मोगली: रुडयार्ड किपलिंग ने रचा है अमर किरदार, सबसे कम उम्र में मिला इनको साहित्य का नोबेल पुरस्कार
Digital News Guru Entertainment Desk: साहित्य के क्षेत्र में रुडयार्ड किपलिंग को सबसे कम उम्र (41) में नोबेल मिला था। रुडयार्ड किपलिंग ने ही बच्चों के लिए जंगल बुक जैसी क्लासिक पुस्तक दी। जिसकी पूरी दुनिया मुरीद हुई। जंगल बुक, जिसके कथानक के केंद्र में मोगली है। वही मोगली जो जंगल में खो जाता है और उसका पालन-पोषण भेडिय़े करते हैं। यह पुस्तक मानव और पशुओं के बीच प्रेम की भावना को भी प्रदशित करती है।
रुडयार्ड किपलिंग का बचपन
जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग, का जन्म 30 दिसंबर, 1865 को बॉम्बे में हुआ था। वह अंग्रेजी भाषा के काफी लोकप्रिय लेखक, कवि और उपन्यासकार थे। शायद ही कोई इंसान होगा इस दुनिया मे जो उनकी रचना ‘द जंगल बुक‘ से परिचित न हो। ब्रिटिश काल में उन्होंने भारत में ब्रिटिश सैनिकों की कहानियां, कविताएं और बच्चों के लिए बहुत सारी कहानियां लिखीं जो बेहद पसंद करी गईं थी। किपलिंग को उनके माता-पिता 6 साल की उम्र में ही इंग्लैंड ले गए थे और उन्हें पांच साल के लिए साउथसी के एक फॉस्टर होम में छोड़ दिया था।
रुडयार्ड किपलिंग को बोर्डिंग स्कूल का हुआ था गहरा असर
उनका अधिकांश बचपन दुखों में बीता। किपलिंग को उनके माता-पिता 6 साल की उम्र में बॉम्बे से इंग्लैंड अपने साथ ले गए थे फिर उनके माँ बाप ने उन्हें पांच साल के लिए साउथसी के एक फॉस्टर होम में छोड़ दिया था। इस चीज का पूरा वर्णन उन्होंने अपनी कहानी ‘बा बा, ब्लैक शीप’ जो कि साल 1888 में आयी थी उसमे किया है।
इसके बाद वे वेस्टवर्ड, नॉर्थ डेवोन में यूनाइटेड सर्विसेज कॉलेज चले गए थे। यूनाइटेड सर्विसेज कॉलेज एक सस्ता और बहुत ही घटिया बोर्डिंग स्कूल था। इस बोर्डिंग स्कूल ने किपलिंग के पूरे जीवन पर बहुत बुरा असर डाला था। इस बोर्डिंग स्कूल का जिक्र उनकी कई कहानियों में देखने को मिला था। बोर्डिंग में हुई बुलिंग और पिटाई का उनपर और उनकी जिंदगी पर बहुत गहरा असर पड़ा था।
साहित्य के क्षेत्र में रुडयार्ड किपलिंग को सबसे कम उम्र में मिला था नोबेल पुरस्कार
साहित्य के क्षेत्र में रुडयार्ड किपलिंग को सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार मिला था। रुडयार्ड किपलिंग ने ही बच्चों के लिए जंगल बुक जैसी क्लासिक पुस्तक दी थी जिसको बच्चो से लेकर बड़ों तक सबने पसंद किया था। वर्ष 1892 में उनकी जंगल बुक नाम से बच्चों के लिए क्लासिक किताब आई और उसने पूरी दुनिया में धूम मचा दी।
जंगल बुक को इतना लोगों का प्यार मिला कि रुडयार्ड किपलिंग ने साल 1895 में जंगल बुक का दूसरा एडीशन लेकर आए थे। अवलोकन की शक्ति, मौलिक कल्पना, विचारों की विशिष्टता और कहानी कहने की उनकी शैली बेजोड़ थी, जिसका सम्मान नोबेल देकर किया गया। उनकी अन्य पुस्तकों में किम, द सेवन सीज, द डेज वर्क, टै्रफिक एंड डिस्कवरीज आदि शामिल हैं।
भारत का वो ‘मोगली’ जिससे प्रेरित होकर रुडयार्ड किपलिंग ने लिखी थी जंगल बुक
‘द जंगल बुक’ को रुडयार्ड किपलिंग ने लिखा है। इस किताब पर आधारित फ़िल्म मोगली. कार्टून सीरीज़ और कई गाने बने थे। ‘चड्डी पहन के फूल खिला है’ मोगली फिल्म का सबसे प्रसिद्ध गीत है। दरअसल रूडयार्ड किपलिंग ने ये कहानी भारत के दीना सनीचर से प्रेरित होकर लिखी थी।
ये एक वास्तविक कहानी है जब 1872 में शिकारियों ने एक गुफ़ा में भेड़िये और एक इंसानी बच्चे को पाया। उन्होंने भेड़िये को मार दिया और 6 साल के उस बच्चे को साथ ले आए। वे समझ गए थे कि यह बच्चा न उनकी बातें समझता है न कुछ बोल पाता है। वह भेड़िए की तरह चार पैर पर चलता और उन्हीं की तरह बोलता भी था।
उसे एक अनाथाश्रम में लाया गया और नाम रखा दीना सनीचर, सनीचर इसलिए कि उसे शनिवार को खोजा गया था। दीना पर बहुत से प्रयोग और कोशिशें की गईं थीं लेकिन लगभग सभी असफल रहीं। वह कच्चा मांस खाता था, उसके दांत घिसे हुए थे। वह बीच-बीच में भेड़िए की तरह बोलता भी था जिससे लोगों को लगा कि वह उनसे संवाद करना चाहता है। लेकिन वह न इंसानों से दोस्ती ही कर सका न कोई मोह बांध सका। कई कोशिशों के बाद भी वह इंसानी भाषा नही सीख सका।
समय के साथ थोड़े बदलाव उसमें आए थे जैसे कि वो कपड़े पहनने लगा था, बाथरूम जाने लगा था और दो पैरों पर चलना सीख गया था। उसी अनाथाश्रम में एक और जंगली बच्चा रहता था जिसके साथ दीना की दोस्ती हो गई, वह इंसानों की अपेक्षा उस लड़के के निकट अधिक निश्चिंत रहता था। लेकिन उसमें एक ग़लत आदत पड़ गई कि वह सिगरेट पीने लगा था।
थोड़े वक़्त बाद उसे टीवी हो गया और 35 साल में उसकी मृत्यु हो गई। लेकिन दीना इकलौता ऐसा लड़का नहीं था जो जानवरों के साथ पला-बढ़ा था। ऐसे और भी कई बच्चे थे जिन्हें भेड़ियों के झुंड ने पाला था। इसी कहानी को आधार बना कर रुडयार्ड किपलिंग ने जंगल बुक लिखा था
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