Saturday, September 21, 2024

पापमोचनी एकादशी आज 5 अप्रैल को, जानिए पूजा के उपाय और कैसे मिलेगी पापों से मुक्ति !

DIGITAL NEWS GURU RELIGIOUS DESK :-

पापमोचनी एकादशी आज 5 अप्रैल को, जानिए पूजा के उपाय और कैसे मिलेगी पापों से मुक्ति !

आज शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस तिथि पर चंद्रमा अप्रैल मकर राशि में मौजूद रहेगा। आज यानि 5 अप्रैल  2024 को पापमोचनी एकादशी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि मनाई जा रही है। इस तिथि पर धनिष्ठा नक्षत्र और साध्य योग का संयोग बन रहा है। दिन के शुभ गणेश की बात करें तो शुक्रवार को अभिजीत गणेश 11:52 − 12:41 तक और राहुकाल 10:44 − 12:16 तक रहेगा। चंद्रमा मकर राशि में मौजूद असेंकेट।

हिंदू पंचांग को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। पंचांग के माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है। पंचांग मुख्य रूप से पांच पहलुओं से मिलकर बनता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभ नक्षत्र, राहु काल, सूर्योदय और सूर्य का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू धर्म और पक्ष आदि की जानकारी देते हैं।

पंचांग के पांच अंग तिथि:

हिंदू काल गणना कि माने तो चंद्र रेखा को ‘सूर्य रेखा’ से 12 खंड तक ले जाने के लिए जो समय लगता है, वह समय ही तिथि कहलाती है और एक माह में तीस तिथियां होती हैं। ये तारीखें दो शान में बंटी हुई भी हैं। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि बताई गई है

तिथि के नाम- प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, तृतीया, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा/पूर्णिमा।

नक्षत्र:

आकाश मंडल में एक तारे के समूह को कहा जाता है जिसमें कुल मिलाकर 27 नक्षत्र होते हैं और पूरे नौ नक्षत्रों में इन नक्षत्रों का स्वामित्व भी प्राप्त होता है। 27 नक्षत्रों के नाम कुछ इस प्रकार हैं 1.अश्विन नक्षत्र, 2.भरणी नक्षत्र, 3.कृत्तिका नक्षत्र, 4.रोहिणी नक्षत्र 5., मृगशिरा नक्षत्र, 6.आर्द्रा नक्षत्र, 7.पुनर्वसु नक्षत्र, 8.0पुष्य नक्षत्र, 9.आश्लेषा नक्षत्र नक्षत्र, 10.मघा नक्षत्र, 11.पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र 12.उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र,

13.हस्त नक्षत्र, 14.चित्रा नक्षत्र, 15.स्वाति नक्षत्र, 16.विशाखा नक्षत्र,17.अनुराधा नक्षत्र, 18.ज्येष्ठा नक्षत्र,19.मूल नक्षत्र , 20.पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, 21.उत्तराषाढ़ा नक्षत्र 22., श्रवण नक्षत्र, 23.घनिष्ठा नक्षत्र 24. शतभिषा नक्षत्र 25., पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, 26.उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, 27.रेवती नक्षत्र और। एक सप्ताह में सात वार बहुत होते हैं। ये सात वार के नाम रखे गए थे जैसे सोमवार, मंगलवार, रविवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।

योग:

नक्षत्रों की तरह ही योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य और चंद्र की विशेष दूरियों की स्थिति को योग कहा जाता है दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम कुछ इस प्रकार हैं 1.विष्कुंभ, 2.प्रीति 3., आयुष्मान, 4.सौभाग्य, 5.शोभन, 6.अतिगंड , 7.सुकर्मा, 8.धृति, 9.शूल, 10.गंड, 11.भैरव, 12.ध्रुव, 13.व्याघात, 14.हर्षण, 15.वज्र, 16.सिद्धि, 17.व्यातिपात, 18.क्रियान, 19 .परिघ,20.शिव,21.सिद्ध, 22.साध्य, 23.शुभ,24.शुक्ल,25.ब्रह्म26.इंद्र, इंद्र और 27.वैधृति।

करण:

एक तिथि के दो ही करण हो सकते हैं। एक तिथि के बिल्कुल पूर्वार्ध में घटित होता है और एक तिथि के बिल्कुल विपरीत में होता है ऐसे कुल मिलाकर 11 कारण होते हैं जिनके नाम कुछ इस प्रकार होते हैं 1.बव, 2.बालव,3.कौलव,4.तैतिल, 5.गर, 6.वणिज,7.विष्टि, 8.शकुनि, 9.चतुष्पद, 10.नाग और 11.किस्तुघ्न है विष्टि करण को ही भद्रा कहा जाता है और भद्रा में शुभ कार्य पूरी तरह से अलग हो जाते हैं।

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