Monday, November 11, 2024

“ऐसा कोई सगा नहीं ,जिसको हमने ठगा नहीं” कानपुर के प्रसिद्ध ठग्गू के लड्डू का स्वाद 55 सालो से है जैसा का तैसा…

Digital News Guru Kanpur Desk:

“ऐसा कोई सगा नहीं ,जिसको हमने ठगा नहीं” कानपुर के प्रसिद्ध ठग्गू के लड्डू का स्वाद 55 सालो से है जैसा का तैसा…

गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका, जो कि 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की।

आज हम बात करेंगे कानपुर की उस प्रसिद्ध दुकान की जहां पर इस लड्डू का टेस्ट लेने के लिए लोग खुशी-खुशी अपने आप को ठगवा लेते हैं।

कानपुर की गलियों में घूम कर बेचते थे लड्डू:

55 साल पहले यूपी के परौली गांव से राम अवतार कानपुर पहुंचे। कंधे पर गमछा डालकर कानपुर की गलियों में घूम-घूमकर लड्डू बेचना शुरू किया। उनके लजीज लड्डुओं का स्वाद लोगों से जुबान पर चढ़ गया। बिक्री बढ़ती गई। धीरे-धीरे पैसे आने लगे। साल 1973 में कानपुर के परेड इलाके में उन्होंने एक छोटी-सी दुकान खरीदी।

लेकिन कुछ साल बाद क्षेत्र में दंगे भड़क गए और किसी ने उनकी दुकान जला दी। इस घटना ने उन्हें बड़ा नुकसान पहुंचाया। इसके बाद उन्होंने सरकार से मिले मुआवजे की रकम से दूसरी दुकान खरीदी। ये दुकान आज तक जारी है।

गांधी जी की वजह से ‘ठग्गू के लड्डू’ नाम पड़ गया:

कानपुर शहर के बीचों-बीच बड़ा चौराहे पर ठग्गू के लड्डू की छोटी सी दुकान है, लेकिन इसके चर्चे पूरे देश में होते हैं। जो भी कानपुर आता है वो ठग्गू के लडडू को चखे बिना नहीं जाता है। दुकान के नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी हमें यहां के ओनर राजेश पांडे ने बताई।

दुकान की टैग लाइन बनाई गई- ‘ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं’ इसका सीधा अर्थ यही है कि – ऐसा कोई भी नहीं है, जिसे हमने धोखा न दिया हो।

हर मिठाई पर भारी स्पेशल मेवा-गोंद लड्डू ठग्गू के लड्डू की खासियत है कि ये पूरी तरह से देसी घी से बनाए जाते हैं। सूजी, मावा, चीनी और गोंद से तैयार किए जाने वाले लड्डू में काजू, इलायची, बादाम, पिस्ता मिलाया जाता है। इसकी हर बाइट में आपको मेवे का भरपूर स्वाद मिलेगा। अधिक मात्रा में ड्राई फ्रूट्स होने से इसका वजन साधारण लड्डूओं की तुलना में ज्यादा होता है। ये ऐसे गोंद से तैयार होता है कि खाने पर लड्डू मुंह में चिपकता नहीं है।

दुकानदार राजेश बताते हैं, “हमारी दुकान सुबह 9 बजे से 10 बजे तक खुलती है। यहां 2 टाइप के लड्डू बनते हैं। पहलाः स्पेशल लड्डू, इसमें 5 से 6 किस्म के मेवे पड़े रहते हैं। दूसरा: काजू लड्डू, सिर्फ काजू-खोया और गोंद से बनता है। स्पेशल लड्डू की डिमांड ज्यादा रहती है। स्पेशल लड्डू का रेट 750 रुपए किलो है। काजू लड्डू 540 रुपए किलो बिकता है

राजेश कहते हैं कि हमारे पिताजी राम अवतार पांडे ने ही इस दुकान को खोला था। पिताजी गांधी जी की सभा में जाया करते थे। एक सभा में पिताजी ने गांधी जी को यह बोलते हुए सुना कि सफेद चीनी एक तरह का मीठा जहर है। इससे परहेज करना चाहिए…। उन्हें सुनकर पिताजी ने सोचा हम भी जो लड्डू बनाते हैं, उसमें सफेद चीनी पड़ती है। यानी कि हम लोगों का मुंह तो मीठा कर रहे हैं, लेकिन कहीं ना कहीं उन्हें ठग भी रहे हैं। तभी से उन्होंने दुकान का नाम ‘ठग्गू के लडडू’ रख दिया है।

