Monday, February 3, 2025

100 साल बाद बना करवा चौथ पर ये दुर्लभ सयोंग, जाने किस समय करे पूजा।

100 साल बाद बना करवा चौथ पर ये दुर्लभ सयोंग, जाने किस समय करे पूजा

Digital News Guru Delhi Desk: 1 नवंबर 2023 को पूरी दुनिया मे करवा चौथ का त्योहार मनाया जायेगा। सुहागिन महिलाएं ये व्रत पूरे प्यार और समर्पण के साथ इस व्रत को रखती है।

सुहागिन महिलाएं निर्जला इस व्रत को रखती है और रात मे चंद्रोउदय के बाद चंद्रमा को अर्घ देकर महिलाएं अपना व्रत खोलती है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती है।

सोलह श्रृंगार करती है महिलाएं

करवा चौथ 1 नवंबर को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जायेगा। इस व्रत का महिलाएं बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करती है। हिंदू धर्म के अनुसार सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है साथ ही सोलह श्रृंगार करती है। महिलाएं इस दिन मेहंदी जरूर लगवाती है। करवा चौथ मे मेहंदी लगाना बहुत शुभ माना जाता है। साथ ही महिलाएं इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनती है। इस दिन काले रंग के कपड़े पहना वर्जित माना जाता है।
100 साल बना ऐसा सयोंग

पंचांग के अनुसार । इस बार करवा चौथ वाले दिन महा सयोंग बन रहा है। जो की पूरे 100 साल बाद आया है। पंचाग के अनुसार 100 साल के बाद मंगल और बुध एक ही राशि मे आ जायेंगे। उसकी वजह से बुध आदित्य योग बन जायेगा। ये योग बहुत ही शुभ माना जायेगा। साथ ही करवा चौथ वाले दिन शिव योग भी बन रहा है। यह योग सुबह 7:34 से 9:13 तक रहेगा।

पूजा का शुभ समय- शाम को 7 बजकर 10 मिनट से 8: 50 तक पूजा करने का शुभ समय है इस समय चौघडिया भी रहेगी ।महिलाएं इस समय अपनी पूजा कर सकती है

राहु काल मे न करे पूजा- राहु काल मे कभी कोई पूजा नही करनी चाहिये। साथ ही राहु काल मे कोई नया काम भी नही शुरू करना चाहिये। 1 नवंबर करवा चौथ वाले दिन राहु काल दोपहर 12 बजे से दोपहर 1: 30 तक रहेगा।

चंद्रमा की कैसे करे पूजा- करवा चौथ मे महिलाएं सारा दिन निर्जला व्रत रखती है। रात के समय मे चंद्रमा को अर्ध देकर महिलाएं अपना व्रत तोड़ती है। महिलाएं जब भी चंद्रमा का अर्घ दे तो वह अपनी पूजा वाली थाली मे चांदी का कुछ समान जरूर रखे साथ ही अक्षत भी रखे। इन दोनों चीजों से चंद्रमा को अर्घ देना शुभ माना जाता है।

कितने बजे निकलेगा चाँद- आज चंद्र उदय रात मे 8 :15 के बाद होगा। इसके बाद ही सारी महिलाएं पूजा करके चंद्रमा को अर्घ् देकर अपना अपना व्रत खोलेगी।

करवा चौथ व्रत कथा– एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। सभी भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे।अपनी बहन के खाना खाने के बाद ही सारे भाई खाना खाते थे।कार्तिक कृष्ण मे करवा चौथ का त्योहार पड़ा। उस लड़की ने अपनी भाभियों के साथ मिलकर इस व्रत को रखा शाम का जब काफी देर इंतज़ार के बाद चंद्रमा नही निकला और उनकी प्यारी बहन भूख प्यास से व्याकुल हो रही थी ये देख भाईया से नही रहा गया।

फिर सबसे छोटा भाई दूर एक पेड़ मे चढ़ गया और चलनी से दीपक जला के रोशनी करने लगा। उस दीपक की रोशनी को चंद्रमा समझ कर उनकी बहन ने पूजा कर ली और खाना खाने बैठ गयी। जैसे ही वो खाने का पहला टुकडा लेती है तो उसे छीक आ जाती है दूसरा टुकडा डालती है तो बाल निकलता है जैसे ही वो तीसरा टुकडा मुह मे डालती है। ससुराल से उसके पति की मृत्यु की खबर आ जाती है। वो अपने पति के शव के पास विलाप करने लगती है और कहने लगती है ऐसा मुझसे से क्या पाप हो गया जो ये दिन देखने को मिला।

उसका विलाप सुन कर वहाँ इंद्राणी आती है और कहती है तुमने चंद्रमा को बिना अर्घ दिये खाना खा लिया था लेकिन अगर अब तुम साल भर मे हर चौथ को चंद्रमा की पूजा करना और करवा चौथ वाले दिन पुरे विधि विधान से पूजा करना ऐसा करने से तुम्हारा पति पुन जीवित हो जायेगा। जैसा इंद्राणी ने बताया साल भर उसने वैसा ही किया तो करवा चौथ वाले दिन उसका पति जीवित हो गया। इस तरह से उसके सुहाग को नये जीवन का आशीर्वाद मिला।

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