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Sourav Ganguly Birthday Special : दादा ने ही रखी थी आज की “चैम्पीयन” टीम इंडिया की मजबूत नीव ,भारतीय क्रिकेट के ” महाराज ” के रूप के रूप मे जाने जाते है सौरव गांगुली !
अगर भारतीय क्रिकेट इतिहास मे अब तक के सबसे महान कप्तानों का जिक्र हो और सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का नाम न हो ऐसा हो ही नहीं सकता । सौरव गांगुली जिनको प्यार से लोग “दादा” भी बुलाते थे , आज अपना 52वा जन्मदिन मना रहे है । लॉर्ड्स की वो ऐतिहासिक जीत हो या साल 2003 मे वन डे इंटरनेशनल वर्ल्ड कप का फाइनल हो ये तमाम यादे आज भी क्रिकेट प्रेमी संजोय बैठे है ।
हमारी भारतीय क्रिकेट टीम में अब तक कई महान कप्तान हुए है । उन्हीं में एक कप्तान थे सौरव गांगुली (Sourav Ganguly), जिन्हें सभी लोग बड़े प्यार से ‘दादा’ भी बुलाते हैं। इतिहास इस बात का पूरी तरह से गवाह रहा है, दादा उर्फ सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) दूर दृष्टि रखने वाले कप्तानों में से एक माने जाते थे । सौरव भारतीय क्रिकेट इतिहास के समझदार और दमदार कप्तान रहे थे ।
सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की कप्तानी मे भारतीय क्रिकेट टीम ने विदेशी धरती पर जीत का स्वाद चखा था। सौरभ गांगुली ने विरोधी टीमों की आंखों में आंखें डालकर भारतीय टीम को मुकाबला करना सिखाया हुआ था। सौरव ने ही सहवाग, युवराज और धोनी जैसे युवा खिलाड़ियों को मौका देकर देश की सर्वश्रेष्ठ टीम की नींव रखी थी। आज सौरव गांगुली के जन्मदिन के मौके पर जानतें हैं, उनकी कुछ अनसुनी कहानी के बारे में।
सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने एक फुटबॉलर के रूप मे शुरू किया था अपना करियर:
भारत के दिग्गज खिलाड़ीयो मे से एक सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) है । सौरभ गांगुली का जन्म 8 जुलाई साल 1972 को कोलकाता मे एक बंगाली परिवार में हुआ था। सौरव के पिता बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य भी रह चुके थे। इस वजह से सौरव क ग्राउंड पर आना-जाना बना रहता था।
वह क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल को पंसद किया करते थे और एक फुटबॉलर बनना चाहते थे। दसवीं तक उन्होंने फुटबॉल खेला। उनकी शैतानियों की वजह से सौरव को क्रिकेट ग्राउंड पर भेजा जाने लगा था । और इसी तरह से सौरव की जिंदगी में क्रिकेट का प्रवेश हो गया था ।
सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने नई भारतीय टीम की रखी थी नींव:
जब साल 2000 मे भारतीय क्रिकेट में फिक्सिंग का खुलासा हो गया था तो भारतीय टीम का भविष्य पूरी तरह से अंधेरे मे खोने लगा था । इसके बाद सचिन तेंदुलकर ने भी भारतीय टीम की कप्तानी करने से माना कर दिया था। तभी सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने आगे बढ़कर भारतीय टीम की कमान को थामा हुआ था।
इसके बाद ही सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम का एक नया अध्याय शुरू हुआ था । दादा ने विरोधी टीमों को उनके ही घरों में मात देकर भारतीय टीम के नाम का हर जगह डंका बजा दिया था। इसके साथ ही दादा ने भारतीय टीम को पूरी तरह से दादागिरी भी सिखा दी थी ।जिससे टीम बेखौफ होकर खेलना शुरू हो गयी थी ।
किसने कहा था सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) को ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ :
क्रिकेट जगत में सौरव गांगुली को ‘दादा’ और ‘प्रिंस ऑफ कोलकाता’ के नाम से जाना जाता है। बंगाल से आने वाले गांगुली ने टीम इंडिया की कमान संभाली और भारतीय क्रिकेट को नई उंचाईयों पर ले गए। सौरव गांगुली का पहला नाम महाराज उनके माता-पिता ने दिया था जिसका अर्थ होता है ‘राजकुमार’। इसलिए जेफ्री बॉयकॉट ने उन्हें प्यार से ‘द प्रिंस ऑफ कलकत्ता’ कहा और वे इसी नाम से मशहूर हो गए।
सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) लगातार चार बार बने थे ” मैन ऑफ द मैच ‘ :
सौरव गांगुली ने 14 सितंबर और 21 सितंबर साल 1997 के बीच हुए भारत के एकदिवसीय मैचों में लगातार चार मैन ऑफ द मैच बने थे । सौरव ये पुरस्कार जीतने वाले अब तक एकमात्र क्रिकेटर बने हुए है।
BCCI अध्यक्ष के रूप मे सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने भारतीय क्रिकेट मे कीये बड़े सुधार :
बीसीसीआई अध्यक्ष पद के रूप मे सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने भारतीय क्रिकेट से जुड़ी उन तमाम समस्याओ को भी ठीक किया , न सिर्फ क्रिकेट बल्कि खिलाड़ियों से जुड़ी समस्याओ को भी काफी हद तक दूर करने का प्रयास किया था । अभी फिलहाल सौरव गांगुली आईपीएल मे टीम दिल्ली कैपिटल्स के साथ एक मेन्टर के रूप मे जुड़े है ।
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