Saturday, February 8, 2025

महात्मा ज्योतिराव फुले : पत्नी के साथ मिलकर उठाया महिला शिक्षा का बीड़ा, शोषित वर्गों के उत्थान में निभाया अहम योगदान

आज महात्मा ज्योतिराव फुले पुण्यतिथि है, आज 28 नवंबर के दिन ही एक समाज सुधारक और शिक्षाविद, सभी को शिक्षा की तरफ प्रेरित करने वाले महात्मा ज्योतिराव फुले की मौत हो गयी थी।

Digital News Guru Desk: 28 नवंबर को हर साल समाज सुधारक ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि मनाई जाती है। ज्योतिराव फुले महाराष्ट्र के एक जाति विरोधी समाज सुधारक, साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थे।

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ज्योतिराव फुले भारत देश के सबसे महत्वपुर्ण लेखकों मे से एक माने जाते थे।इनका विवाह 1840 मे हुआ था इन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर पुरे भारत मे महिला शिक्षा का बीडा उठाया था। उन्होंने महिलाओं के लिए कक्षाओं में भाग लेना संभव बनाया। और महिलायों को शिक्षा लेने मे उनकी मदद करी।

उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत का पहला विद्यालय खोला। लड़कियों और दलितों के लिए पहली पाठशाला खोलने का श्रेय ज्योतिराव फुले को ही दिया जाता है। ज्योतिराव फुले ने किसानों और मजदूरों के हकों के लिए भी संगठित प्रयास किये थे।

 

 

ज्योतिराव फुले का जन्म कहाँ हुआ था?

ज्योतिराव फुले का जन्म 11अप्रैल 1827 को पुणे मे हुआ था। इनका जन्म एक माली परिवार मे हुआ था। इनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविंदराव था। इनका परिवार कई पीढ़ियों पहले से माली का काम करता था। वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले’ के नाम से जानी जाती थी।

ज्योतिराव फुले ने कहाँ से ली शिक्षा?

ज्योतिराव फुले पढ़ने मे काफी बुद्धिमान थे। उन्होंने मराठी में अध्ययन किया था। इन्होंने 1847 मे अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी। ज्योतिराव फुले महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे। 1840 मे उनका विवाह सावित्रीबाई से हुआ। शादी के बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी पत्नी को शिक्षित किया।

पहले के लोग स्त्रियों की शिक्षा को लेकर काफी उदासीन थे। ऐसे में ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए। इन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था। इन प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त इन्होंने हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी रखे थे जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था। और लोगों मे नये विचार और नये चिंतन की शुरुआत हुई।

ज्योतिबा फुले का योगदान- ज्योतिबा फुले ने 1874 मे सत्य शोधक समाज की स्थापना करी । जिसका उद्देश महिला, दलितों, शुद्रो, आदि समाज के अल्पसंख्यक समूह को अपना अधिकार मिलना था। इन्होंने जाति व्यवस्था का खुलकर विरोध किया था। और दबे हुए छोटे जाति या वर्गो के अधिकारों के लिए अभियान चलाया था। इनकी प्रसिद्ध पुस्तकों मे गुलामगिरी, स्लेवरी,सेलेक्टेड राइटिंग और भी कई पुस्तकें शामिल है।

कब हुई थी ज्योतिबा फुले की मृत्यु

ज्योतिबा फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई थी। इनकी मृत्यु के बाद भी इनकी विरासत जारी रही। इनको श्रद्धांजलि देने के लिए कई स्मारक बनाये गए है। पुणे मे महात्मा फुले संग्रहालय बनवाया गया। साथ ही अहमद नगर मे जिले मे महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ बना है। 1888 मे उन्हे ” महात्मा” की उपाधि दी गयी थी।

ज्योतिबा फुले ने ब्र‍िट‍िश राज में नौकरी करने के बजाय बिजनेस करना चुना था। इन्होंने अलग-अलग तरह के बिजनेस के माध्यम से काफी संपत्ति भी अर्जित किया था। जिसे उन्होंने सामाजिक कार्यों में लगाया था। उन्होंने ‘पूना कमर्शियल एंड कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी’ की स्थापना भी की थी। इस कंपनी ने कई पुल, सुरंग और बांध बनाए थे।

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