Saturday, September 21, 2024

शाही टुकडे से जुड़े कुछ महकते किस्से : क्या होता है ये शाही टुकड़ा

शाही टुकडे से जुड़े कुछ महकते किस्से : क्या होता है ये शाही टुकड़ा

Digital News Guru Delhi Desk: चाशनी में डूबी मुगलई मिठाई के आज भी लाखों दीवाने हैं। इसीलिए दिल्ली में डिप्लोमैटिक डिनर के मेन्यू में शाही टुकड़ा ज्यादातर मौजूद होता है।

वैलेंटाइन वीक शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं। अच्छा होगा आने वाले रोमांस में डूबे इस सप्ताह को यादगार बनाने के लिए मीठे पर कुछ चर्चा हो जाए। शाही मिठाइयों में सबसे उम्दा शाही टुकड़े का जायका चखते हैं। साथ ही इस महकते मीठे के वजूद के बारे में भी बात करेंगे।

शाही टुकड़े से जुड़े कुछ महकते किस्से

मुगल जब भारत आए तब सूफी संगीत और कलाओं के अलावा लजीज पकवानों की लंबी फेहरिस्त भी लाए। इसमें सिर्फ कबाब या मुर्ग शाही कोरमा ही नहीं बल्कि मिठाइयां भी शामिल थीं। देसी मिठाइयों की दुनिया में शाही टुकड़ा जुबान के साथ साथ दिलों में भी एक खास जगह रखता है। शाही टुकड़ा जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह राजघरानों में बनने वाला मशहूर मीठा है। उत्सवों और त्यौहारों के मौके पर भी इसे पसंद किया जाता है।

शाही टुकड़ा दूध, चाशनी, ब्रेड या रोटी, खोया, बादाम, पिस्ता, खजूर से तैयार की जाती है। इसमें ब्रेड को घी में फ्राई किया जाता है, फिर इसे चाशनी में डुबोकर रखा जाता है। ठंडा होने के बाद ड्राई फ्रूट से सजाकर शाही टुकड़ा परोसा जाता है। यह मिठाई अपनी शाही और राजस्थानी खासियत के लिए मशहूर है। यह मिष्ठान शादी या किसी समारोह , उत्सव के लिए बनाया जाता है।

मुगल शाही टुकड़ा भारत लेकर आए

इस मीठे का आविष्कार मुगलकाल में हैदराबाद में हुआ। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि 1600 के दशक में मुगल शाही टुकड़ा दक्षिण एशिया में लेकर आए और तभी भारत में पहली बार शाही बावर्ची खाने में शाही टुकड़ा बना। इसे रमजान के पाक महीने में काफी पसंद किया जाता है।

किस्से चाशनी में डूबे शाही टुकड़े

कुछ इतिहासकार यह भी मानते कि यह मिस्र में पहली बार पुडिंग के रूप में बना। जिस खानसामने यह पुडिंग बनाई उसी के नाम पर इस व्यंजन का नाम ‘उम अली’ रखा गया। कहा जाता है कि अपने साथियों के साथ शिकार पर निकले सुल्तान नील नदी के किनारे एक गांव में रुके।

भूखे शाही मेहमानों के लिए खाने बनाने की जिम्मेदारी उम अली को दी गई। उम अली ने बासी रोटी, मेवे, दूध और चीनी को मिलाकर पकाया और जो मीठा तैयार हुआ उसे सुल्तान को परोसा गया। सुल्तान को यह मीठा पसंद आया और यह मीठा शाही रसोई का हिस्सा बन गया। वहीं से इस मीठे उम अली का नाम भी मिला।

लेकिन फेमस शेफ रणवीर बरार इस कहानी से कुछ हटकर एक कहानी बताते हैं। उनका बताना है, कि ब्रेड से बनने वाली ये डिस शाही रसोई से नहीं निकली हैं। मगर स्वाद में जरूर नवाबी पद हासिल कर लिया हैं।

शाही टुकड़ा का नाम कैसे पड़ा?

शाही नाम से लगता है कि ये मुगलों की शाही रसोई का मिष्ठान है। लेकिन ऐसा नहीं है। शाही टुकड़ा। ब्रेड से बनता है, और ब्रेड पुर्तगालियों के साथ भारत पहुंची।

वास्तव में, ब्रेड के आने से पहले भारत में शाही टुकड़ा नाम की कोई डिश नहीं थी। शाही टुकड़ा पहली बार कब बना और किसने बनाया इसका कोई सही-सही उत्तर देना मुश्किल है। लेकिन कुछ हद तक इसके नाम में इसके जवाब का सुराग जरूर मिलता है।

पहले लखनऊ में ‘बलाई’ होती थी। यानी मलाई की मोटी-मोटी परतों से बनी एक तरीके की मिठाई। मलाई की परतों के मध्य रबड़ी रखी जाती थी। इस पर केसर, मिसरी, गुलाब की पंखुड़ियां डालकर उसके टुकड़े काट दिए जाते और नवाब साहब को परोसे जाते। जिसे ‘बलाई का टुकड़ा’ कहा गया।

इसे ‘बलाई का टुकड़ा’ बोला नहीं जा सकता था तो लोगों ने सोचा क्यों न इसे ‘शाही टुकड़ा’ नाम दिया जाए। इस तरह से शाही टुकड़ा ईजाद हुआ और बलाई को ब्रेड ने रिप्लेस कर दिया। दोनों डिश में इतनी समानता है कि लखनऊ का बलाई टुकड़ा और शाही टुकड़ा को पास-पास सजा दीजिए तो दोनों को पहचानना मुश्किल होता है। क्योंकि दोनों की बनावट और टेक्सचर एक जैसा होता है।

मिल्क की चाशनी में डूबा शाही टुकड़ा

जबकि नवाबी रसोई में बने शाही टुकड़ा की एक और खासियत थी जो इतनी आसान नहीं थी। ब्रेड के मोटे किनारों को काटकर घी में सुनहरा सुनहरा फ्राई किया जाता था और उसे दूध की चाशनी में डूबाया जाता था। दूध की चाशनी की बनाने के लिए दूध में बराबर चीनी की डालकर पकाया जाता और दूध को गाढ़ा किया जाता।

इस गहरे दूध में ब्रेड के टुकड़े डूबोकर निकाले जाते और एक के एक सजा दिए जाते। घी में सुनहरे-कुरकुरे तली और दूध की चाशनी में डूबकर बाहर निकली ब्रेड के इन टुकड़ों को एक बड़े से बर्तन में सजाया जाता और ऊपर से रबड़ी डाली जाती है। रबड़ी की परतों में इलायची पाउडर छिड़का जाता और गुलाब जल का छींटा दिया जाता है ताकि शाही टुकड़े में इलायची और गुलाब जल की महक रच बस जाए।

शाही टुकड़े की वैरायटी

शाही टुकड़े की कई वैरायटी हैं, जिनमें से एक है मध्य पूर्व का ईश एस सेर्नी, जिसे ‘पैलेस ब्रेड’ के नाम से भी जानते हैं। इसको सूखी ब्रेड को चीनी से बनी चाशनी और शहद में उबालकर ‘अर्क-ए-गुलाब’ व गोल्डन कैरेमल से डेकोरेट करके बनाया जाता है।

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