं लड़कियों की संख्या का अनुपात लगभग 70-30 का माना जा रहा है।
कितने बच्चे जिले में स्कूल, कॉलेज एवं कोचिंग पर अपने वाहनों से आने वाले बच्चों का कोई सटीक आंकड़ा कहीं भी उपलब्ध नहीं है। ना ही किसी के द्वारा इसका संधारण किया जाता है, लेकिन जिला मुख्यालय के चार बड़े स्कूलों के संचालकों से बात करने पर अनुमानित रूप से 25 प्रतिशत के करीब बच्चे स्कूटी एवं मोटरसाइकिलों से आ रहे हैं। कोचिंग सेंटरों पर यह संख्या 60 प्रतिशत से अधिक बताई जा रही है। कोचिंग संचालकों एवं स्कूल संचालकों से मिली अनुमानित संख्या के अनुसार पूरे जिले में 7 से 8 हजार के बीच बालक-बालिकाएं मोटरसाइकिल एवं स्कूटी से आते हैं।
इनका अनुमान है इनमें 50 प्रतिशत के करीब बच्चे 18 साल से कम उम्र के हैं। अर्थात जिले में लगभग 4 हजार बच्चे इन वाहनों को चलाने के लिए पूरी तरह अयोग्य हैं। लोगों कहना है कि जिला मुख्यालय पर चलने वाले वाहनों में स्कूल-कॉलेज में पड़ने वाले बच्चों में से कई स्कूल तो बस से जाते हैं, लेकिन घर में मौजूद मोटरसाइकिल एवं स्कूटी ही नहीं, कुछ तो कार तक को भी 18 साल से कम उम्र एवं बिना लाइसेंस के फर्राटे से सड़क पर दौड़ा रहे हैं।
नहीं चलेंगे बहाने बस घर से निकला ही था आगे ऐसा नहीं होगा, यह सुनेगी नहीं पुलिस
सरकारी तंत्र ने साफ कर दिया कि पकड़े जाने के बाद परिजन कई प्रकार की मजबूरियां गिनाएंगे। इनमें हमें बताए बिना ही बच्चा वाहन लेकर चला गया था, कोई बीमार था अस्पताल भेजा था, बच्चा हमारा कहना नहीं मानता है, बस घर से निकला ही था आगे ऐसा नहीं होगा, इन सब बहानों को अब पुलिस द्वारा मान्य नहीं किया जाएगा। सीधा चालान बना कर परिजनों से 25 हजार का जुर्माना वसूला जाएगा।
इसमें लड़का हो या लड़की, सभी पर समान रूप से कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। इसलिए इस प्रकार के बच्चों के परिजन पहले से ही चौकस हो जाएं। डीएसपी यातायात दीपक गर्ग का कहना है कि अब तक बच्चों एवं उनके परिजनों का समझाने का समय था। वह अब समाप्त हो चुका है। अभी तक भी हम समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब सरकार सख्त हो गई है। कार्रवाई करनी ही होगी। समय समय पर इस प्रकार की कार्रवाई के बाद सरकार को आंकड़े देना हमारी जिम्मेदारी है।
छोटे बच्चे बेधड़क वाहन दौड़ा रहे हैं
समय समय पर इस प्रकार की कार्रवाई के बाद सरकार को आंकड़े देना हमारी जिम्मेदारी है। यह सही है कि छोटे बच्चे बेधड़क वाहन दौड़ा रहे हैं। इन पर अंकुश जरूरी हो गया है। गलती बच्चा करे या परिजन, हर्जाना परिजनों को ही भरना होगा।
यह है नियमः 16 से 18 साल के बच्चों के लिए अलग प्रकार के लाइसेंस की व्यवस्था है।
- पुलिस व परिवहन विभाग के अनुसार 16 से 18 साल के बच्चों के लिए एक अलग प्रकार के लाइसेंस की व्यवस्था है। इस वर्ग के बच्चे फ्यूल बेस वाहनों में 50 सीसी से कम एवं इलेक्ट्रिक वाहनों में 23 वाट से कम क्षमता वाले वाहनों को चला सकते हैं।
- यदि 18 साल से कम उम्र का बच्चा साइकिल के अलावा कोई भी वाहन चलाता पाया जाता है तो वह एमवी एक्ट की कार्रवाई की जद में आएगा, क्योंकि 50 सीसी व 23 वाट से कम क्षमता का कोई भी वाहन बाजार में ही नहीं है।
- यदि 18 साल से कम उम्र का बच्चा बिना लाइसेंस के वाहन चलाता पकड़ा जाता है तो उसके परिजनों से 25 हजार रुपए का जुर्माना एमवी एक्ट में वसूला जाएगा।
- यदि बच्चे के परिजन जुर्माना भरने से इनकार करते हैं तो परिजनों को जिसके नाम वाहन है, उसे तीन साल के कारावास से दंडित भी किया जा सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक व पेट्रोल-डीजल से चलने वाले किसी भी दुपहिया या चौपहिया वाहन को चलाने के लिए चालक के पास हर हाल में ड्राइविंग लाइसेंस का होना जरूरी है।
- 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर पुराने एमवी एक्ट में व इससे कम उम्र के बच्चों पर नए प्रावधान के तहत चालान की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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