खास हैं ये ठग्गू के लड्डू :

ठग्गू के लड्डू

क्रिकेट और बॉलीवुड में भी लड्डू की धाक:

ठग्गू के लड्डू का स्वाद केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशी लोगों की जुबान पर भी चढ़ चुका है। कानपुर में जब भी कोई इंटरनेशनल क्रिक्रेट मैच होता है, तो खिलाड़ियों की तरफ से हमारे लड्डुओं का आर्डर आता है। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर और कुलदीप यादव कई बार ठग्गू के लड्डू खा चुके हैं।

 

बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय की शादी में भी कानपुर से ठग्गू के लडडू मुंबई भेजे गए थे। अभिनेता किरण कुमार, आशीष विद्यार्थी, प्रेम चोपड़ा, सौरभ शुक्ला, अनुपम खेर भी ठग्गू के लड्डू के दीवाने हैं।

जब पीएम मोदी ने भी कहा- ऐसा कोई सगा नहीं :

28 दिसंबर 2021 को कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने पीएम मोदी यूपी आए थे। उद्घाटन के दौरान उन्होंने लाखों लोगों के सामने कानपुर के फेमस ‘ठग्गू के लड्डू’ का जिक्र किया। अपने संबोधन की शुरूआत में उन्होंने 2 बार दुकान का स्लोगन बोला- ऐसा कोई सगा नहीं। इसके आगे की कड़ी वहां मौजूद जनता ने खुद पूरी कर दी।

दुकान के मालिक राजेश पांडे कहते हैं, “ये हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि देश के प्रधानमंत्री ने हमारे ‘ठग्गू के लडडू’ का नाम लिया। जब से पीएम ने इसके बारे में संबोधन किया है तब से हमारे लड्डू की सेल और बढ़ गई है।”

दुकान पर फिल्म बंटी और बबली की हुई थी शूटिंग ठग्गू के लड्डू की दुकान उस वक्त ज्यादा लाइमलाइट में आई जब 2005 में यहां अभिषेक बच्चन और रानी मुखर्जी ने फिल्म बंटी और बबली की शूटिंग हुई थी। शूटिंग के दौरान दोनों ने दुकान की ‘बदनाम-कुल्फी’ खाई थी। फिल्म में दुकान के लड्डू को भी दिखाया गया था।

‘बदनाम-कुल्फी’ के शौकीन भी कम नहीं :

ठग्गू के लड्डू की दुकान पर बिकने वाली ‘बदनाम-कुल्फी’ भी लोगों को खूब पसंद आती है। इस कुल्फी को तैयार करने के लिए दूध की रबड़ी बनाई जाती है। उस रबड़ी में काजू, बादाम, पिस्ता डाला जाता है। उसके बाद इसे स्टील के कंटेनर में डाला जाता है। इस कंटेनर के चारों तरफ बर्फ की सिल्ली लगाई जाती है और उसे कई घंटे तक घुमाया जाता है। जब यह रबड़ी जम जाती है तब वह कुल्फी की तरह परोसी जाती है। इसकी एक प्लेट का दाम 60 रुपए है।

6 दुकानों पर बिकता है, तीसरी पीढ़ी संभाल रही विरासत :

राम अवतार पांडे के बाद उनके बेटे राजेश पांडे ने इस विरासत को संभाला। अब उनके दोनों बेटे इस कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं। पूरे कानपुर शहर में ठग्गू के लड्डू की 6 दुकानें हैं। इनमें कुल 30 हलवाई काम करते हैं, जो इन स्पेशल लड्डुओं को बनाने का सीक्रेट जानते हैं।

दुकानदार आदर्श पांडे बताते हैं, “समय के साथ-साथ हमारे लड्डुओं की डिमांड बढ़ती गई। हमारे दादा पत्तों में लड्डू रखकर बेचते थे। अब हम स्पेशल बैग पैकिंग में इसे बेचते हैं। आप ठग्गू के लड्डू को ऑनलाइन Swiggy और Zomato से भी ऑर्डर कर सकते हैं।”

5 करोड़ का सालाना कारोबार :

दुकानदार आदर्श पांडे के मुताबिक, लड्डू यूं तो साल भर तैयार होता है, लेकिन शादियों और सर्दियों के सीजन में इसकी डिमांड हाई रहती है। क्योंकि इसमें डाले जाने वाले मेले शरीर का गर्म रखते हैं और सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।

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