सुषमा स्वराज जी जन्मदिन विशेष (Sushma Swaraj birthday special) :
ओजस्वी वक्ता, मिलनसार, अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व की धनी और एक सक्षम राजनेता… यह तमाम खूबियां देश की उस बेटी में थीं, जिन्होंने विदेशों में फंसे भारतीयों की सकुशल वतन वापसी कराई और देश को नई दिशा दी। हम बात कर रहे हैं सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) की।
उनके चेहरे पर तेज, उनकी वाणी में ओज और उनकी जीवा पर स्वयं मां सरस्वती विराजमान रहती थीं। साल 2019 के आठवें महीने की छह तारीख को हिंदुस्तान ने एक महान व्यक्तित्व को बिछड़ते देखा। इस दिन पूरा देश गमगीन था। ऐसे में आज हम सुषमा स्वराज की पुण्यतिथि के मौके पर उनके द्वारा सदन में दिए गए कुछ यादगार भाषणों की चर्चा करेंगे।
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का ‘सदन’ मे शायराना अंदाज :
साल 2011 में लोकसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जब शायराना अंदाजा में नेता सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) को जवाब दिया तो सारा सदन हसीं से गुंज उठा था। उन्होंने एक शेर पढ़ा था माना कि मै तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख मिरा इंतिजार देख… इस पर सुषमा स्वराज ने कहा था कि आप उर्दू जुबां को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं और शेरों में बहुत ज्यादा ताकत होती है, अपनी बातों को आसानी से सहजता से कहने की।
उन्होंने आगे कहा,ठीक ऐसा ही एक नजारा दोबारा साल 2013 में लोकसभा में फिर से देखने को मिला था जब सुषमा स्वराज और डॉ. मनमोहन सिंह के बीच शायराना अंदाज में वार-पलटवार देखने सब को मिला था। मनमोहन सिंह ने सदन में एक शेर पढ़ा कि हम को उन से वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है… इस पर सुषमा स्वराज ने कहा था,उन्होंने कहा था कि कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं कोई बेवफा नहीं होता… मजबूरी क्या है? हमारी मजबूरी यही है कि आप इस देश के साथ बेवफाई कर रहे हैं इसी लिए हम आपके प्रति वफादार नहीं रह सकते हैं।
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का शुरुआती जीवन:
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj)ने साल 1975 में सुप्रीम कोर्ट में अपने सहकर्मी स्वराज कौशल के साथ सात फेरे ले लिए थे। जिसके बाद उन्हें सुषमा स्वराज के नाम से जाना गया था। सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का जन्म 14 फरवरी, 1952 को हरियाणा के अंबाला छावनी में हरदेव शर्मा तथा लक्ष्मी देवी के घर पर हुआ था। बचपन से ही सुषमा स्वराज तेजतर्रार प्रतिभा की धनी रही हैं और उन्हें डिबेट करना बेहद भाता था।
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) के पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य रहे हैं। ऐसे में राजनीति के प्रति रुझान उनके मन में पनपने लगे थे और उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा। हालांकि, जयप्रकाश आंदोलन के समय राजनीति में कदम रखने वाली सुषमा स्वराज सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं
दिल्ली की मुख्यमंत्री भी थी सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj):
मार्च साल 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर से उन्हें दक्षिणी दिल्ली सीट से मैदान में उतारा था। वह कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को हराकर दूसरी बार लोकसभा पहुंच गयी थी और उन्हें एक बार फिर से सूचना व प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी दे दी गई। इसके साथ ही उन्हें दूरसंचार विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
लेकिन, उसी वर्ष 13 अक्टूबर को उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बना दिया गया। इसके बाद पार्टी उन्हीं के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वह दिल्ली की सत्ता में भाजपा की वापसी कराने में असफल रहीं थी। विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय के बाद वह तीन दिसंबर साल, 1998 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) का राजनैतिक सफर:
1970: एबीवीपी में शामिल हो गयी थी
1973: कानून की पढ़ाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से वकालत की प्रैक्टिस शुरू करी थी
1975:स्वराज कौशल से शादी करी थी
1977: अंबाला केंट से सांसद चुनी गईं थी।
1977: पहली बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव भी जीता
था और 25 साल की उम्र में चौधरी देवीलाल सरकार में श्रम मंत्री बनीं।
1977: हरियाणा भाजपा की प्रदेशाध्यक्ष भी बनीं।
1987: अंबाला से दोबारा विधायक बनीं थी और भाजपा-लोकदल सरकार में शिक्षा मंत्री का दायित्व किया था।
1990: राज्यसभा की सदस्य भी बनीं।
1996: दक्षिणी दिल्ली से चुनाव जीता
1998: दोबारा दक्षिणी दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीतने में सफल हुईं। इस दौरान सूचना प्रसारण मंत्रालय के साथ दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था।
1998: केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का भी सौभाग्य मिला था।
1999: कर्नाटक के बेल्लारी से सोनिया गांधी के खिलाफ आम चुनाव में लड़ चुकी है, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
2000: उत्तर प्रदेश के कोटे से राज्यसभा पहुंचीं थी।
2003: स्वास्थ्य मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री का जिम्मा भी संभाला था।
2004: आउटस्टेंडिंग संसदीय सम्मान भी हासिल किया था।
2009: मध्य प्रदेश के विदिशा से चुनाव जीतीं थी और 2014 तक नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी भी संभाली थी।
2014: नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्रालय का जिम्मेदारी का निर्वहन भी किया था।
2016: नवंबर महीने में किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी।
2018: नवंबर महीने में आगामी चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था।
2019: 6 अगस्त को पूरा देश गमगीम हो गया था, क्योंकि दिल का दौरा पड़ने की वजह से हम सभी ने एक ओजस्वी राजनेता को खो दिया था।
YOU MAY ALSO READ :- Madhubaala birthday special: बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रि थी मधुबाला,आखिर क्यों अधूरी रह गयी दिलीप और मधुबाला की प्रेम कहानी!