Monday, March 10, 2025

प्लास्टिक साबित हो सकता है आपकी गंभीर बीमारियों का कारण, आपके वॉटर बॉटल में हैं ढाई लाख प्लास्टिक के कण!

Digital News Guru Health Desk:

प्लास्टिक साबित हो सकता है आपकी गंभीर बीमारियों का कारण, आपके वॉटर बॉटल में हैं ढाई लाख प्लास्टिक के कण!

 आप नींद से उठते हैं आपके आसपास तथा आपके बिस्तर पर प्लास्टिक जमा है कुछ समझ नहीं आ रहा है ।आप परेशान होकर बाहर भागने लगते हैं,वहां भी चारों ओर प्लास्टिक भरा पड़ा है।

हद तो तब पार हो गई जब आप देखते हैं कि यह हवा में भी तैर रहा है। जो हर सांस के साथ आपके भीतर जा रहा है। आपको यह सब कितना काल्पनिक लग रहा होगा ना, पर ये है सच। अगर हम माइक्रो और नैनो प्लास्टिक को अपनी नजरो से देख पाते हैं ,तो कुछ ऐसा ही नजारा होता है।

प्लास्टिक हमारे पर्यावरण में सैकड़ो वर्षों से इकट्ठा हो रहा है यह बढ़ते बढ़ते इतनी ज्यादा स्तर पर आ गया है कि आपके जीवन पर ही खतरा बनकर चारों ओर घूम रहा है।

सवाल हो सकता है कि यह पानी, खाना और हवा में कैसे शामिल हुआ? ध्यान से देखिए आपके रोजाना उपयोग की जाने वाली सभी चीज प्लास्टिक में ही तो पेट होते हैं चिप्स के पैकेट किचन आइटम्स पानी की बोतल जूस की बोतल इन सभी से लेकर आपका बैग शूज सभी चीजे प्लास्टिक में ही पैक्ड हैं। यही प्लास्टिक महीन टुकड़ों में बंटकर इन चीजों में चुपचाप शामिल होता जाता है।

पानी में जहर घोल रहा इंसान :

हम हर साल 2000 ट्रक कचरे के बराबर प्लास्टिक फेंक रहे समंदर, नदियों और झीलों में जमा हो रहा यह कचरा दो से ढाई करोड़ टन प्लास्टिक के बराबर है यह कचरा आपके वॉटर बॉटल में हैं 2.50 लाख प्लास्टिक के कण इससे जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई है।

इस पर काम किया है प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (Proceedings of the National Academy of Sciences) नाम की संस्था ने। पूरी स्टडी आपकी प्लास्टिक बॉटल के इर्द गिर्द ही है। जिसे आप ऑफिस ले जाते हैं, घूमने-फिरने जाने पर साथ ले जाते हैं। कई बार तो घर पर भी इस्तेमाल करते हैं।

इसमें मदद ली गई है एक नई टेक्नॉलजी की। जिसे स्टिमलेटेड रमन स्कैटरिंग माइक्रोस्कोपी कहा जाता है। इस मशीन की आंखें और गणित दोनों तेज हैं। पहले तो ये महीन से महीन प्लास्टिक टुकड़ों को खोजती है फिर गिनती भी लगाती है। इस मशीन ने बताया है कि एक लीटर पानी में लगभग 2 लाख 40 हजार प्लास्टिक के बेहद महीन टुकड़े होते हैं। यह हाल तब है जब इसमें टॉप 10 ब्रांडेड पानी के बॉटल शामिल किए गए।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इंवायरमेंटल केमिस्ट व इस स्टडी के लेखक बेइजान यान का कहना है कि’पहले इस बारे में हमें कुछ भी पता नहीं था, लेकिन अब इस स्टडी ने नए नए रास्ते खोल दिए हैं।’

कितने बड़े होते हैं माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक?:

माइक्रोप्लास्टिक का आकार आसान भाषा में ऐसे समझिए कि आपके बेडशीट को चूहे कुतर दें, उसके 10 लाख टुकड़े कर दें। तब उसका एक टुकड़ा होगा माइक्रोप्लास्टिक केबराबर। नैनो प्लास्टिक के आकार की कल्पना भी बहुत ही मुश्किल है।

