Saturday, September 21, 2024

बसंत पंचमी के अवसर पर हुआ विद्या की वाणी का शास्त्र पूजन , जाने पूजा करने की विधि!

DIGITAL NEWS GURU RELIGIUOS DESK :-

बसंत पंचमी के अवसर पर हुआ विद्या की वाणी का शास्त्र पूजन , जाने पूजा करने की विधि!:

बसन्त पंचमी सरस्वती पूजा के अवसर पर हिंदू नवजागरण मंच के छोटा बरियारपुर शिव मंदिर मंगल मिलन केंद्र में मां शारदे पुजा समिति द्वारा मां सरस्वती के पूजन के साथ शास्त्र पूजन का कार्यक्रम किया गया। सभी श्रद्धालुगण मां सरस्वती की प्रतिमा के साथ शास्त्र का भी पूजा अर्चना की। इस अवसर पर जिला मुख्य कार्यकारी दिनेश कुमार ने कहा कि सनातन धर्म में दुर्गा को शक्ति एवं सरस्वती को विद्या की देवी माना गया है।

दुर्गा पूजा के अवसर पर शस्त्र एवं सरस्वती पूजा के अवसर पर शास्त्र के पूजन एवं खरीदने की परंपरा है। उसी परंपरा को हिंदू नवजागरण मंच आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने समिति सदस्यों से आग्रह किया कि मां सरस्वती की पूजा, विसर्जन श्रद्धा व शालीनता पुर्वक करना चाहिए। इस अवसर पर नगर मुख्य कार्यकारी राममनोहर, चंद्रिका अमित कुमार, दीपक कुमार कश्यप, अभिजीत कुमार, कुमार, आदित्य कुमार, रमेश कुमार, मेघनाथ कुमार, दीपु कुमार, सुरज कुमार, अमन कुमार, अरविंद दुबे इत्यादि सम्मलित थे।

 

कैसे करे बसन्त पंचमी पूजा:

 

सुबह जल्दी उठकर स्नान करे और पीले, नारंगी, गुलाबी या सफेद वस्त्र धारण करे।
मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखें। मंगल कलश स्थापित कर भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें।
फिर देवी सरस्वती की पूजा करें। पूजा करते समय सबसे पहले उन्हें आचमन व स्नान कराएं। इसके लिए मूर्ति या तस्वीर पर जल चढ़ाएं।
चंदन, अक्षत, केसर, कुमकुम, इत्र और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। सफेद फूल भी चढ़ाएं।
फूलों से मां सरस्वती का श्रृंगार करें और उन्हें श्वेत वस्त्र चढ़ाएं।
प्रसाद के रुप में खीर या दूध से बने मिष्ठान का भोग लगाएं।
देवी सरस्वती की पूजा कर के स्टूडेंट गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें।

संगीत से जुड़े व्यक्ति अपने वाद्य यंत्रों पर तिलक लगा कर मां की आराधना करें व बांसुरी भेंट करें।
वसंत पंचमी पर क्या करें और क्या न करें

मां सरस्वती ज्ञान, गायन- वादन व बुद्धि की देवी हैं। बसन्त पंचमी के दिन छात्रों को पुस्तक और गुरु के साथ और कलाकारों को अपने वादन के साथ मां सरस्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

इस दिन नया काम करना बहुत शुभ फलदायक होता है इसलिए नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, नवीन व्यापार प्रारंभ और मांगलिक कार्य किए जाते है।शिक्षा प्रारंभ करने के लिए वसंत पंचमी विशेष दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन से बच्चों को विद्यारंभ करवानी चाहिए।

यदि बच्चा 6 माह का हो चुका है तो अन्नप्राशन संस्कार यानी जीवन का पहला अन्न इसी दिन खिलाना चाहिए।
विद्या और ज्ञान वृद्धि के लिए बसंत पंचमी के दिन गरीब बच्चों को कॉपियां, कलम और पढ़ाई के लिए प्रयोग में आने वाली चीजें बांटना चाहिए।
गुरु और माता-पिता हमेशा ही पूजनीय होते हैं, लेकिन इस दिन विशेषकर इनका अपमान ना करें। कॉपी-किताब और विद्या एवं ज्ञान से जुड़ी चीजें। इस दिन झूठ और अपशब्द भी नहीं बोलना चाहिए।

कैसे हुआ था सरस्वती माता का जन्म:

सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा ने जीव-जंतुओं और मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन उन्हें लगा कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर सन्‍नाटा छाया रहता है। ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उस स्‍त्री के एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था ,और दोनों हाथों में पुस्तक व माला थी।

ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी मिल गई। मधुर शीतल जलधारा कलकल नाद करने लगी। मीठी हवा सरसराहट कर बहने लगी। चारों तरफ भीनी-भीनी सुगंध प्रवाहित होने लगी। रंग बिरंगे फूलों ध्रती सज गई।

चारों तरफ हरियाली छा गई। वातावरण में प्रकृति के संगीत की धुनें बजने लगी…तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावा‍दिनी समेत कई नामों से जाना और पूजा जाता है। मां सरस्वती विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी हैं। ब्रह्मा ने देवी सरस्‍वती विद्या की की वाणी की उत्‍पत्ति वसंत पंचमी के दिन ही की थी , इस कारण हर वर्ष वसंत पंचमी के दिन देवी मां सरस्‍वती का जन्‍मदिन मनाया जाता है।

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