Saturday, September 21, 2024

बच्चो और पेरेंट्स के बीच की दीवार बन रहा स्मार्टफोन, अधिकतर मां-बाप बच्चो से ज्यादा दे रहे फोन को वक्त

बच्चो और पेरेंट्स के बीच की दीवार बन रहा स्मार्टफोन, अधिकतर मां-बाप बच्चो से ज्यादा दे रहे फोन को वक्त

Digital News Guru Lifestyle Desk: वो गुजरे जमाने की बात है जब मां-बाप बच्चों को अच्छे-बुरे, सही-गलत की सीख देते थे कितनी देर वीडियो गेम खेलना है और कितना समय दोस्तों के साथ बिताना है, इसका फैसला भी मां-बाप किया करते थे।

लेकिन इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के इस दौर में सबकुछ बदल गया है। स्मार्टफोन निर्माता कंपनी विबो की एक स्टडी में पाया गया कि जितना वक्त मां-बाप अपने बच्चों पर देते हैं, उससे डेढ़ घंटा ज्यादा वक्त अपने स्मार्टफोन को देते हैं।

इस दौरान बच्चे उनसे कोई मदद मांगें या कुछ पूछें तो वे झल्लाने लगते हैं। स्टडी बताती है कि बच्चों की जगह स्मार्टफोन को तरजीह देना पेरेंट चाइल्ड रिलेशनशिप के लिए बहुत खतरनाक ट्रेंड है। आने वाले टाइम में इसके गंभीर नजीते देखने को जरूर मिलेगे!

पेरेंट्स चाइल्ड रिलेशनशिप का खतरनाक दौर

जरूरत से ज्यादा मोबाइल फोन चलाने के तमाम नुकसान के बारे में पहले ही रिसर्च हो चुकी हैं। मसलन, इसके मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर पड़ने वाले नकारात्मक असर से हम सभी वाकिफ हैं।

लेकिन विबो की नई रिसर्च बताती है कि मोबाइल फोन मां-बाप और बच्चों के रिश्ते को नुकसान पहुंचा रहा है। मां-बाप बच्चों से भी ज्यादा वक्त मोबाइल को देते हैं।

 

अब बच्चों को फोन का सहारा, नहीं मिल रहा मां-बाप का साथ

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पेरेंट्स अक्सर शिकायते करते हैं कि बच्चे दिन भर फोन पर लगे रहते हैं लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है, उसे जानने की कोशिश बहुत ही कम पेरेंट्स करते हैं।

हालिया रिसर्च बताती है कि देश के 90% बच्चों को मां-बाप का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता जिसकी वजह से वे भी फोन की जद में आ जाते हैं। औसतन 12 की उम्र में बच्चे स्मार्टफोन यूज करना शुरू कर देते है हैं।

बच्चे कम से कम 6.5 घंटे मोबाइल फोन पर गेमिंग को दे रहे

मौजूदा वक्त में बच्चे रोजाना 6.5 घंटा वक्त स्मार्टफोन को देते हैं। इसमें से भी अधिकतर समय वे गेम खेलने या सोशल मीडिया पर वीडियो देखने में जाया करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि कुछ वक्त के लिए भी फोन से दूर होने पर 91% बच्चे एंग्जायटी फील करने लगते हैं। उनका किसी काम में मन नहीं लगता, वे चिड़चिड़े होने लगते हैं।

90% मां-बाप बच्चों में फोन की लत को लेकर चिंतित, खुद उनसे ज्यादा करते इस्तेमाल

स्टडी में शामिल 90% पेरेंट्स ने बताया कि वे अपने बच्चों में स्मार्टफोन की लत को लेकर चिंतित हैं और इसका समाधान चाहते हैं। 94% पेरेंट्स को यह भी लगता है कि फोन की वजह से उनके बच्चों की मेंटल हेल्थ प्रभावित हो सकती है। लेकिन यहां बड़ा विरोधाभास भी नजर आता है। खुद मां-बाप बच्चों से ज्यादा फोन चलाते हैं।

लाइफ कोच कोमल सिंह बताती हैं कि बच्चों का मन नाजुक होता है। वे जो देखते हैं, वही सीखते हैं। मां-बाप खुद 7-8 घंटे फोन चलाएं और ये उम्मीद करें कि बच्चे मोबाइल फोन से दूर रहेंगे तो ऐसा संभव नहीं है।
तो क्या मां-बाप से बच्चो को दूर कर रहा है स्मार्टफोन

दूर बैठे दो लोगों को आपस में जोड़ने के मकसद के लिए बना मोबाइल फोन अब लोगों के बीच दीवार बन रहा है।मोबाइल फोन की लत के चलते एक छत के नीचे रहने वाले बच्चे और मां-बाप एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं।

तो क्या स्मार्टफोन बच्चों को मां-बाप से दूर कर रहा है। स्टडी की मानें तो ऐसा हो रहा है। 75% पेरेंट्स अपनी आदतों को लेकर खुद शर्मिंदा हैं और अपराधबोध महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि वे अपने बच्चों को जरूरत लायक समय नहीं दे पाते। लेकिन वो इससे निपट पाने में नाकाम हैं।

मां बाप और बच्चों के बीच स्मार्टफोन मानो की एक दीवार की तरह खड़ा हो चुका है, और स्मार्टफोन की इस नीव को तोड़ने का तरीका दोनों में से किसी को भी मालूम नहीं है।

आपको बताते चले की विबो रिसर्च की मदद से स्मार्टफोन का पेरेंट्स- चाइल्ड रिलेशनशिप पर पढ़ने वाले नकारात्मक असर को भी जान लिया है । स्मार्टफोन मां बाप और बच्चों के प्रेम – मोह के रिश्ते में एक दीवार की तरह खड़ा है।अब आइए लाइफ कोच से इस दीवार को गिराने के कुछ टिप्स जान लेते हैं, ताकि स्मार्टफोन की वजह से फैमिली मेंबर्स के बीच किसी तरह का मनमुटाव न हो।

स्क्रीन टाइम निश्चित करें- आजकल फोन पर कुछ जरूरी काम भी होते हैं। कुछ बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस भी मोबाइल फोन की मदद से होती हैं। ऐसे में स्मार्टफोन के इस्तेमाल को पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में स्क्रीन टाइम निश्चित करना फायदेमंद है।

घर में बनाएं टेक फ्री जोन और टाइम एक निश्चित समय और जगह को टेक फ्री बना सकते हैं। नियम बनाएं कि इस दौरान घर का कोई भी सदस्य मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करेगा।

बच्चों के साथ एक्टिविटी में लें भाग- बच्चे मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करें, इसके लिए जरूरी है कि पेरेंट्स उनके साथ टाइम बिताएं। पेरेंट्स बच्चों संग आउटडोर और इनडोर एक्टिविटी में टाइम बिताएं तो बच्चे मोबाइल फोन का इस्तेमाल खुद-ब-खुद कम कर देंगे।

पेरेंट्स खुद उदाहरण बनें- बच्चों में स्मार्टफोन की लत को कम करने के लिए सबसे जरूरी है कि मां-बाप खुद उनके सामने अच्छा उदाहरण पेश करें। बच्चे अपने पैरेंट्स को देखकर ही सीखते हैं।

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