हमारा दैत्य हमको ही खा रहा पूरी दुनिया में हर वर्ष इंसान 40 करोड़ मीट्रिक टन प्लास्टिक का प्रोडक्शन कर रहा है। उसमें से 3 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक पानी या जमीन पर फेंका जा रहा है। प्लास्टिक नष्ट तो होता नहीं, फिर ये जाता कहां है। ये हवा के जरिए हमारी सांस में जाता है, मिट्टी में मिलकर फसलों, पेड़ों और अंत में हमारे भोजन में जाता है। कुल मिलाकर हमारा बनाया दैत्य पलटकर हमें ही खाता है।

ऐसे आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा:

आप जिस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में यह खबर पढ़ रहे हैं, आपके कपड़े, चप्पल या जूते, आपके बिस्तर हर चीज में तो प्लास्टिक भरा पड़ा है। यह इंसानी इलाकों के अलावा भी बहुत जगह पहुंच गया है। ईरान के रेगिस्तान में प्लास्टिक देखा गया, अंटार्कटिका की बर्फ में, यहां तक कि माउंट एवरेस्ट की चोटी में भी प्लास्टिक मिला। यहां आपको सचेत होने की सख्त जरूरत है। क्योंकि प्लास्टिक पर्यावरण और आपकी सेहत दोनों के लिए बड़ा खतरा है।

फेफड़ों के लिए बड़ा खतरा है प्लास्टिक इस बात के कई संकेत मिले हैं कि सांस में घुलकर जाने वाला प्लास्टिक हमारे फेफड़ों को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है।इस बारे में वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं कि यदि लंबे समय तक प्लास्टिक जमा होता रहा तो क्या होगा, हालाकि की कुछ स्टडीज इस और इशारा कर रही है कि पर्यावरण में उपस्थित प्लास्टिक हम सब की सेहत के किस तरह खिलवाड़ कर रहा है।

  • फेफड़ों से होकर दिमाग तक में पहुंच रहे प्लास्टिक के कण
  • लंग्स कैंसर पेशेंट के सैंपल्स में प्लास्टिक के छोटे कण मिल रहे हैं।
  • प्लास्टिक के ज्यादा संपर्क में आने से फेफड़ों में सूजन आ रही है।
  • प्लास्टिक में मौजूद टॉक्सिन इंसान के दिमाग में पहुंचकर उसे डैमेज कर रहे हैं।

जान लीजिए डॉक्टर क्या कह रहे दिल्ली के सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र हॉस्पिटल के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर पर्व शर्मा मैं प्लास्टिक के दुष्प्रभाव पर बात की हैं ।वह कहते हैं कि प्लास्टिक में उसे होने वाली सभी चीज गंभीर समस्याओं और जानलेवा बीमारियों को बुलावा देना है।

इसमें उपस्थित मरकरी, लेड और कैडमियम बर्थ डिसऑर्डर को जन्म दे सकते हैं।

प्लास्टिक में घातक टॉक्सिन बीपी ए उपस्थित होता है यह पेड़ पौधों और फसलों को नष्ट कर सकते हैं

• उन्होंने बताया कि प्लास्टिक का ज्यादा इस्तेमाल पल्मोनरी कैंसर और अस्थमा और को बुलावा है।

• खाने के जरिए डाइजेशन सिस्टम में पहुंचकर किडनी और लिवर को डैमेज कर रहा है।

• खानपान में प्लास्टिक का इस्तेमाल पहले हवा, फिर ब्लड के जरिए माइंड में पहुंकर उसे डैमेज कर रहा है।

हम कैसे घर पर प्लास्टिक को करें रिप्लेस?

राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कई संस्थाएं प्लास्टिक के खतरों को कम करने के लिए काम कर रही हैं। इसका असर दिखने में वक्त लगेगा। तब तक यह आपको बड़ा नुकसान पहुंचा चुका होगा। इसलिए अपने स्तर पर भी कुछ काम करने होंगे। इसकी शुरुआत करनी होगी अपने घर से।

• किचन में प्लास्टिक के डिब्बों की जगह आप जार का उपयोग करें तथा स्टील के डिब्बों का उपयोग कर सकते हैं।

सिलिकॉन रैप्स या सिल्वर फाइल आप प्लास्टिक रैप्स की जगह पर यूज मे लाए ।

• प्लास्टिक की ब्रश और कंघी की जगह लकड़ी के ब्रश और कंघी लाएं।

• बाजार में हमेशा कपड़े के बैग ले जाएं।

प्लास्टिक के रबिंग स्क्रबर्स या आइटम्स की जगह नेचुरल स्क्रबर्स को दें।

• कचरे को प्लास्टिक बैग में न भरे बल्कि किसी कंटेनर में रखें।

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